भरतपुर. उच्च शिक्षा की सर्वोच्च संस्था बृज विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय कुलपति ने ना तो विज्ञापन प्रकाशित कराया, ना आवेदन मांगे और ना ही साक्षात्कार लिए और सीधे 11 लोगों को विभिन्न पदों पर नियुक्ति दे दी. आरोप है कि इन 11 लोगों को संविदा पर 5-5 साल के लिए नियुक्ति दी गई है.
बिना नियमों के दी नियुक्ति: आरोप है कि विवि कुलपति ने अप्रैल 2023 से अब तक विश्वविद्यालय में करीब 11 लोगों को असिस्टेंट प्रोफेसर और एक उद्यान अधिकारी के पद पर नियुक्ति दी है. इन सभी को 5-5 साल के लिए नियुक्ति दी गई है. ताज्जुब की बात यह है कि इन पदों के लिए विश्वविद्यालय की ओर से ना तो विज्ञापन प्रकाशित हुआ, ना आवेदन मांगे गए और ना ही साक्षात्कार हुए. आरोप है कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रमेश चंद्र ने अपने जान-पहचान वालों से सीधे रिज्यूम मंगवाए और नियुक्ति दे दी.
उपकुलसचिव से करा दिए हस्ताक्षर: यह भी आरोप लगाया गया है कि असल में कुलपति ने इन लोगों की नियुक्ति के लिए पहले तो तत्कालीन कुलसचिव सुभाष शर्मा पर दबाव बनाया, लेकिन जब उन्होंने बिना नियम के नियुक्ति देने का विरोध किया, तो उनकी गैर मौजूदगी में उपकुलसचिव डॉ अरुण कुमार पाण्डेय के हस्ताक्षर से नियुक्ति करा दी.
5 साल बाद करेंगे स्थाई नियुक्ति की मांग: विवि कुलपति ने जिन लोगों को नियम विरुद्ध 5-5 साल के लिए संविदा पर नियुक्ति दी है, असल में वो भविष्य में उनके लिए विश्वविद्यालय में स्थाई नियुक्ति के लिए रास्ता तैयार किया गया है. जब इन लोगों को संविदा पर 5 साल हो जाएंगे, तो इसी आधार पर ये लोग न्यायालय के माध्यम से स्थाई नियुक्ति की मांग करेंगे. पहले ऐसा कई विश्वविद्यालयों में हो चुका है.
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जो कुछ किया यूनिवर्सिटी के हित में किया: इस संबंध में बृज विवि के कुलपति प्रो रमेश चंद्र ने ईटीवी भारत को बताया कि बोम बैठक में अनुमोदन के बाद ही निर्णय लिए गए हैं. जिनको नियुक्तियां दी हैं, वे मेरे कोई रिश्तेदार नहीं हैं. जो कुछ भी किया है वो विश्वविद्यालय के हित में किया है. राजनीति करने वाले लोगों का मेरे पास कोई उपाय नहीं है.