सिवाना (बाड़मेर). ग्रामीण क्षेत्रों में सदियों से चली आ रही परंपरा को बरकरार रखते हुए किसान भाइयों ने अक्षय तृतीया पर शगुन देखते हुए अच्छी बारिश के संकेत दिए. वहीं इस बार भी आखातीज पर होने वाली शादियाें पर कोरोना का असर देखने को मिला. बारिश के मौसम से पहले किसानों का मानना है कि अक्षय तृतीया से पूर्व पूर्णिमा के दिन खेतों में हल जोत कर अच्छे शगुन की इंद्रदेव से कामना की जाती है. 3 दिनों तक खेतों में हल जोतने की प्रक्रिया जारी रहती है.
अक्षय तृतीया पर किसान भाई इकट्ठा होकर मिट्टी के थम बनाकर जेठ, आषाड़, श्रावण, भाद्रपद महीने के मिट्टी के बर्तन बनाते हैं. फिर उनके अंदर पानी भरते हैं. हिंदू महीने के पक्ष के अनुसार जिस थम के मिट्टी का बर्तन जल्दी फूटता है, माना जाता है कि उस महीने अच्छी बारिश होती है. किसानों का मानना है कि इस वर्ष अच्छे संकेत मिल रहे हैं और सूखे रेगिस्तान में अच्छी बारिश की संभावना है.
आखातीज के अबूझ सावा पर असर
कोरोना वायरस के चलते क्षेत्र भर में कई परिवाराें में इस बार आखातीज पर होने वाली शादियां टल गई हैं. क्षेत्र भर में शादियों को लेकर हुई विभिन्न प्रकार की एडवांस बुकिंग रद्द हो रही हैं. वहीं शादियों पर भोजन, व्यंजनों के साथ मिठाइयों और नमकीन बनाने वाले हलवाइयों का कारोबार चौपट हो गया. शादियाें की बुकिंग रद्द हाेने से फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, साेने-चांदी व कपड़ाें आदि का काराेबार चौपट हो गया है.
वहीं अक्षय तृतीया का त्योहार शुभ होने से सोने की खरीदारी को शुभ माना गया है. वही धनतेरस व दिवाली के बाद इसी त्योहार में लोग जमकर सोने की खरीदारी करते हैं. लेकिन इस बार कोरोना के चलते लॉकडाउन होने से सोने-चांदी की खरीदारी नहीं हाे पाई.
बाल विवाह नहीं करने का दिया संदेश
अक्षय तृतीया (आखातीज) पर बच्चों ने दूल्हा-दुल्हन का वेश धारण कर बाल-विवाह नहीं करने का संदेश दिया. सिवाना उपखंड अधिकारी कुसुमलता चौहान की पहल पर बच्चों ने बाली उमर में बाल विवाह नहीं करने का संदेश दिया.