भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में इस बार समय से करीब 15 से 30 दिन पहले ही मानसून दूत पहुंच गए हैं. उद्यान में करीब 150 ओपन बिल स्टार्क ने नेस्टिंग शुरू कर दी है. इसे जल्दी मानसून आने का संकेत माना जा रहा है. वहीं उद्यान में अन्य पक्षियों ने भी नेस्टिंग करना शुरू कर दिया है. इस बार समय से पहले ओपन बिल स्टार्क आने के पीछे की वजह मौसम में बदलाव को माना जा रहा है. घना के नेचर गाइड देवेंद्र सिंह ने बताया कि सामान्यतौर पर जून के अंतिम सप्ताह या जुलाई के प्रथम सप्ताह तक ओपन बिल स्टार्क घना पहुंचते हैं. ये पक्षी दक्षिण भारत की तरफ से यहां पहुंचते हैं.
6 माह तक प्रवास करता है ओपन बिल स्टार्कः नेचर गाइड देवेंद्र सिंह ने बताया कि ओपन बिल स्टार्क को मानसून दूत कहा जाता है. इसके पीछे की वजह यह है कि ओपन बिल स्टार्क दक्षिण भारत में मानसून के प्रवेश करने के बाद मानसून के आगे-आगे उड़ान भरता है. घना में ओपन बिल स्टार्क पहुंचने का मतलब यहां जल्द ही मानसून आने वाला है. देवेंद्र सिंह ने बताया कि ओपन बिल स्टार्क उद्यान में करीब 6 माह तक प्रवास करता है. जून-जुलाई में ओपन बिल स्टार्क यहां पहुंचता है. उसके बाद यहां प्रजनन करता है. जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो बच्चों के साथ जनवरी में यहां से चले जाते हैं.
![monsoon envoy reached ghana ahead of time](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18721977_ppp.jpg)
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इन पक्षियों ने भी शुरू की नेस्टिंगः नेचर गाइड देवेंद्र सिंह ने बताया कि मानसून से पहले घना में पेंटेड स्टार्क, ग्रेट ई ग्रेट, स्पून बिल, आइबिस, हेरोन आदि ने भी नेस्टिंग शुरू कर दी है. अब धीरे धीरे इन पक्षियों की संख्या बढ़ना शुरू हो जाएगी. इसके बाद अक्टूबर से दुनियाभर से पक्षियों का आना शुरू हो जाएगा.
इसलिए समय से पहले पहुंचे ओपन बिल स्टार्कः देवेंद्र सिंह ने बताया कि समामन्यतौर पर ओपन बिल स्टार्क मानसून से पहले आते हैं. इस बार तापमान कम रहा है, बार-बार बरसात होती रही है. इससे मौसम ज्यादा गर्म नहीं हुआ. वहीं उद्यान में भी पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध है. जिसकी वजह से ओपन बिल स्टार्क समय से काफी पहले यहां पहुंच गए हैं. गौरतलब है कि विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान प्रवासी पक्षियों के लिए दुनिया भर में पहचाना जाता है. इसे पक्षियों के स्वर्ग के रूप में भी पहचाना जाता है. यहां सर्दियों के मौसम में करीब 350 से अधिक प्रजाति के पक्षी प्रवास करते हैं. यहां की जैव विविधता की वजह से भी उद्यान की अपनी अलग पहचान है.