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बाड़मेर: गर्मी के साथ रेगिस्तानी इलाकों में पानी को लेकर हाहाकार, सरहदी इलाके के ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

देश में जहां एक तरफ कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है तो वहीं भीषण गर्मी से भी लोग काफी परेशान हो रहे हैं. राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में पानी की दिक्कतें शुरू हो गई है. इस समस्या को लेकर ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर जल्द ही समस्या के समाधान की मांग की है.

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बाड़मेर में गर्मी से बेहार हो रहे लोग
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Published : May 21, 2020, 8:06 PM IST

बाड़मेर. एक तरफ जहां राजस्थान में कोविड-19 महामारी लोगों को अपना शिकार बना रही है, तो वहीं तेज गर्मी की वजह से अब रेगिस्तानी इलाकों में पानी की किल्लत शुरू हो गई है. हालत ये है कि बूंद-बूंद के लिए रेगिस्तान के रहने वाले लोग तरस रहे हैं.

राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में गर्मी के तीखे तेवर शुरू हो गए हैं. गर्म हवाओं के साथ लू के थपेड़ों से लोग जहां परेशान है. वहीं, अब इसके साथ ही गर्मी की वजह से जलस्तर भी नीचे चला गया है. जिस वजह से गांव की बेरियों का पानी सूख गया है. जिसके कारण इंसानों के साथ-साथ बेजुबान पशुओं के जीवन पर भी बन आई है. लिहाजा इसको लेकर ग्रामीण जिला मुख्यालय पर पहुंचकर अपनी पीड़ा बता रहे हैं, लेकिन सिवाय आश्वासन के उन्हें कुछ नहीं मिलता.

बाड़मेर में गर्मी से बेहार हो रहे लोग

भारत पाक सीमा से सटे सरहदी गांव गड़रारोड़ में गर्मी की वजह से पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है. जिसके चलते गांव के ग्रामीणों ने बाड़मेर जिला मुख्यालय पर पहुंचकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. साथ ही पेयजल की समस्या का शीघ्र निस्तारण करने की मांग की.

वहीं, ज्ञापन देने आए ग्रामीणों ने बताया कि पिछले लंबे समय से उनके गांव में पानी की भयंकर किल्लत है. गर्मी की वजह से जल स्तर नीचे चला गया है. जिस वजह से जल स्रोतों से पानी नहीं आ रहा है. लिहाजा गांव के लोगों के साथ मवेशियों के लिए भी जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है.

उन्होंने बताया कि ऐसे में उन्हें महंगे दामों पर पानी के टैंकर ड़लवाने पड़ रहे हैं जो कि हर किसी ग्रामीण के बस की बात नहीं है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने कई बार प्रशासन के अधिकारियों को अवगत करवाया, लेकिन समस्या जस की तस है. सिर्फ आश्वासन के उन्हें कुछ नहीं मिल रहा है. जिसके चलते उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में उन्होंने मांग की है कि प्रशासन उनकी समस्याओं को देखते हुए गांव में ट्यूबवेल या हैंडपंप सरकारी राशि स्वीकृत कर लगावाए, जिससे जलापूर्ति हो सके.

पढ़ें- बाड़मेर जुआ कांड की फिर से जांच शुरू, तीन पुलिसकर्मियों को किया सस्पेंड

जिले में पानी की समस्याओं को लेकर जिला कलेक्टर विश्राम मीणा का कहना है कि पानी की समस्याओं को लेकर कंटीन्जेसी प्लान और अन्य तैयारियां पूरी की जा चुकी है और पीएचडी के अधिकारियों को निर्देशित भी किया जा चुका है कि जहां भी पानी की समस्या सामने आ रही है वहां पर उस समस्या का समाधान शीघ्र किया जाए.

बता दें कि राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में तेज तपती धूप के साथ गर्म हवाओं का भी दौर चल रहा है. इस वजह से जल स्तर नीचे चला गया है. जिस वजह से जल स्रोतों से पानी नहीं आ रहा है. जिसके कारण इंसानों के साथ-साथ बेजुबान जानवरों की भी हालत खराब है. लिहाजा सरकार को समय रहते दूरदराज गांव तक पानी उपलब्ध करवाने को लेकर कोई ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि लोगों को इस गर्मी में समय पर पानी मिल सके.

बाड़मेर. एक तरफ जहां राजस्थान में कोविड-19 महामारी लोगों को अपना शिकार बना रही है, तो वहीं तेज गर्मी की वजह से अब रेगिस्तानी इलाकों में पानी की किल्लत शुरू हो गई है. हालत ये है कि बूंद-बूंद के लिए रेगिस्तान के रहने वाले लोग तरस रहे हैं.

राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में गर्मी के तीखे तेवर शुरू हो गए हैं. गर्म हवाओं के साथ लू के थपेड़ों से लोग जहां परेशान है. वहीं, अब इसके साथ ही गर्मी की वजह से जलस्तर भी नीचे चला गया है. जिस वजह से गांव की बेरियों का पानी सूख गया है. जिसके कारण इंसानों के साथ-साथ बेजुबान पशुओं के जीवन पर भी बन आई है. लिहाजा इसको लेकर ग्रामीण जिला मुख्यालय पर पहुंचकर अपनी पीड़ा बता रहे हैं, लेकिन सिवाय आश्वासन के उन्हें कुछ नहीं मिलता.

बाड़मेर में गर्मी से बेहार हो रहे लोग

भारत पाक सीमा से सटे सरहदी गांव गड़रारोड़ में गर्मी की वजह से पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है. जिसके चलते गांव के ग्रामीणों ने बाड़मेर जिला मुख्यालय पर पहुंचकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. साथ ही पेयजल की समस्या का शीघ्र निस्तारण करने की मांग की.

वहीं, ज्ञापन देने आए ग्रामीणों ने बताया कि पिछले लंबे समय से उनके गांव में पानी की भयंकर किल्लत है. गर्मी की वजह से जल स्तर नीचे चला गया है. जिस वजह से जल स्रोतों से पानी नहीं आ रहा है. लिहाजा गांव के लोगों के साथ मवेशियों के लिए भी जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है.

उन्होंने बताया कि ऐसे में उन्हें महंगे दामों पर पानी के टैंकर ड़लवाने पड़ रहे हैं जो कि हर किसी ग्रामीण के बस की बात नहीं है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने कई बार प्रशासन के अधिकारियों को अवगत करवाया, लेकिन समस्या जस की तस है. सिर्फ आश्वासन के उन्हें कुछ नहीं मिल रहा है. जिसके चलते उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में उन्होंने मांग की है कि प्रशासन उनकी समस्याओं को देखते हुए गांव में ट्यूबवेल या हैंडपंप सरकारी राशि स्वीकृत कर लगावाए, जिससे जलापूर्ति हो सके.

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जिले में पानी की समस्याओं को लेकर जिला कलेक्टर विश्राम मीणा का कहना है कि पानी की समस्याओं को लेकर कंटीन्जेसी प्लान और अन्य तैयारियां पूरी की जा चुकी है और पीएचडी के अधिकारियों को निर्देशित भी किया जा चुका है कि जहां भी पानी की समस्या सामने आ रही है वहां पर उस समस्या का समाधान शीघ्र किया जाए.

बता दें कि राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में तेज तपती धूप के साथ गर्म हवाओं का भी दौर चल रहा है. इस वजह से जल स्तर नीचे चला गया है. जिस वजह से जल स्रोतों से पानी नहीं आ रहा है. जिसके कारण इंसानों के साथ-साथ बेजुबान जानवरों की भी हालत खराब है. लिहाजा सरकार को समय रहते दूरदराज गांव तक पानी उपलब्ध करवाने को लेकर कोई ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि लोगों को इस गर्मी में समय पर पानी मिल सके.

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