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क्रेशर हटाने का मामला: साधु-संतों का आदिबद्री में प्रस्तावित महापड़ाव 20 दिसंबर तक स्थगित - क्रेशर हटाने का मामला

आदिबद्री व कनकांचल पर्वत क्षेत्र से क्रेशर हटाने की मांग पर साधु-संत 9 दिसंबर को महापड़ाव डालने वाले थे. लेकिन अब साधु-संतों का कहना है कि इस बारे में उनकी सरकार से सकारात्मक बातचीत चल रही है. इसलिए महापड़ाव को 20 दिसंबर तक स्थगित कर दिया गया (9 Dec Mahapadav deferred in Bharatpur) है.

9 Dec Mahapadav deferred in Bharatpur in crasher remove demand by Saints
क्रेशर हटाने का मामला: साधु-संतों का आदिबद्री में प्रस्तावित महापड़ाव 20 दिसंबर तक स्थगित
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Published : Dec 8, 2022, 9:28 PM IST

भरतपुर. आदिबद्री व कनकांचल पर्वत क्षेत्र से क्रेशरों को हटाने की मांग को लेकर साधु-संतों का 9 दिसंबर से प्रस्तावित महापड़ाव अब 20 दिसंबर तक स्थगित कर दिया गया (9 Dec Mahapadav deferred in Bharatpur) है. साधु-संतों ने बरसाने के मान मंदिर में बैठक आयोजित कर महापड़ाव को स्थगित करने का निर्णय लिया. संतों ने बताया कि सरकार और स्थानीय प्रशासन के साथ चल रही सकारात्मक वार्ता के चलते यह निर्णय लिया गया है.

प्रस्तावित महापड़ाव को लेकर साधु-संतों ने गुरुवार को बरसाना के मान मंदिर में बैठक आयोजित की. बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन से सकारात्मक वार्ता के चलते 9 दिसंबर से शुरू होने वाले संतों के महापड़ाव को आगामी 20 दिसंबर तक के लिए स्थगित किया जाता है. इस अवसर पर बैठक में मानमंदिर के अन्य आश्रमों के संतो के अलावा ब्रजकिशोर बाबा, राजकुमार बाबा, उड़िया बाबा, सुरेश शास्त्री, हनुमान बाबा, नारायण बाबा, गोपाल बाबा एवं मान मंदिर के प्रमुख रामजी लाल शास्त्री मौजूद रहे.

पढ़ें: भरतपुर में किन्नर और संत समाज आमने सामने, क्रेशर बैनिंग को लेकर दोनों अड़े

बैठक में मानमंदिर के अध्यक्ष एवं पर्वत संरक्षण समिति के संयोजक राधाकांत शास्त्री ने बताया कि संगठन के प्रमुख लोगों की वार्ता जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार के उच्च अधिकारियों से जारी है, जोकि सकारात्मक दिखती है. इसी के चलते महापड़ाव स्थगित किया गया है. राधाकांत शास्त्री ने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि राजस्थान सरकार ब्रज के पर्वतों की संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है और अवश्य ही इन क्रेशरों को हटाकर अन्यत्र स्थापित करने के लिए कार्य योजना तैयार करेगी.

पढ़ें: संतों की चेतावनी: क्रेशर बंद कराने के लिए अब आदिबद्री धाम में भागवत कथा, मांग नहीं मानी तो 9 से महापड़ाव!

गौरतलब है कि आदिबद्री धाम और कनकांचल पर्वत क्षेत्र को खनन से बचाने के लिए साधु-संतों ने करीब 551 दिन तक धरना दिया था. इस दौरान बाबा विजय दास ने पसोपा गांव में धरनास्थल के पास 20 जुलाई को खुद को आग लगा ली थी, जिनकी उपचार के दौरान दिल्ली में मौत हो गई थी. घटना के बाद राज्य सरकार ने 757.40 हेक्टेयर क्षेत्र को वन क्षेत्र घोषित कर दिया था. लेकिन अभी तक क्षेत्र से क्रेशर नहीं हटाए गए हैं. ऐसे में अब इन क्रेशरों को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं.

भरतपुर. आदिबद्री व कनकांचल पर्वत क्षेत्र से क्रेशरों को हटाने की मांग को लेकर साधु-संतों का 9 दिसंबर से प्रस्तावित महापड़ाव अब 20 दिसंबर तक स्थगित कर दिया गया (9 Dec Mahapadav deferred in Bharatpur) है. साधु-संतों ने बरसाने के मान मंदिर में बैठक आयोजित कर महापड़ाव को स्थगित करने का निर्णय लिया. संतों ने बताया कि सरकार और स्थानीय प्रशासन के साथ चल रही सकारात्मक वार्ता के चलते यह निर्णय लिया गया है.

प्रस्तावित महापड़ाव को लेकर साधु-संतों ने गुरुवार को बरसाना के मान मंदिर में बैठक आयोजित की. बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन से सकारात्मक वार्ता के चलते 9 दिसंबर से शुरू होने वाले संतों के महापड़ाव को आगामी 20 दिसंबर तक के लिए स्थगित किया जाता है. इस अवसर पर बैठक में मानमंदिर के अन्य आश्रमों के संतो के अलावा ब्रजकिशोर बाबा, राजकुमार बाबा, उड़िया बाबा, सुरेश शास्त्री, हनुमान बाबा, नारायण बाबा, गोपाल बाबा एवं मान मंदिर के प्रमुख रामजी लाल शास्त्री मौजूद रहे.

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बैठक में मानमंदिर के अध्यक्ष एवं पर्वत संरक्षण समिति के संयोजक राधाकांत शास्त्री ने बताया कि संगठन के प्रमुख लोगों की वार्ता जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार के उच्च अधिकारियों से जारी है, जोकि सकारात्मक दिखती है. इसी के चलते महापड़ाव स्थगित किया गया है. राधाकांत शास्त्री ने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि राजस्थान सरकार ब्रज के पर्वतों की संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है और अवश्य ही इन क्रेशरों को हटाकर अन्यत्र स्थापित करने के लिए कार्य योजना तैयार करेगी.

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गौरतलब है कि आदिबद्री धाम और कनकांचल पर्वत क्षेत्र को खनन से बचाने के लिए साधु-संतों ने करीब 551 दिन तक धरना दिया था. इस दौरान बाबा विजय दास ने पसोपा गांव में धरनास्थल के पास 20 जुलाई को खुद को आग लगा ली थी, जिनकी उपचार के दौरान दिल्ली में मौत हो गई थी. घटना के बाद राज्य सरकार ने 757.40 हेक्टेयर क्षेत्र को वन क्षेत्र घोषित कर दिया था. लेकिन अभी तक क्षेत्र से क्रेशर नहीं हटाए गए हैं. ऐसे में अब इन क्रेशरों को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं.

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