सिवाना (बाड़मेर). जिले के सिवाना कस्बे में लंबे समय से कस्बे वासियों को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा हैं. जिसको लेकर ग्रामवासियों की ओर से पहले “पानी नहीं तो वोट नहीं” के नाम सहित कई बार अन्य धरना प्रदर्शन भी हुए. मगर ग्रामीणों को पानी की समस्या से निजात नहीं मिली. जिसके चलते पिछले 10 दिनों से कस्बे के तहसील कार्यालय के आगे अनिश्चितकालीन धरना जारी है. मामले में ग्रामीणों ने बताया कि जब तक पानी की समस्या का समाधान नहीं होगा, तब तक धरना जारी रहेगा.
वहीं, सिवाना सहित आसपास क्षेत्रों को मीठा पानी देने के उद्देश्य से पोकरण-फलसुंड-बालोतरा-सिवाना बनाई गई जल परियोजना का पानी सिवाना तक आने में शेष रहे 10 किलोमीटर पाईप लाईन बिछाकर और हौदियों का शीघ निर्माण कर जलापूर्ति करवाने को लेकर अनिश्चितकालीन धरना दीया जा रहा है. साथ ही ग्रामीणों की ओर से प्रतिदिन मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार और उपखंड अधिकारी सिवाना को ज्ञापन सौंपा गया है.
ज्ञापन में ग्रामीणों ने बताया कि बाड़मेर जिले के सिवाना उपखंड मुख्यालय के लोगों को पिछले लंबे समय से पेयजल के संकट से जूझना पड़ रहा है. जहां, पानी प्राप्ति हेतु लोगों में त्राहि-त्राहि मची है. पानी की समस्या को लेकर सिवाना संघर्ष समिति के महेंद्र कुमार जैन ने बताया कि सिवाना और आस पास के क्षेत्रों में गत 2 दशकों से वर्षा औसत से भी कम होने की वजह से भू-जल के स्तर में गिरावट आ गई है. जिसके चलते सरकारी नलकूप पूर्ण रूप से सूखे पड़े हैं.
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वहीं, 18 वर्ष पूर्व सरकार की ओर से पोकरण-फलसूंड, बालोतरा-सिवाना जलप्रदाय योजना की स्वीकृति प्रदान की गई थी. उसका काम पुरा नहीं हुआ है. जहां सिवाना तक 10 कि.मी. की दूरी पर पाईप लाईन और स्टोरेज टैंक का काम रुका हुआ है. सिवाना के लोगों को परियोजना का कोई लाभ नहीं हो रहा है. इसी के तहत कुसीप गांव के सरपंच हुकुम सिंह खीची ने धरना स्थल से बाताया की पोकरण-फलसुंड-बालोतरा-सिवाना परियोजना से सिवाना कस्बे के अलावा क्षेत्र के मूठली, इन्द्राणा, थापन, कुसीप, पादरड़ी, देवन्दी, अर्जियाणा, लुदराडा, मोकलसर, मायलावास, मवड़ी, सहित कुल 50 गांव का लाभान्वित होना प्रस्तावित है.
मगर कार्य पूर्ण नहीं होने की वजह से लोगों को निजी टैंकरों से 800 रुपये प्रति टैंकर की दर से जलापूर्ति करवाने को मजबूर होना पड़ता है. उपखंड मुख्यालय पर जलदाय विभाग के सहायक और कनिष्ठ अभियंता के पद रिक्त पड़े है. जिससे लोगों की उक्त मांगों और शिकायतों को सुनने वाला कोई नहीं है. साथ ही सिवाना विकट पेयजल संकट से जूझ रहा है. इसके उचित और स्थायी करने की मांग की है.