ETV Bharat / state

Special: बेजुबानों के लिए देवदूत बनी 'ट्रीट ऑन स्ट्रीट', दो साल में 1500 को मिला उपचार और भोजन

author img

By

Published : May 19, 2023, 7:24 PM IST

राजस्थान में भरतपुर के कुछ युवाओं ने बड़ा ही नेक काम शुरू किया है. उन्होंने एक संस्था "ट्रीट ऑन स्ट्रीट" बनाई है. इसमें शामिल युवा सड़क पर भूखें-प्यासे और चोटिल होकर घूमने वाले पशु-पक्षियों को अपने साथ ले आते हैं. वह उनका इलाज करने के साथ खाने-पीने की भी व्यवस्था करते हैं.

bharatpur treat on street became an angel for dumb
बेजुबानों के लिए देवदूत बनी 'ट्रीट ऑन स्ट्रीट'
बेजुबानों के लिए देवदूत बनी 'ट्रीट ऑन स्ट्रीट'

भरतपुर. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले कुछ युवाओं को बेजुबान आवारा पशुओं व पक्षियों की भूख और दर्द ने इतना झकझोर दिया कि इन्होंने इन बेजुबानों की मदद का बीड़ा उठा लिया. युवाओं की ये टीम 'ट्रीट ऑन स्ट्रीट' आज घायल और भूखे आवारा पशुओं के लिए देवदूत बनी हुई है. यह टीम घायल पशुओं को उठाकर लाती है और उनका उपचार करने के साथ ही चारा पानी भी देती है. युवाओं के इस नेक कार्य में भरतपुर नगर निगम ने भी मदद का हाथ बढ़ाया और उन्हें निशुल्क जमीन उपलब्ध कराई. भामाशाहों की मदद और अथक प्रयासों यह टीम दो साल में 1500 से अधिक बेजुबानों के घावों पर मरहम लगा चुकी है.

ये भी पढ़ेंः Special : न वरदान न चमत्कार ! आंखों पर पट्टी बांधकर पढ़ लेती हैं भाविका, सूंघकर बता देंगी है रंग

ऐसे शुरू किया सेवा कार्यः शहर निवासी प्रशांत ने बताया कि करीब 2 साल पहले जब वो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था, तो हर दिन लाइब्रेरी जाते समय रास्ते में मिलने वाले भूखे श्वानों को बिस्किट खिलाता था. वो सोचता था कि इन भूखे बेजुबानों को नींद कैसे आती होगी. इसको लेकर एक दिन मित्रों के साथ चर्चा कर रहा था, तो चार पांच मित्रों ने मिलकर घायल और भूखे पशुओं की मदद करने की ठानी. धीरे-धीरे हम मित्रों ने बेजुबानों की मदद करना शुरू किया. ग्रुप का नाम "ट्रीट ऑन स्ट्रीट" रखा.

ये भी पढ़ेंः भालू खाता है फ्रूट आइसक्रीम,दरियाई घोड़े को मिलता है तरबूज, वन्यजीव उठा रहे हेल्थ ड्रिंक का लुफ्त

कई चुनौतियों का सामना कियाः प्रशांत ने बताया कि पहले तो घायल पशुओं को रास्ते में ही मरहम पट्टी कर देते. उनके लिए खाना, चारा डाल देते. बाद में शहर में संग्रहालय के पास एक जगह चिह्नित की. जहां घायल पशु पक्षियों को रखकर उनकी देखभाल शुरू की. इससे आसपास के लोग परेशान हो गए. इस संबंध में नगर निगम में संपर्क किया तो हमें शहर की आबादी से हटकर नगर निगम ने एक जगह उपलब्ध करा दी. अब यहीं पर घायल पशु पक्षियों की देखभाल करते हैं.

ये भी पढ़ेंः Special: अपना घर आश्रम की अत्याधुनिक रसोई, 2 घंटे में तैयार हो सकता है 25 हजार लोगों का भोजन

ग्रुप में नए लोग जुड़ते गएः प्रशांत ने बताया कि इस नेक कार्य के दौरान कुछ मित्र नौकरी, पढ़ाई आदि की वजह से समय नहीं दे पाए. तो कुछ नए मित्र इस सेवा कार्य में जुड़ते गए. आज करीब 10 लोग इस सेवा कार्य में अपना योगदान दे रहे हैं. इनमें विजय, भरत, हर्ष, अंजली, प्रांजल, आशीष, साहिल आदि लोग शामिल हैं. सभी की अलग-अलग जिम्मेदारियां भी बंटी हुई हैं.

दो साल में 1500 की देखभालः प्रशांत ने बताया कि करीब दो साल से लगातार बेजुबान पशु, पक्षियों की सेवा कर रहे हैं. भामाशाहों से जो मदद मिलती है, उससे पशु पक्षियों को चारा,पानी, दवाई आदि की व्यवस्था करते हैं. दो साल में करीब 1500 से अधिक घायल व भूखे पशु पक्षियों की मदद कर चुके हैं.

भामाशाह ने दान की एंबुलेंसः प्रशांत ने बताया कि हमें घायल पशु, पक्षियों को उठाकर लाने में बहुत दिक्कत होती थी. इसको लेकर शहर के एक युवा उद्यमी यश अग्रवाल ने मदद की. उद्यमी यश अग्रवाल ने गुरुवार को ट्रीट ऑन स्ट्रीट ग्रुप को घायल पशुओं को लाने के लिए एक एंबुलेंस भेंट की है.

बेजुबानों के लिए देवदूत बनी 'ट्रीट ऑन स्ट्रीट'

भरतपुर. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले कुछ युवाओं को बेजुबान आवारा पशुओं व पक्षियों की भूख और दर्द ने इतना झकझोर दिया कि इन्होंने इन बेजुबानों की मदद का बीड़ा उठा लिया. युवाओं की ये टीम 'ट्रीट ऑन स्ट्रीट' आज घायल और भूखे आवारा पशुओं के लिए देवदूत बनी हुई है. यह टीम घायल पशुओं को उठाकर लाती है और उनका उपचार करने के साथ ही चारा पानी भी देती है. युवाओं के इस नेक कार्य में भरतपुर नगर निगम ने भी मदद का हाथ बढ़ाया और उन्हें निशुल्क जमीन उपलब्ध कराई. भामाशाहों की मदद और अथक प्रयासों यह टीम दो साल में 1500 से अधिक बेजुबानों के घावों पर मरहम लगा चुकी है.

ये भी पढ़ेंः Special : न वरदान न चमत्कार ! आंखों पर पट्टी बांधकर पढ़ लेती हैं भाविका, सूंघकर बता देंगी है रंग

ऐसे शुरू किया सेवा कार्यः शहर निवासी प्रशांत ने बताया कि करीब 2 साल पहले जब वो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था, तो हर दिन लाइब्रेरी जाते समय रास्ते में मिलने वाले भूखे श्वानों को बिस्किट खिलाता था. वो सोचता था कि इन भूखे बेजुबानों को नींद कैसे आती होगी. इसको लेकर एक दिन मित्रों के साथ चर्चा कर रहा था, तो चार पांच मित्रों ने मिलकर घायल और भूखे पशुओं की मदद करने की ठानी. धीरे-धीरे हम मित्रों ने बेजुबानों की मदद करना शुरू किया. ग्रुप का नाम "ट्रीट ऑन स्ट्रीट" रखा.

ये भी पढ़ेंः भालू खाता है फ्रूट आइसक्रीम,दरियाई घोड़े को मिलता है तरबूज, वन्यजीव उठा रहे हेल्थ ड्रिंक का लुफ्त

कई चुनौतियों का सामना कियाः प्रशांत ने बताया कि पहले तो घायल पशुओं को रास्ते में ही मरहम पट्टी कर देते. उनके लिए खाना, चारा डाल देते. बाद में शहर में संग्रहालय के पास एक जगह चिह्नित की. जहां घायल पशु पक्षियों को रखकर उनकी देखभाल शुरू की. इससे आसपास के लोग परेशान हो गए. इस संबंध में नगर निगम में संपर्क किया तो हमें शहर की आबादी से हटकर नगर निगम ने एक जगह उपलब्ध करा दी. अब यहीं पर घायल पशु पक्षियों की देखभाल करते हैं.

ये भी पढ़ेंः Special: अपना घर आश्रम की अत्याधुनिक रसोई, 2 घंटे में तैयार हो सकता है 25 हजार लोगों का भोजन

ग्रुप में नए लोग जुड़ते गएः प्रशांत ने बताया कि इस नेक कार्य के दौरान कुछ मित्र नौकरी, पढ़ाई आदि की वजह से समय नहीं दे पाए. तो कुछ नए मित्र इस सेवा कार्य में जुड़ते गए. आज करीब 10 लोग इस सेवा कार्य में अपना योगदान दे रहे हैं. इनमें विजय, भरत, हर्ष, अंजली, प्रांजल, आशीष, साहिल आदि लोग शामिल हैं. सभी की अलग-अलग जिम्मेदारियां भी बंटी हुई हैं.

दो साल में 1500 की देखभालः प्रशांत ने बताया कि करीब दो साल से लगातार बेजुबान पशु, पक्षियों की सेवा कर रहे हैं. भामाशाहों से जो मदद मिलती है, उससे पशु पक्षियों को चारा,पानी, दवाई आदि की व्यवस्था करते हैं. दो साल में करीब 1500 से अधिक घायल व भूखे पशु पक्षियों की मदद कर चुके हैं.

भामाशाह ने दान की एंबुलेंसः प्रशांत ने बताया कि हमें घायल पशु, पक्षियों को उठाकर लाने में बहुत दिक्कत होती थी. इसको लेकर शहर के एक युवा उद्यमी यश अग्रवाल ने मदद की. उद्यमी यश अग्रवाल ने गुरुवार को ट्रीट ऑन स्ट्रीट ग्रुप को घायल पशुओं को लाने के लिए एक एंबुलेंस भेंट की है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.