बाड़मेर. कोरोना महामारी में चुने हुए नेता अपने घर पर बैठे हैं, लेकिन हम आपको एक ऐसे 25 साल की युवा पार्षद है, जो कि इस समय इस दुख की घड़ी में अपने इलाके में गरीब मजदूर सैकड़ों परिवारों को सुबह-शाम अपने इलाके के लोगों के दम पर खाना खिला रहा हैं.
सबसे बड़ी खास बात यह कि इलाके के समृद्ध लोग 11 बजे whats app कर देते है कि खाना तैयार हैं. इसके बाद वह उनके घर से खाना लेता है और अपने बैग में डालकर गरीब और मजदूर परिवारों को बांटने के लिए बाइक पर निकल जाता है. बाड़मेर जिला मुख्यालय पर पिछले 10 दिन से 20 परिवार सेवा के कार्य और परिवारों के आसपास पहुंच गए हैं, जो पार्षद रोज अपने इलाके के लोगों को खाना खिला रहा है.
बाड़मेर का युवा पार्षद प्रकाश खत्री ने इस महामारी के बारे में सुना तो उसे लगा कि अब सबसे बड़ी समस्या, तो यह है कि मेरे इलाके के गरीब और मजदूर, जो कि सुबह शाम करते हैं. वह भोजन कहां से लाएंगे, इसी पर प्रकाश खत्री ने चुनाव के टाइम जो ग्रुप व्हाट्सएप बनाया हुआ था, उसमें महिलाओं से पूछा कि आप अपने भोजन के साथ एक या दो टिफिन अतिरिक्त बना सकती है. क्या इस पर पहले दिन 20 और उसके बाद 70 से 80 टिफिन बनाने के लिए महिलाएं राजी हो गई.
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युवा पार्षद प्रकाश खत्री बताते हैं कि वह 11 बजे, जो महिलाएं व्हाट्सएप ग्रुप में टिफिन का अपडेट कर देती है. उनसे टिफिन लेकर 12 बजे तक इकट्ठा कर लेता है और फिर अपने इलाके में गरीब और मजदूरों को वही टिफिन दे देता है. शुरू में 15-20 टिफिन आ रहे थे, लेकिन अब रोज के 80 के आसपास टिफिन आ रहे हैं.
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बाड़मेर नगरपरिषद के वार्ड संख्या 51 के युवा पार्षद प्रकाश खत्री का काम इन दिनों नजीर बना हुआ है. प्रकाश खत्री ने फेसबुक और व्हाट्सएप ग्रुप से अपने वार्ड के लोगों से इस संकट के समय में आहत परिवारों को दोनों वक्त खाना मुहैया करवाने की राय शुमारी की. वार्ड के लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद खत्री ने लॉकडाउन के दूसरे दिन 20 परिवारों को उनके घर खाना पहुंचाने का काम शुरू किया, जोकि अब बढ़कर सैकड़ों परिवारों तक पहुंच चुका है.
खत्री के मुताबित उनके वार्ड में दिहाड़ी मजदूरों और हाथ ठेले वाले परिवारों को भोजन पहुंचाने का काम शुरू किया था. वार्ड के लोग खुद उन्हें फोन करके टिफिन ले जाने के लिए कहते हैं. वह अपने ही नहीं शहर भर में घर से बना खाना पहुंचा रहे हैं. प्रकाश खत्री की इस मुहिम से अब कई ग्रुप और संगठन जुड़े हैं, जिनका उद्देश्य किसी को भी भूखा नहीं सोने देना है.