सिवाना (बाड़मेर). राज्य सरकार अपनी बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रदेश में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के पीछे खर्च कर रही है. सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई कदम उठाए हैं, जिनमें सरकारी विद्यालयों को हर प्रकार की सुविधा से युक्त बनाने के लिए कई योजना चलायी जा रही हैं. ऐसे में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जमीनी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत ग्राउण्ड जीरो पर जाकर सरकारी स्कूलों का रियलिटी चेक कर रहा है.
स्कूलों का सरकारी हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम बाड़मेर के सिवाना पहुंची. जहां टीम ने कस्बे के 3 सरकारी स्कूलों में जाकर वहां के हालातों का जायजा लिया. इस रियलिटी में हमारी टीम ने स्कूलों में, इमारत, मिड-डे-मिल, शौचालय, स्वच्छता और शिक्षक और शिक्षा व्यवस्था को लेकर जांच-पड़ताल की.
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जर्जर भवन में गढ़ा जा रहा भविष्य...
कस्बे के राजकीय प्राथमिक विद्यालय नया देवड़ा में स्कूल के भवन की हालत जर्जर मिली. वहीं स्कूल के शौचालय में ताला जड़ा हुआ मिला. साथ ही साफ-सफाई का हाल भी बदहाल है. इस प्राथमिक विद्यालय में बच्चों की स्वच्छता को लेकर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
वहीं विद्यालय के छोटे-छोटे बच्चे ऐसे भवन में बैठकर पढ़ते है, जहां छत से लोहे के सरिए निकले हुए हैं. पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है. शौचालय में ताला बंद है, साफ-सफाई नहीं है. ये है राजकीय प्राथमिक विद्यालय नया देवड़ा का सरकारी हाल.
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बच्चों को मिल रहा ऐसा पोषहार...
वहीं इसी कस्बे के मेला मैदान राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय संख्या 2 की जांच में सामने आया कि इस उच्च प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार पर ध्यान दिया जाता है. कस्बे के इस विद्यालय में मिड-डे-मिल मेन्यू के अनुसार दिया जाता है. साथ ही बच्चों को दूध और फल भी दिए जाते हैं.
जहां एक ओर इस स्कूल में मिड-डे-मिल की व्यस्था ठीक-ठाक है. वहीं स्वस्छता और पानी आदि की सुविधाएं भी संतोषजनक है. इस स्कूल के शौचालयों में सफाई है. लेकिन वाबजुद इन सबके पानी के बहने के लिए नाली नहीं है, साथ ही यहां मध्याह्न भोजन के समय बैठने के चटाई या बैठने की अन्य व्यवस्था नहीं है, जिस वजह से बच्चें जमीन पर बैठने के लिए मजबूर हैं.
'आदर्श विद्यायल' सच में आदर्श...
इन दोनों स्कूलों के इतर सिवाना कस्बे में बालिकाओं के लिए राजकीय आदर्श बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय है. स्कूल में कई तरह की सुविधाएं हैं. यहां तक कि व्यवसायिक शिक्षा की कक्षा भी संचालित होती हैं. साथ ही विद्यालय का भवन भी सभी सुविधाओं से युक्त है. सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे हैं, तकनीकी शिक्षा के लिए कम्प्यूटर लैब है, लाइब्रेरी है और ऐसी अनेक सुविधाओं से लैस है यह विद्यालय.
विद्यालय प्रमुख ने बताया कि यहां 700 से अधिक छात्राएं पढ़ रही हैं. सभी विषयों के विषयवार अध्यापक हैं. छात्राओं को अध्ययन के लिए लाइब्रेरी की सुविधाओं के साथ कंप्यूटर शिक्षा और व्यवसायिक कार्यों से जुड़े विषयों पर भी छात्राओं को अध्ययन करवाया जाता है. साथ ही विद्यालय में सीसीटीवी की निगरानी में अध्ययन होता है.
सरकारी स्कूलों में बच्चों को शिक्षित करने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्ज कर रही है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने बच्चों को हर तरह की सुविधा दी जा रही है. लेकिन अलग-अगल कारणों से बच्चों को वो सुविधाएं समिचित नहीं मिल पा रही है. बच्चों को उनके शिक्षा अधिकार वैसा नहीं मिल पा रहा है, जैसा मिलना चाहिए. प्रदेश के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों के स्कूलों का हाल राजकीय प्राथमिक विद्यालय नया देवड़ा जैसा ही है. वहीं कई राजकीय आदर्श बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय जैसे स्कूल सुविधाओं के मामले में निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ रहा है.