बाड़मेर. जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर के छात्रसंघ अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटी और छात्रों पर कुछ दिन पूर्व पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज के विरोध में और जेएनवीयू की जमीन को जेडीयू देने के मामले को लेकर सरहदी बाड़मेर के छात्रों में जबरदस्त तरीके का आक्रोश देखने को मिल रहा है. छात्रों ने सोमवार को कॉलेज परिसर में जेएनवीयू वीसी के खिलाफ जबरदस्त तरीके से विरोध प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की. वहीं छात्रों का आरोप है कि जेएनवीयू कुलपति छात्रों की आवाज को नहीं सुन रहे हैं. ऐसे में आज बैल के गले में कुलपति के नाम ज्ञापन सौंपकर आक्रोश प्रकट किया.
छात्र नेता गजेंद्र सिंह गोरिडया ने बताया कि जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी की जमीन को जेडीयू को बेची जा रही है. इसी को लेकर यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटी के साथ छात्र छात्राओं ने अपने हक को लेकर आवाज उठाई तो इन छात्रों की आवाज को दबाने के लिए कॉलेज यूनिवर्सिटी ने पुलिस के जरिए लाठीचार्ज करवाया और कई स्टूडेंटों को हिरासत में भी लिया.
इस घटना को लेकर प्रदेश भर में छात्रों में आक्रोश है. उन्होंने कहा कि कुलपति के नाम हमने पहले भी कई बार ज्ञापन सौंपा है, लेकिन उनके कानों की जू तक नहीं रेंग रही है. लिहाजा आज हमने बैल के गले में कुलपति के नाम ज्ञापन बांधा है. ताकि यह बैल जहां भी जाएगा. इससे हमारी मांगें आमजन तक पहुंचेगी, क्योंकि कुलपति तो हमारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं. उन्होंने यूनिवर्सिटी के प्रशासन के साथ सरकार को चेतावनी हुए कहा कि जल्द ही यूनिवर्सिटी के छात्रों की मांगे नहीं मानी गई तो बड़े स्तर पर छात्र शक्ति आंदोलन करेगी. जिसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की रहेगी.
गौरतलब है कि 3 फरवरी को जेएनवीयू छात्रसंघ अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटी के नेतृत्व में यूनिवर्सिटी के छात्र छात्राएं अपनी विभिन्न मांगों को लेकर विश्वविद्यालय में प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा पुलिस को सूचित किया गया और पुलिस ने छात्र-छात्राओं पर लाठियां बरसाने के साथ ही छात्र नेता रविंद्र सिंह भाटी को भी गिरफ्तार किया था. जिसके बाद से ही जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से जुड़े छात्र छात्राएं छात्र नेताओं के समर्थन में उनके सैकड़ों समर्थक इस आंदोलन से जुड़कर विश्वविद्यालय प्रशासन एवं सरकार की निंदा करते नजर आ रहे हैं.
राज्य वित्त आयोग से नहीं मिली रही राशि, ग्राम पंचायतों के बिगड़ रहे आर्थिक हालत, विरोध में सरपंचों ने किया धरना प्रदर्शन
राज्य वित्त आयोग की राशि नहीं मिलने से ग्राम पंचायतों की बिगड़ रही आर्थिक हालत को लेकर सोमवार को कोटा के सांगोद क्षेत्र के सरपंचों ने भी पंचायत समिति कार्यालय के बाहर सांकेतिक धरना दिया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान सरपंचों ने अपनी समस्याओं से खंड विकास अधिकारी को भी अवगत कराया और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर अपनी गुहार लगाई. इस दौरान सरपंचों ने 1 घंटे से अधिक समय तक सांकेतिक तौर पर धरना देकर नाराजगी जताई.
पंचायतीराज के चुनाव हुए तो गांव के विकास का सपना लेकर सरपंचों ने पंचायतों का कार्यभार संभाला. उम्मीद थी कि सरकार से मिलने वाले बजट से ना केवल गांव का विकास करेंगे, बल्कि आमजन की समस्याओं का भी समाधान करेंगे. लेकिन सरपंचों की यह उम्मीद पूरी नहीं हो रही है.
राज्य सरकार की ओर से गांवों के विकास के लिए राज्य वित्त आयोग के माध्यम से जनसंख्सा के अनुपात में वर्ष में दो बार अनुदान राशि ग्राम पंचायतों के खातों में जमा करने का प्रावधान है, लेकिन गत दो साल से ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के माध्यम से इस मद में एक रुपया भी जमा नहीं कराया. राशि के अभाव में अधिकांश ग्राम पंचायतों की हालत खस्ता होने लगी है. अन्य मदों से प्राप्त होने वाली थोड़ी बहुत राशि से ग्राम पंचायतें कार्य कर रही हैं.
मनरेगा कर्मियों ने काम बंद होने पर जताया विरोध
चूरू जिले की रतनगढ़ तहसील की ग्राम पंचायत लुंछ में करीब 6 दिन से नरेगा कार्य बंद करने पर नरेगा कर्मियों का गुस्सा फूट पड़ा. सोमवार को उन्होंने ग्राम पंचायत को ताला लगा कर उसके आगे जमकर नारेबाजी व प्रदर्शन किया.
इस दौरान नरेगा कर्मियों ने विकास अधिकारी व ग्रामसेवक के खिलाफ भेदभाव का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की. ग्रामीणों का कहना है कि इसी पंचायत के अन्य 2 गांव में और पंचायतों में नरेगा का कार्य लगातार जारी है. इसके बावजूद भी संबंधित अधिकारियों ने बजट नहीं होने की बात कहकर भेदभाव करते हुए यहां पर 6 दिन से नरेगा कार्य बंद कर दिया है.
इससे गरीब नरेगा कर्मियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बार-बार अधिकारियों को अवगत करवाने के बाद भी अधिकारी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं तथा बजट नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं. इस दौरान ग्राम सरपंच सहित नरेगा कर्मी दर्जनों महिलाएं एवं पुरुष मौजूद थे.