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बाड़मेर के सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों ने गहलोत सरकार की निशुल्क दवा योजना के दावों की खोली पोल

बाड़मेर के सरकारी अस्पताल में डेंगू और निमोनिया से पीड़ित मरीज लगातार आ रहे हैं. हालांकि अस्पताल में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत इलाज नहीं मिल पा रहा है. परिजनों की शिकायत है कि आधी से ज्यादा दवाइयां बाहर से लानी पड़ रही हैं.

Barmer Government hospital
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Published : Oct 19, 2021, 12:26 PM IST

Updated : Jun 29, 2022, 1:05 PM IST

बाड़मेर. जिले में डेंगू ओर निमोनिया का कहर बढ़ रहा है. मेडिकल कॉलेज के राजकीय अस्पताल के शिशु वार्ड में भर्ती बच्चों के परिजनों ने निशुल्क दवा योजना (Chief Minister's Free Medicine Scheme) की पोल खोल दी. परिजनों का कहना है कि किसी भी तरह का कोई प्रबंध नहीं है. आधी से ज्यादा दवाइयां बाहर से लानी पड़ रही हैं. यहां तक कि इंजेक्शन लगाने वाली सिरिंज भी बाहर से लानी पड़ रही है.

राजकीय अस्पताल के शिशु वार्ड में भर्ती डेंगू के मरीज के परिजन के अनुसार 4 दिन पहले अपने बेटे को भर्ती किया था, लेकिन सही तरीके से इलाज नहीं मिल रहा है. इसीलिए आज छुट्टी दिला कर मजबूरन निजी अस्पताल में जाना पड़ रहा है. एक अन्य मरीज ने बताया कि उसके बेटे को डेंगू है. एक बेड पर दो-दो बच्चों का इलाज किया जा रहा है. इंफेक्शन होने का डर है. दवाइयां बाहर से लानी पड़ रही है. कोई जवाब देने को तैयार नहीं है. हालात ये हैं कि जो दावा सरकार करती है. वह खोखला साबित हो रहा है.

पढ़ें: रेगिस्तान में तैयार अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस आईसीयू वार्ड, सरकारी अस्पताल की बदली तस्वीर..अब इलाज के लिए नहीं जाना पड़ेगा मुंबई-गुजरात

इस पूरे मामले पर राजकीय अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ बीएल मंसूरिया का कहना है कि यह बात सही है कि कुछ हालात बिगड़ गए हैं. हो सकता है कि एक-दो बेड पर 2 बच्चों का इलाज किया जा रहा हो. निशुल्क दवा योजना का लाभ सभी मरीजों को मिल रहा है. आप जो शिकायत बता रहे हो, ऐसा कुछ नहीं है.

पढ़ें: शुद्ध के लिए युद्ध : जयपुर में 13000 लीटर मिलावटी घी किया सीज..बाड़मेर में पकड़ा एक्सपायरी डेट का 1060 लीटर घी

सबसे बड़ा सवाल है कि आए दिन निशुल्क दवा योजना को लेकर शिकायतें आती रहती हैं. यहां तक कि मंत्री सुखराम विश्नोई ने भी इस संबंध में आवाज उठाई थी. लेकिन अस्पताल प्रशासन सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. लोगों को मजबूरी में दवाइयां बाहर से लानी पड़ रही हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सपने को अस्पताल प्रशासन चकनाचूर करता नजर आ रहा है.

बाड़मेर. जिले में डेंगू ओर निमोनिया का कहर बढ़ रहा है. मेडिकल कॉलेज के राजकीय अस्पताल के शिशु वार्ड में भर्ती बच्चों के परिजनों ने निशुल्क दवा योजना (Chief Minister's Free Medicine Scheme) की पोल खोल दी. परिजनों का कहना है कि किसी भी तरह का कोई प्रबंध नहीं है. आधी से ज्यादा दवाइयां बाहर से लानी पड़ रही हैं. यहां तक कि इंजेक्शन लगाने वाली सिरिंज भी बाहर से लानी पड़ रही है.

राजकीय अस्पताल के शिशु वार्ड में भर्ती डेंगू के मरीज के परिजन के अनुसार 4 दिन पहले अपने बेटे को भर्ती किया था, लेकिन सही तरीके से इलाज नहीं मिल रहा है. इसीलिए आज छुट्टी दिला कर मजबूरन निजी अस्पताल में जाना पड़ रहा है. एक अन्य मरीज ने बताया कि उसके बेटे को डेंगू है. एक बेड पर दो-दो बच्चों का इलाज किया जा रहा है. इंफेक्शन होने का डर है. दवाइयां बाहर से लानी पड़ रही है. कोई जवाब देने को तैयार नहीं है. हालात ये हैं कि जो दावा सरकार करती है. वह खोखला साबित हो रहा है.

पढ़ें: रेगिस्तान में तैयार अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस आईसीयू वार्ड, सरकारी अस्पताल की बदली तस्वीर..अब इलाज के लिए नहीं जाना पड़ेगा मुंबई-गुजरात

इस पूरे मामले पर राजकीय अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ बीएल मंसूरिया का कहना है कि यह बात सही है कि कुछ हालात बिगड़ गए हैं. हो सकता है कि एक-दो बेड पर 2 बच्चों का इलाज किया जा रहा हो. निशुल्क दवा योजना का लाभ सभी मरीजों को मिल रहा है. आप जो शिकायत बता रहे हो, ऐसा कुछ नहीं है.

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सबसे बड़ा सवाल है कि आए दिन निशुल्क दवा योजना को लेकर शिकायतें आती रहती हैं. यहां तक कि मंत्री सुखराम विश्नोई ने भी इस संबंध में आवाज उठाई थी. लेकिन अस्पताल प्रशासन सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. लोगों को मजबूरी में दवाइयां बाहर से लानी पड़ रही हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सपने को अस्पताल प्रशासन चकनाचूर करता नजर आ रहा है.

Last Updated : Jun 29, 2022, 1:05 PM IST
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