बाड़मेर. सोमवार से लॉकडाउन शुरू हो जाएगा. लॉकडाउन कितना लंबा चले, कोई नहीं जानता. लिहाजा बाड़मेर से प्रवासी मजदूरों के काफिले अपने घर की ओर चल पड़े हैं. जेहन में पिछले पलायन की कड़वी यादें हैं, इसलिए इस बार वक्त रहते ही ठिकाने पहुंच जाना चाहते हैं.
पिछली बार इनमें से कई मजदूरों को यात्रा का संसाधन नहीं मिला था. मीलों का पैदल सफर तय करना पड़ा था. इसी डर से प्रवासी मजदूर अब अपने गांव की तरफ रुख कर रहे हैं. शनिवार को बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर बड़ी ही संख्या में मध्यप्रदेश के प्रवासी मजदूर अपने गांव जा रहे थे. इस दौरान ईटीवी भारत ने उन मजदूरों से बातचीत कर यह जानने का प्रयास किया कि कि इतनी बड़ी संख्या में एक साथ वे क्यों जा रहे हैं. जबकि सरकार ने प्रोडेक्शन वर्क को चालू रखने की बात कही है.
पिछली बार परेशानी झेली
प्रवासी मजदूरों ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए बताया कि पिछले साल अचानक देश में लगे लॉकडाउन की वजह से उन्हें खासी परेशानी झेलनी पड़ी थी. खाने को भी लाले पड़ गए थे. उनके पास पैसे भी नहीं थे और गांव तक जाने के लिए कोई साधन भी नहीं थे. ऐसे में मीलों दूर कई दिनों तक पैदल सफर करना पड़ा था. ऐसे में एक बार फिर वे उसी संकट से नहीं गुजरना चाहते.
![Migrant labor migration from Barmer](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rj-bmr-02-palayaln-avbbb-10009_09052021180143_0905f_1620563503_829.jpg)
हालांकि राजस्थान सरकार ने लॉकडाउन 10 मई से 24 मई तक लगाया है. लेकिन मजदूरों को डर है कि यह अवधि बढ़ सकती है. काम धंधा बंद हो जाने के चलते खाने के भी लाले पड़ने का डर भी है. मध्य प्रदेश के दर्जनों परिवारों ने शनिवार को बाड़मेर छोड़ दिया.
पिछ्ले साल 600 किलोमीटर किया था पैदल सफर
मध्य प्रदेश के कटनी जिले के असलम खान ने बताया कि बाड़मेर की जालीपा में वे करीब 6 महीने से आर्मी एरिया में मजदूरी कर रहे हैं. काम धंधा भी चालू है लेकिन कब बंद हो जाए कोई भरोसा नहीं. उन्होंने बताया कि पिछली बार अचानक लॉक डाउन लग गया था और लोग फंस गए थे. गांव जाने के लिए भी कोई साधन नहीं मिला. इसलिए करीब 600 किलोमीटर तक पैदल चले और अपना सामान बीच में ही फेंक दिया. पांव में छाले तक पड़ गए थे. असलम नहीं चाहते कि वे दोबारा उन्हीं हालात से गुजरें.
महंगाई ने भी मारा
मध्यप्रदेश की रहने वाली कमलाबाई ने बताया कि कोरोना के साथ-साथ अब महंगाई भी बढ़ गई है. ऐसे में सब्जी भी बड़ी महंगी हो गई है. जिस तरह के हालात बने हुए ऐसे में लॉकडाउन लग गया तो काम धंधे भी बंद हो जाएंगे. इसलिए अपने गांव जा रहे हैं ताकि वहां पर कुछ काम धंधा करके अपना गुजर-बसर कर सकें.
![Migrant labor migration from Barmer](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rj-bmr-02-palayaln-avbbb-10009_09052021180143_0905f_1620563503_123.jpg)
बता दे कि देश में कोविड-19 के मामलों की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में बिगड़ते हालातों को देखते हुए प्रवासी मजदूरों को एक बार फिर देश में संपूर्ण लॉकडाउन लगने का डर सता रहा है. क्योंकि पिछले साल 2020 में देश में लगे लॉक डाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. यहां तक कि मिलो दूर पैदल चलना पड़ा और भूखे प्यासे भी रहना पड़ा. ऐसे में यह प्रवासी मजदूर अब समय रहते अपने गांव पहुंचना चाहते हैं.