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बाड़मेर में नए कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय किसान संघ ने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन

भारतीय किसान संघ राजस्थान के प्रदेशव्यापी आह्वान पर बाड़मेर के किसानों ने कृषि विधेयकों का विरोध दर्ज करवाते हुए जिला कलेक्टर विश्राम मीणा को महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है. मोदी सरकार द्वारा हाल ही में पारित किए गए नई कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब हरियाणा के किसान दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

Barmer news, Indian Farmers Association submits memorandum
बाड़मेर में नए कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय किसान संघ ने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
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Published : Dec 3, 2020, 9:57 PM IST

बाड़मेर. मोदी सरकार द्वारा हाल ही में पारित किए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में जहां हरियाणा पंजाब के किसान दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं. वहीं इस आंदोलन की सुगबुगाहट के बीच राजस्थान के किसानों ने भी विरोध प्रदर्शन का रुख अख्तियार कर लिया है. भारतीय किसान संघ राजस्थान के प्रदेशव्यापी आह्वान पर बाड़मेर के किसानों ने कृषि विधेयकों का विरोध दर्ज करवाते हुए जिला कलेक्टर विश्राम मीणा को महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है. मोदी सरकार द्वारा हाल ही में पारित किए गए नई कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब हरियाणा के किसान दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में अब राजस्थान में भी नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आवाज बुलंद कर रहे हैं.

भारतीय किसान संघ के प्रदेशव्यापी आह्वान पर गुरुवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय पर किसानों ने बाड़मेर जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर मोदी सरकार द्वारा हाल ही में पारित किए गए नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है. ज्ञापन देने आए किसानों के अनुसार नए कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है. लिहाजा सरकार से मांग करते हैं कि सरकार इन कृषि कानूनों को वापस लेने के साथ ही भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों एवं किसानों ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम सौंपे ज्ञापन में सरकार से स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करवाने की भी मांग रखी है.

यह भी पढ़ें-राजस्थान : जलदाय मंत्री के गृह क्षेत्र में पानी की समस्या, ग्रामीणों ने दी चुनाव बहिष्कार की चेतावनी

ज्ञापन देने आए किसानों के अनुसार नए कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है. इन कृषि काननु के पारित होने से बिना टैक्स के कोई भी पूंजीपति देश की फसल खरीद सकता है. इससे उनके द्वारा बेचे गए धान की कालाबाजारी, किसानों को फायदा ना मिलने के साथ आमजन को भी नुकसान होगा. साथ ही किसानों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने देश के पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए लोकसभा में तीन कृषि काननु पारित किए हैं, जो किसानों के हितों के विरुद्ध है. इसलिए सरकार तीनों बिलों में संशोधन कर किसानों के हित में फैसला करें.

ट्रेड यूनियन ने सीकर में किया प्रदर्शन

ट्रेड यूनियन के कार्यकर्ता सीकर में ढाका भवन से रैली के रूप में रवाना होकर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां पर कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. सीटू के जिला सचिव बृज सुंदर जांगिड़ ने कहा कि पिछले कुछ समय से दिल्ली के चारों तरफ किसानों ने डेरा डाल रखा है, लेकिन इसके बाद भी सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि अब देश भर में किसानों के समर्थन में विभिन्न संगठनों को आगे आना होगा और किसानों की मांग को उठाना होगा. सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आकर उनकी मांग उठानी होगी. केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए. सीटू के राष्ट्रीय नेतृत्व के आह्वान पर देशभर में किसानों के समर्थन में आंदोलन तेज किया जाएगा.

बाड़मेर. मोदी सरकार द्वारा हाल ही में पारित किए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में जहां हरियाणा पंजाब के किसान दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं. वहीं इस आंदोलन की सुगबुगाहट के बीच राजस्थान के किसानों ने भी विरोध प्रदर्शन का रुख अख्तियार कर लिया है. भारतीय किसान संघ राजस्थान के प्रदेशव्यापी आह्वान पर बाड़मेर के किसानों ने कृषि विधेयकों का विरोध दर्ज करवाते हुए जिला कलेक्टर विश्राम मीणा को महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है. मोदी सरकार द्वारा हाल ही में पारित किए गए नई कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब हरियाणा के किसान दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में अब राजस्थान में भी नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आवाज बुलंद कर रहे हैं.

भारतीय किसान संघ के प्रदेशव्यापी आह्वान पर गुरुवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय पर किसानों ने बाड़मेर जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर मोदी सरकार द्वारा हाल ही में पारित किए गए नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है. ज्ञापन देने आए किसानों के अनुसार नए कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है. लिहाजा सरकार से मांग करते हैं कि सरकार इन कृषि कानूनों को वापस लेने के साथ ही भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों एवं किसानों ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम सौंपे ज्ञापन में सरकार से स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करवाने की भी मांग रखी है.

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ज्ञापन देने आए किसानों के अनुसार नए कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है. इन कृषि काननु के पारित होने से बिना टैक्स के कोई भी पूंजीपति देश की फसल खरीद सकता है. इससे उनके द्वारा बेचे गए धान की कालाबाजारी, किसानों को फायदा ना मिलने के साथ आमजन को भी नुकसान होगा. साथ ही किसानों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने देश के पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए लोकसभा में तीन कृषि काननु पारित किए हैं, जो किसानों के हितों के विरुद्ध है. इसलिए सरकार तीनों बिलों में संशोधन कर किसानों के हित में फैसला करें.

ट्रेड यूनियन ने सीकर में किया प्रदर्शन

ट्रेड यूनियन के कार्यकर्ता सीकर में ढाका भवन से रैली के रूप में रवाना होकर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां पर कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. सीटू के जिला सचिव बृज सुंदर जांगिड़ ने कहा कि पिछले कुछ समय से दिल्ली के चारों तरफ किसानों ने डेरा डाल रखा है, लेकिन इसके बाद भी सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि अब देश भर में किसानों के समर्थन में विभिन्न संगठनों को आगे आना होगा और किसानों की मांग को उठाना होगा. सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आकर उनकी मांग उठानी होगी. केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए. सीटू के राष्ट्रीय नेतृत्व के आह्वान पर देशभर में किसानों के समर्थन में आंदोलन तेज किया जाएगा.

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