भरतपुर. जिले में हर दिन महिला अत्याचार और दुष्कर्म के मामले सामने आते रहते हैं. वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में महिला अत्याचार के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है. लेकिन हकीकत ये है कि लोग आपसी रंजिश के चलते महिला अत्याचार कानून को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. पुलिस विभाग के आंकड़ों की मानें तो जिले में वर्ष 2022 में दर्ज हुए महिला अत्याचार और दुष्कर्म के मामलों में से बड़ी संख्या में झूठे मामले पाए गए.
जिले में 10 प्रतिशत बढ़े मामले: पुलिस अधीक्षक श्याम सिंह ने बताया कि जिले में वर्ष 2021 में महिला अत्याचार के 1705 मामले दर्ज हुए जिनमें दुष्कर्म के 303 प्रकरण थे. जबकि वर्ष 2022 में महिला अत्याचार के कुल 1877 मामले दर्ज हुए, जिनमें दुष्कर्म के 334 मामले थे. जिले में वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में महिला अत्याचार के मामलों में 10.08% की वृद्धि हुई. जबकि राज्य में महिला अत्याचार का वृद्धि प्रतिशत 12.60 है, जो कि जिले से कहीं ज्यादा है.
पढ़ें: प्रदेश में बढ़ी 'फर्जी' मामलों की संख्या, अकेले महिला अत्याचार के 45 प्रतिशत मामले निकले झूठे
जिले में 61% मामले झूठे: एसपी श्याम सिंह ने बताया कि जिले में वर्ष 2022 में महिला अत्याचार के 1877 मामलों में से दुष्कर्म के 334 मामले सामने आए. दुष्कर्म के मामलों में से 102 में चालान पेश हुए जबकि 201 झूठे प्रकरण पाए गए. जिले में कुल महिला अत्याचार के मामलों में से 61.34% मामले झूठे पाए गए हैं, जो कि राज्य के औसत झूठे प्रकरणों 47.14% से काफी ज्यादा है.
पढ़ें: पिछले साल की तुलना में राजस्थान में 25 प्रतिशत बढ़ा महिला अत्याचार
बदला लेने के लिए हथियार बना कानून: एसपी ने बताया कि महिला अत्याचार और दुष्कर्म के मामलों की गहनता से जांच की जाती है. जांच में कई बार आरोप साबित नहीं हो पाता. पता चलता है कि मामला झूठा है. ऐसे में मामले में एफआर लगा दी जाती है. अधिकतर मामलों में जांच में सामने आया है कि आपसी रंजिश में विरोधी पार्टी से बदला लेने और उसे महिला अत्याचार कानून में फंसाने के लिए झूठे मामले दर्ज करा दिए जाते हैं. जिले में इस तरह के झूठे मामले राज्य के औसत झूठे मामलों की तुलना में बहुत ज्यादा सामने आते हैं.