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शव के पास मरीजों का इलाज, मृतक का हाथ पकड़ घंटों रोता रहा भाई... फिर भी नहीं गया किसी का ध्यान

राजस्थान के बाड़मेर जिला अस्पताल में सोमवार को एक दुखद घटनाक्रम देखने को मिला. जहां अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में शव के बीच ही अन्य मरीजों का इलाज होता रहा. इस दौरान अस्पताल प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं गया. इतना ही नहीं मृतक का भाई शव का हाथ पकड़कर रोता नजर आया. इसके बाद भी अस्पताल प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं गया. मामले को लेकर जब अस्पताल के पीएमओ डॉक्टर बीएल मंसूरिया से बातचीत की गई तो वह भी इस पूरे मामले को लेकर गोलमोल जवाब देते नजर आए.

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शव के पास बैठकर रोता बच्चा
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Published : Jul 6, 2020, 4:39 PM IST

बाड़मेर. प्रदेश के बाड़मेर जिले से मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. जिले के सबसे बड़े अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में कई घंटे तक एक शव पड़ा रहा और पास में कई मरीजों का इलाज चलता रहा. आपातकालीन वार्ड में शव के पास मृतक का मासूम भाई बिलखता नजर आया, लेकिन राजकीय अस्पताल प्रशासन के लिए इस दृश्य के कोई मायने ही नहीं थे. अस्पताल प्रशासन की इस तरह की लापरवाही अपने आप में कई तरह के सवाल खड़े कर रही है.

शव के पास बैठकर रोता बच्चा

दरअसल, बाड़मेर शहर के राय कॉलोनी निवासी 24 वर्षीय युवक राजेश कुमार की तबीयत खराब हो गई. जिसके कारण उसे जिला अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में भर्ती करवाया गया. इस दौरान उसकी मृत्यु हो गई, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में मानवता को शर्मसार करने वाला वाक्या सामने आया. जिस बेड पर राजेश का उपचार हुआ, अस्पताल प्रशासन ने शव पर कपड़ा डाल कर शव वहीं पड़ा रहने दिया. मामले में सबसे दुःखद पहलू यह है कि शव के पास अन्य मरीजों का इलाज चलता रहा.

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शव के पास चल रहा दूसरे मरीजों का उपचार

शव घंटों तक अस्पताल के वार्ड में पड़ा रहा और मासूम भाई अपने मृत भाई का हाथ पकड़ पास बैठकर रोता रहा. इसी विश्वास में की उसके भाई का उपचार चल रहा है. बच्चे को नहीं पता कि उसके भाई की मौत हो गई, लेकिन इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से लापरवाह नजर आया.

यह भी पढ़ें : जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में बड़ी लापरवाही, बच्चों को चढ़ाया एक्सपायर ग्लूकोज

इसे लेकर जब अस्पताल के पीएमओ डॉक्टर बीएल मंसूरिया से बातचीत की गई तो वह भी गोलमोल जवाब देते नजर आए. उनके अनुसार राजेश को उसके परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे. जिसके बाद उसे आपातकालीन वॉर्ड में लाया गया, जब चिकित्सकों ने जांच की तो उसकी मौत हो चुकी थी. उन्होंने कहा कि परिजनों को राजेश की मौत के बारे में बताया गया था. ऐसे में परिजन शव को ले जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था करने लगे. जब उनसे पूछा गया कि शव करीब एक घंटे तक पड़ा रहा तो उन्होंने कहा कि घंटों तक नहीं शव सिर्फ 15-20 मिनट तक बेड पर था. इस तरह से वो कुछ संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए.

बाड़मेर. प्रदेश के बाड़मेर जिले से मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. जिले के सबसे बड़े अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में कई घंटे तक एक शव पड़ा रहा और पास में कई मरीजों का इलाज चलता रहा. आपातकालीन वार्ड में शव के पास मृतक का मासूम भाई बिलखता नजर आया, लेकिन राजकीय अस्पताल प्रशासन के लिए इस दृश्य के कोई मायने ही नहीं थे. अस्पताल प्रशासन की इस तरह की लापरवाही अपने आप में कई तरह के सवाल खड़े कर रही है.

शव के पास बैठकर रोता बच्चा

दरअसल, बाड़मेर शहर के राय कॉलोनी निवासी 24 वर्षीय युवक राजेश कुमार की तबीयत खराब हो गई. जिसके कारण उसे जिला अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में भर्ती करवाया गया. इस दौरान उसकी मृत्यु हो गई, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में मानवता को शर्मसार करने वाला वाक्या सामने आया. जिस बेड पर राजेश का उपचार हुआ, अस्पताल प्रशासन ने शव पर कपड़ा डाल कर शव वहीं पड़ा रहने दिया. मामले में सबसे दुःखद पहलू यह है कि शव के पास अन्य मरीजों का इलाज चलता रहा.

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शव के पास चल रहा दूसरे मरीजों का उपचार

शव घंटों तक अस्पताल के वार्ड में पड़ा रहा और मासूम भाई अपने मृत भाई का हाथ पकड़ पास बैठकर रोता रहा. इसी विश्वास में की उसके भाई का उपचार चल रहा है. बच्चे को नहीं पता कि उसके भाई की मौत हो गई, लेकिन इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से लापरवाह नजर आया.

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इसे लेकर जब अस्पताल के पीएमओ डॉक्टर बीएल मंसूरिया से बातचीत की गई तो वह भी गोलमोल जवाब देते नजर आए. उनके अनुसार राजेश को उसके परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे. जिसके बाद उसे आपातकालीन वॉर्ड में लाया गया, जब चिकित्सकों ने जांच की तो उसकी मौत हो चुकी थी. उन्होंने कहा कि परिजनों को राजेश की मौत के बारे में बताया गया था. ऐसे में परिजन शव को ले जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था करने लगे. जब उनसे पूछा गया कि शव करीब एक घंटे तक पड़ा रहा तो उन्होंने कहा कि घंटों तक नहीं शव सिर्फ 15-20 मिनट तक बेड पर था. इस तरह से वो कुछ संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए.

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