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सरकारी स्कूलों के सूरत-ए-हाल: कुछ के हालात गड़बड़ तो कुछ के सही, कहीं जर्जर भवन में गढ़ा जा रहा 'भविष्य' - sewana news

राज्य सरकार अपनी बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रदेश में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के पीछे खर्च कर रही है. ऐसे में स्कूलों का सरकारी हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने बाड़मेर के सिवाना के 3 सरकारी स्कूलों में जाकर वहां के हालातों का जायजा लिया. जानिए इस रिपोर्ट से...

Reality check of government school, आदर्श विद्यायल का रियलिटी चेक
सिवाना के स्कूलों का रियलिटी चेक
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Published : Dec 24, 2019, 12:12 PM IST

सिवाना (बाड़मेर). राज्य सरकार अपनी बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रदेश में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के पीछे खर्च कर रही है. सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई कदम उठाए हैं, जिनमें सरकारी विद्यालयों को हर प्रकार की सुविधा से युक्त बनाने के लिए कई योजना चलायी जा रही हैं. ऐसे में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जमीनी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत ग्राउण्ड जीरो पर जाकर सरकारी स्कूलों का रियलिटी चेक कर रहा है.

सिवाना के स्कूलों का रियलिटी चेक

स्कूलों का सरकारी हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम बाड़मेर के सिवाना पहुंची. जहां टीम ने कस्बे के 3 सरकारी स्कूलों में जाकर वहां के हालातों का जायजा लिया. इस रियलिटी में हमारी टीम ने स्कूलों में, इमारत, मिड-डे-मिल, शौचालय, स्वच्छता और शिक्षक और शिक्षा व्यवस्था को लेकर जांच-पड़ताल की.

ये पढ़ेंः स्पेशल: अव्यवस्था! आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर 'देश का भविष्य', सर्दी भी सितम ढा रही

जर्जर भवन में गढ़ा जा रहा भविष्य...

कस्बे के राजकीय प्राथमिक विद्यालय नया देवड़ा में स्कूल के भवन की हालत जर्जर मिली. वहीं स्कूल के शौचालय में ताला जड़ा हुआ मिला. साथ ही साफ-सफाई का हाल भी बदहाल है. इस प्राथमिक विद्यालय में बच्चों की स्वच्छता को लेकर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

वहीं विद्यालय के छोटे-छोटे बच्चे ऐसे भवन में बैठकर पढ़ते है, जहां छत से लोहे के सरिए निकले हुए हैं. पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है. शौचालय में ताला बंद है, साफ-सफाई नहीं है. ये है राजकीय प्राथमिक विद्यालय नया देवड़ा का सरकारी हाल.

ये पढ़ेंः स्कूलों के 'सरकारी' हाल: अजमेर में 38 स्कूलों में जोखिम उठाकर बच्चे ले रहे हैं शिक्षा, देखें रिपोर्ट

बच्चों को मिल रहा ऐसा पोषहार...

वहीं इसी कस्बे के मेला मैदान राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय संख्या 2 की जांच में सामने आया कि इस उच्च प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार पर ध्यान दिया जाता है. कस्बे के इस विद्यालय में मिड-डे-मिल मेन्यू के अनुसार दिया जाता है. साथ ही बच्चों को दूध और फल भी दिए जाते हैं.

जहां एक ओर इस स्कूल में मिड-डे-मिल की व्यस्था ठीक-ठाक है. वहीं स्वस्छता और पानी आदि की सुविधाएं भी संतोषजनक है. इस स्कूल के शौचालयों में सफाई है. लेकिन वाबजुद इन सबके पानी के बहने के लिए नाली नहीं है, साथ ही यहां मध्याह्न भोजन के समय बैठने के चटाई या बैठने की अन्य व्यवस्था नहीं है, जिस वजह से बच्चें जमीन पर बैठने के लिए मजबूर हैं.

ये पढ़ेंः स्कूलों के 'सरकारी' हाल: जयपुर नगर निगम की ओर संचालित पिंक सिटी स्कूल के हालात बद से बदतर, देखिए रिपोर्ट

'आदर्श विद्यायल' सच में आदर्श...

इन दोनों स्कूलों के इतर सिवाना कस्बे में बालिकाओं के लिए राजकीय आदर्श बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय है. स्कूल में कई तरह की सुविधाएं हैं. यहां तक कि व्यवसायिक शिक्षा की कक्षा भी संचालित होती हैं. साथ ही विद्यालय का भवन भी सभी सुविधाओं से युक्त है. सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे हैं, तकनीकी शिक्षा के लिए कम्प्यूटर लैब है, लाइब्रेरी है और ऐसी अनेक सुविधाओं से लैस है यह विद्यालय.

विद्यालय प्रमुख ने बताया कि यहां 700 से अधिक छात्राएं पढ़ रही हैं. सभी विषयों के विषयवार अध्यापक हैं. छात्राओं को अध्ययन के लिए लाइब्रेरी की सुविधाओं के साथ कंप्यूटर शिक्षा और व्यवसायिक कार्यों से जुड़े विषयों पर भी छात्राओं को अध्ययन करवाया जाता है. साथ ही विद्यालय में सीसीटीवी की निगरानी में अध्ययन होता है.

सरकारी स्कूलों में बच्चों को शिक्षित करने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्ज कर रही है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने बच्चों को हर तरह की सुविधा दी जा रही है. लेकिन अलग-अगल कारणों से बच्चों को वो सुविधाएं समिचित नहीं मिल पा रही है. बच्चों को उनके शिक्षा अधिकार वैसा नहीं मिल पा रहा है, जैसा मिलना चाहिए. प्रदेश के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों के स्कूलों का हाल राजकीय प्राथमिक विद्यालय नया देवड़ा जैसा ही है. वहीं कई राजकीय आदर्श बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय जैसे स्कूल सुविधाओं के मामले में निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ रहा है.

सिवाना (बाड़मेर). राज्य सरकार अपनी बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रदेश में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के पीछे खर्च कर रही है. सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई कदम उठाए हैं, जिनमें सरकारी विद्यालयों को हर प्रकार की सुविधा से युक्त बनाने के लिए कई योजना चलायी जा रही हैं. ऐसे में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जमीनी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत ग्राउण्ड जीरो पर जाकर सरकारी स्कूलों का रियलिटी चेक कर रहा है.

सिवाना के स्कूलों का रियलिटी चेक

स्कूलों का सरकारी हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम बाड़मेर के सिवाना पहुंची. जहां टीम ने कस्बे के 3 सरकारी स्कूलों में जाकर वहां के हालातों का जायजा लिया. इस रियलिटी में हमारी टीम ने स्कूलों में, इमारत, मिड-डे-मिल, शौचालय, स्वच्छता और शिक्षक और शिक्षा व्यवस्था को लेकर जांच-पड़ताल की.

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जर्जर भवन में गढ़ा जा रहा भविष्य...

कस्बे के राजकीय प्राथमिक विद्यालय नया देवड़ा में स्कूल के भवन की हालत जर्जर मिली. वहीं स्कूल के शौचालय में ताला जड़ा हुआ मिला. साथ ही साफ-सफाई का हाल भी बदहाल है. इस प्राथमिक विद्यालय में बच्चों की स्वच्छता को लेकर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

वहीं विद्यालय के छोटे-छोटे बच्चे ऐसे भवन में बैठकर पढ़ते है, जहां छत से लोहे के सरिए निकले हुए हैं. पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है. शौचालय में ताला बंद है, साफ-सफाई नहीं है. ये है राजकीय प्राथमिक विद्यालय नया देवड़ा का सरकारी हाल.

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बच्चों को मिल रहा ऐसा पोषहार...

वहीं इसी कस्बे के मेला मैदान राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय संख्या 2 की जांच में सामने आया कि इस उच्च प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार पर ध्यान दिया जाता है. कस्बे के इस विद्यालय में मिड-डे-मिल मेन्यू के अनुसार दिया जाता है. साथ ही बच्चों को दूध और फल भी दिए जाते हैं.

जहां एक ओर इस स्कूल में मिड-डे-मिल की व्यस्था ठीक-ठाक है. वहीं स्वस्छता और पानी आदि की सुविधाएं भी संतोषजनक है. इस स्कूल के शौचालयों में सफाई है. लेकिन वाबजुद इन सबके पानी के बहने के लिए नाली नहीं है, साथ ही यहां मध्याह्न भोजन के समय बैठने के चटाई या बैठने की अन्य व्यवस्था नहीं है, जिस वजह से बच्चें जमीन पर बैठने के लिए मजबूर हैं.

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'आदर्श विद्यायल' सच में आदर्श...

इन दोनों स्कूलों के इतर सिवाना कस्बे में बालिकाओं के लिए राजकीय आदर्श बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय है. स्कूल में कई तरह की सुविधाएं हैं. यहां तक कि व्यवसायिक शिक्षा की कक्षा भी संचालित होती हैं. साथ ही विद्यालय का भवन भी सभी सुविधाओं से युक्त है. सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे हैं, तकनीकी शिक्षा के लिए कम्प्यूटर लैब है, लाइब्रेरी है और ऐसी अनेक सुविधाओं से लैस है यह विद्यालय.

विद्यालय प्रमुख ने बताया कि यहां 700 से अधिक छात्राएं पढ़ रही हैं. सभी विषयों के विषयवार अध्यापक हैं. छात्राओं को अध्ययन के लिए लाइब्रेरी की सुविधाओं के साथ कंप्यूटर शिक्षा और व्यवसायिक कार्यों से जुड़े विषयों पर भी छात्राओं को अध्ययन करवाया जाता है. साथ ही विद्यालय में सीसीटीवी की निगरानी में अध्ययन होता है.

सरकारी स्कूलों में बच्चों को शिक्षित करने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्ज कर रही है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने बच्चों को हर तरह की सुविधा दी जा रही है. लेकिन अलग-अगल कारणों से बच्चों को वो सुविधाएं समिचित नहीं मिल पा रही है. बच्चों को उनके शिक्षा अधिकार वैसा नहीं मिल पा रहा है, जैसा मिलना चाहिए. प्रदेश के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों के स्कूलों का हाल राजकीय प्राथमिक विद्यालय नया देवड़ा जैसा ही है. वहीं कई राजकीय आदर्श बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय जैसे स्कूल सुविधाओं के मामले में निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ रहा है.

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सरकारी विद्यालयों की जमीनी हकीकत को जानते के लिये आज क्षेत्र की कई विद्यालयों का ईटीवी भारत की टीम द्वारा जायजा लिया गया।



सिवाना(बाड़मेर)



सिवाना क्षेत्र की विभिन्न सरकारी स्कूलों में आज ईटीवी भारत ने जमीनी हकीकत जानने के लिए विद्यालयों का जायजा लिया जहां सरकार द्वारा चलाई जा रही मिड डे मील योजना का साकार रूप देखने को मिला। वहीं कस्बे की राजकीय आदर्श बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में स्मार्ट क्लासॉ से लेकर व्यवसायिक विषयों की क्लासों का बखूबी संचालन देखने को मिला। वही क्षेत्र की मेला मैदान राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय संख्या 2 सिवाना में मिड डे मील मे पकने वाले भोजन और भोजन की गुणवत्ता के बेहतरीन उदाहरण देखने को मिले। साथी क्षेत्र के कई विद्यालयों में कक्षा कक्ष भवनों के जर्जर हालात हुआ, स्वच्छता को लेकर कमियां भी देखने को मिली।



Body:वियु‌‌‌‌_01 सरकार ने जिस मंशा और उद्देश्यों के साथ सरकारी विद्यालयों में मिड डे मील योजना को शुरू किया है उसका उसका संचालन और स्कूली विद्यार्थियों को कुपोषण से निजात दिलाना सार्थक साबित हो रहा है सरकारी विद्यालयों में मिड डे मील योजना को लेकर सप्ताह में बनने वाले पोषाहार मिड डे मील मीनू के अनुसार पाया जाना योजना को सफल बनाने का पर्याय माना जा सकता है। भले ही क्षेत्र भर में अपवाद रूप में कमियां देखने को मिले लेकिन क्षेत्र के अधिकतर विद्यालयों में मिड डे मील मीनू के अनुसार स्कूली विद्यार्थियों को भोजन में मिलने वाली सामग्री मिड डे मील मीनू के अनुरूप ही भोजन व्यवस्था देखने आज देखने को मिली।



वियु_02 सरकारी विद्यालयों में कस्बे की राजकीय आदर्श बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में आज मिड डे मील मीनू के अंतर्गत मिलने वाले भोजन में आज मंगलवार का दिन होने से स्कूली छात्रों को दाल और चावल भोजन छात्रों की थाली में नजर आया वहीं छात्रों से हुई वार्तालाप में बताया कि हमें यहां विद्यालय में समय समय पर मीनू अनुसार भोजन मिलता है साथ ही पीने को दूध और फल भी दिये जाते हैं। विद्यालय परिसर के लिए जायजे में पाया गया कि विद्यालय कस्बे का एकमात्र सबसे बड़ी संख्या में छात्राओं को अध्ययन कराने वाला विद्यालय है, जहां सभी विषयों के विषयवार अध्यापक एवं छात्राओं को अध्ययन के लिए लाइब्रेरी की सुविधाओं के साथ कंप्यूटर शिक्षा व व्यवसायिक कार्यों से जुड़े विषयों पर भी छात्राओं को अध्ययन करवाया जाता है साथ ही विद्यालय में सीसीटीवी की निगरानी में अध्ययन होता है। जो सरकारी विद्यालयों का बेहतरीन उदाहरण माना जा सकता है।

Byte_01 वासुदेव कुमार शर्मा, प्रधानाचार्य

Byte_02 दीपिका चौहान अध्यापिका, पोषाहार इंचार्ज

Byte_03 अध्यापिका, व्यवसायिक विषय







वियु_03 कस्बे के मेला मैदान स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय संख्या 2 सिवाना ईटीवी भारत की टीम द्वारा आकस्मिक लिए गए जायजे में पाया गया कि मिड डे मील पोषाहार की गुणवत्ता और भोजन में शुद्धता को लेकर पूरा ख्याल रखा जाता है, वही कुककम हेल्पर द्वारा बच्चों के लिए बनाई जाने वाली रोटी के आटे के लिए गेहूं की जिस तरह से बारीकी से सफाई करके उपयोग में लिया जाना, यह सरकारी विद्यालयों के लिए बहुत ही बड़ा अच्छा उदाहरण देखने को मिला, जहां भोजन सामग्री को लेकर बारीकी से सफाई करके उपयोग में लिया जाता है।

कई बार हमें सरकारी विद्यालयों में भोजन सामग्री में कीड़े मकोड़े सहित सड़े गले गेहूं को उपयोग में लेने के मामले देखने को मिलते हैं लेकिन यहां खाद्य सामग्री को जिस तरह से घरों साफ सुथरा करके उपयोग में लिया जाता है ठीक वैसे ही उदाहरण यहां देखने को मिला, साथ ही विद्यालय में भोजन में आज दाल और चावल मिड डे मील मीनू के अनुसार छात्राओं को परोसा हुआ पाया गया, वही पानी और शौचालय की सुविधाएं बेहतरीन देखने को मिली शौचालय में साफ-सफाई के साथ हाथ धोने के साबुन से लेकर पीने के पानी में वॉटर कुलर की सुविधाएं सरकारी विद्यालयों में आज देखने को मिल रही है, साथी छात्रों ने बताया कि विद्यालय में हमें अच्छा भोजन मिलता है।

विद्यालयों में भोजन बनाने वाली कुक कम हेल्पर को कम मानदेय मिलने व समय पर उनका मानदेय नहीं मिलने की पीड़ा भी सुनने को मिली जो बरसों से विद्यालयों में खाना बनाने का काम कर रही हैं लेकिन उन्हें नाम मात्र मानदेय मिलते हैं जो उनके लिए नाकाफी है।

Byte_04 कमला देवी, कुककम हेल्पर, राउप्राविसं. 2 सिवाना



वियु_ 04_क्षेत्र के कुछ विद्यालयों में आज भी कक्षा कक्ष भवनों की कमी व जर्जर भवनों की हालत देखने को मिल रही है। वहीं कई जगहों पर रमसा योजना के अंतर्गत कक्षा कक्ष भवनों का निर्माण समय पर नहीं होना भी बड़ी समस्या बनी हुई है तो कई विद्यालय के कक्षा कक्षा जर्जर अवस्था में है।



आज का दिन विद्यालयों में अर्धवार्षिक परीक्षाएं होने से हम शिक्षा के क्षेत्र व उसके स्तर को नजदीक से नहीं जान पाए लेकिन अगली कड़ी में हम आपको बच्चों को मिलने वाली विद्यालयों में शिक्षक से रूबरू करवाएंगे|



ईटीवी भारत के लिए सिवाना से कमरुद्दीन खान

Conclusion:
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