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बाड़मेर में केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध, राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन - Memorandum To Additional District Collector

बाड़मेर में जीव दया मैत्री ग्रुप के सदस्यों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन बाड़मेर के अतिरिक्त जिला कलेक्टर राकेश कुमार शर्मा को सौंपा. ज्ञापन में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के उस आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है, जिसके तहत हिमाचल प्रदेश में एक साल के दौरान रिसस मकाउ जाति के बंदरों को मारा जाना है.

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बाड़मेर में जीव दया मैत्री ग्रुप के सदस्यों ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
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Published : Jun 5, 2020, 3:59 PM IST

बाड़मेर. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश में बंदरों को एक साल के लिए विनाशक घोषित करते हुए उन्हें मारने का आदेश जारी किया है. इस आदेश के तहत एक साल के दौरान हिमालय से जुड़े इलाकों में रिसस मकाउ जाति के बंदरों को मारा जाना है. वहीं, पर्यावरण मंत्रालय के इस फैसले के खिलाफ पशु प्रेमी खड़े हो गए हैं और उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.

बाड़मेर में जीव दया मैत्री ग्रुप के सदस्यों ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

इसी कड़ी में बाड़मेर जिला मुख्यालय पर जीव दया मैत्री ग्रुप के सदस्यों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंप कर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के इस आदेश को निरस्त करने की मांग की. जीव दया मैत्री ग्रुप के सदस्यों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन बाड़मेर के अतिरिक्त जिला कलेक्टर राकेश कुमार शर्मा को सौंपा.

पढ़ें: Special : सतर्कता के साथ शुरू हुए सैलून, PPE किट पहन स्टाफ कर रहे काम

जीव दया मैत्री ग्रुप के सदस्य एडवोकेट मुकेश जैन ने बताया कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश में रिसस मकाउ जाति के बंदरों को एक साल के लिए विनाशक घोषित किया है और हिमालय के बंदर प्रभावित इलाकों में इन बंदरों को मारने के लिए अधिकारियों को आदेश दिया है. ये आदेश एक साल तक प्रभावी रहेगा. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने ये अधिसूचना पिछले हफ्ते जारी की है.

एडवोकेट मुकेश जैन ने कहा कि रिसस मकाउ बंदर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची के तहत संरक्षित प्रजाति है और इन्हें मारने की अनुमति देना ना केवल अमानवीय है, बल्कि असंवैधानिक भी है. इसलिए अतिरिक्त जिला कलेक्टर के जरिए राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया है कि इस विषय में केंद्र सरकार को निर्देश देकर इन बंदरों को मारने के आदेश को निरस्त करवाएं.

बाड़मेर. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश में बंदरों को एक साल के लिए विनाशक घोषित करते हुए उन्हें मारने का आदेश जारी किया है. इस आदेश के तहत एक साल के दौरान हिमालय से जुड़े इलाकों में रिसस मकाउ जाति के बंदरों को मारा जाना है. वहीं, पर्यावरण मंत्रालय के इस फैसले के खिलाफ पशु प्रेमी खड़े हो गए हैं और उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.

बाड़मेर में जीव दया मैत्री ग्रुप के सदस्यों ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

इसी कड़ी में बाड़मेर जिला मुख्यालय पर जीव दया मैत्री ग्रुप के सदस्यों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंप कर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के इस आदेश को निरस्त करने की मांग की. जीव दया मैत्री ग्रुप के सदस्यों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन बाड़मेर के अतिरिक्त जिला कलेक्टर राकेश कुमार शर्मा को सौंपा.

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जीव दया मैत्री ग्रुप के सदस्य एडवोकेट मुकेश जैन ने बताया कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश में रिसस मकाउ जाति के बंदरों को एक साल के लिए विनाशक घोषित किया है और हिमालय के बंदर प्रभावित इलाकों में इन बंदरों को मारने के लिए अधिकारियों को आदेश दिया है. ये आदेश एक साल तक प्रभावी रहेगा. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने ये अधिसूचना पिछले हफ्ते जारी की है.

एडवोकेट मुकेश जैन ने कहा कि रिसस मकाउ बंदर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची के तहत संरक्षित प्रजाति है और इन्हें मारने की अनुमति देना ना केवल अमानवीय है, बल्कि असंवैधानिक भी है. इसलिए अतिरिक्त जिला कलेक्टर के जरिए राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया है कि इस विषय में केंद्र सरकार को निर्देश देकर इन बंदरों को मारने के आदेश को निरस्त करवाएं.

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