चौहटन (बाड़मेर). आमतौर पर सांप को देख लोग डर जाते हैं और उसे मारने के लिए लाठियां उठा लेते हैं. लेकिन संग्राम सिंह ऐसे शख्स है, जिनका मकसद सांपों को बचाना है. घरों और दुकानों में अचानक आने वाले सांपों को पकड़कर उनको आबादी वाले क्षेत्र से बाहर छोड़ने वाले संग्राम सिंह, ना केवल सांप पकड़ते हैं बल्कि उनसे खेलते भी है. महज 25 साल के संग्राम अब तक करीब 600 से ज्यादा सांपों को पकड़कर आबादी वाले इलाके से बाहर छोड़ चुके है.
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बाड़मेर के चौहटन कस्बे में रहने वाले इस युवक ने 19 साल की छोटी सी उम्र में ही सांपों से दोस्ती करना शुरू कर दिया था. चौहटन के पहाड़ियों और रेतीले टीलों के बीच झाड़ियों में बिल बनाकर बसने वाले सांप, कभी-कभी आम बस्तियों के घरों और दुकानों में घुस जाते है. जिसे देखते ही लोग दहशत में बस एक ही नाम पुकारते है और वो है स्नैक केचर संग्राम सिंह का.
सांप होने की खबर मिलते ही तुरंत संग्राम सिंह मौके पर पहुंचते है और सांप को अपने वश में करके दोस्त बना लेते है. सांपों की दोस्ती और उनको किसी तरह से कोई नुकसान ना पहुंचाएं इसके लिए संग्राम सिंह हमेशा तत्पर रहते हैं. संग्राम बताते है कि 6 साल पहले एक जिंदा सांप को उन्होंने अपने हाथों से छुआ था. हाथ लगते ही सांप को मुठ्ठी में भर लिया तो सांप उससे खेलने लग गया. बस यहीं से उसका डर खत्म होकर हौसले में तब्दील हो गया.
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अब तो वह अपने गले में भी सांप रमाने लगा है. संग्राम सिंह किसी भी स्थान पर अपनी सेवा देने को हर दम तैयार रहते है और वो भी बिना किसी पैसों के. अपनी बारहवीं की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं और एक निजी कम्पनी में बतौर ऑपरेटर सेवा देकर अपनी आजीविका चलाते है. उसके पिताजी जगदीश सिंह एसएसबी से रिटायर्ड होकर एक बैंक में गार्ड के पद पर सेवारत हैं.