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बाड़मेर के चौहटन में टिड्डियों ने डाला डेरा, किसानों ने देसी उपायों से भगाने का किया जतन

चौहटन कस्बे के ऊपर से टिड्डियों का एक बड़ा दल उड़ते हुए गुजरा. गांव में पहुंचे टिड्डियों के झुण्ड ने खेतों और वनस्पति पर डेरा डाल दिया, जिससे नुकसान का खतरा है. टिड्डियों को भगाने के लिए किसानों ने टायर जलाकर और थालियां बजाकर उन्हें भगाने का जतन किया.

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टिड्डी दल का हमला
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Published : Jun 5, 2020, 7:48 PM IST

बाड़मेर. देश में जहां एक तरफ कोरोना संकट जारी है वहीं दूसरी और सरहद पार से हो रहे टिड्डी दल के हमलों ने प्रशासन सहित आम किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. शुक्रवार को चौहटन कस्बे के ऊपर से टिड्डियों का एक बड़ा दल उड़ते हुए गुजरा.

चौहटन में टिड्डी दल का हमला

ग्रामीणों की सूचना पर विकास अधिकारी छोटू सिंह काजला और एग्रीकल्चर सहायक कृषि अधिकारी गोपाल सिंह मौके पर पहुंचे. सूचना के अनुसार कोनरा, कापराऊ, ईटादा, बीजराड़ व नेतराड सहित कई गांवों में टिड्डी ने पड़ाव डाला है. वहीं, अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर ट्रैक्टरों में स्प्रे लगाकर छिड़काव करवाकर काफी संख्या में टिड्डियों को नष्ट किया गया. वहीं, कुछ टिड्डी हवा से उड़कर आगे निकल गए.

पढ़ें- आज नहीं, 200 साल से टिड्डी दल है किसानों का दुश्मन...जानें क्या है इनका इतिहास

इस दौरान ग्रामीण और किसान भी अपने अंदाज में टिड्डियों से बचाव और उपाय करने में जुट गए. गांवों में पहुंचे टिड्डियों के झुण्ड ने खेतों और वनस्पति पर डेरा डाल दिया, जिससे नुकसान का खतरा है. टिड्डियों को भगाने के लिए किसानों ने टायर जलाकर और थालियां बजाकर उन्हें भगाने का जतन किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि खेतों में जो बोई हुई फसलें हैं, उनके उपर से टिड्डियों को भगाने के लिए जतन किया गया.

पढ़ें- जोधपुर: ग्रामीण क्षेत्रों के बाद शहरी इलाकों में पहुंचा टिड्डी दल

ज्ञात रहे कि कोनरा, ईटादा और कापराऊ क्षेत्र में इन दिनों बाजरे की फसलें भी खड़ी है, जिन्हें नुकसान होने का अंदेशा बढ़ गया है. औसत रूप से एक छोटे टिड्डी का झुंड एक दिन में इतना खाना खा जाता है, जितना दस हाथी, 25 ऊंट या 2500 व्यक्ति खा सकते हैं. टिड्डियां पत्ते, फूल, फल, बीज, तने और उगते हुए पौधों को भी खा जाते हैं और जब ये समूह में पेड़ों पर बैठती हैं तो इनके भार से पेड़ तक टूट जाते हैं. ऐसे में जल्द से जल्द कोई कारगर कदम उठाने चाहिए, वरना कहीं ये टिड्डी इस कोरोना काल में किसानों की मेहनत पर पानी फेर देंगे.

बाड़मेर. देश में जहां एक तरफ कोरोना संकट जारी है वहीं दूसरी और सरहद पार से हो रहे टिड्डी दल के हमलों ने प्रशासन सहित आम किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. शुक्रवार को चौहटन कस्बे के ऊपर से टिड्डियों का एक बड़ा दल उड़ते हुए गुजरा.

चौहटन में टिड्डी दल का हमला

ग्रामीणों की सूचना पर विकास अधिकारी छोटू सिंह काजला और एग्रीकल्चर सहायक कृषि अधिकारी गोपाल सिंह मौके पर पहुंचे. सूचना के अनुसार कोनरा, कापराऊ, ईटादा, बीजराड़ व नेतराड सहित कई गांवों में टिड्डी ने पड़ाव डाला है. वहीं, अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर ट्रैक्टरों में स्प्रे लगाकर छिड़काव करवाकर काफी संख्या में टिड्डियों को नष्ट किया गया. वहीं, कुछ टिड्डी हवा से उड़कर आगे निकल गए.

पढ़ें- आज नहीं, 200 साल से टिड्डी दल है किसानों का दुश्मन...जानें क्या है इनका इतिहास

इस दौरान ग्रामीण और किसान भी अपने अंदाज में टिड्डियों से बचाव और उपाय करने में जुट गए. गांवों में पहुंचे टिड्डियों के झुण्ड ने खेतों और वनस्पति पर डेरा डाल दिया, जिससे नुकसान का खतरा है. टिड्डियों को भगाने के लिए किसानों ने टायर जलाकर और थालियां बजाकर उन्हें भगाने का जतन किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि खेतों में जो बोई हुई फसलें हैं, उनके उपर से टिड्डियों को भगाने के लिए जतन किया गया.

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ज्ञात रहे कि कोनरा, ईटादा और कापराऊ क्षेत्र में इन दिनों बाजरे की फसलें भी खड़ी है, जिन्हें नुकसान होने का अंदेशा बढ़ गया है. औसत रूप से एक छोटे टिड्डी का झुंड एक दिन में इतना खाना खा जाता है, जितना दस हाथी, 25 ऊंट या 2500 व्यक्ति खा सकते हैं. टिड्डियां पत्ते, फूल, फल, बीज, तने और उगते हुए पौधों को भी खा जाते हैं और जब ये समूह में पेड़ों पर बैठती हैं तो इनके भार से पेड़ तक टूट जाते हैं. ऐसे में जल्द से जल्द कोई कारगर कदम उठाने चाहिए, वरना कहीं ये टिड्डी इस कोरोना काल में किसानों की मेहनत पर पानी फेर देंगे.

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