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Special: पहले दिया 'दिल' फिर किडनी, इनके प्यार के आगे हारी बीमारी

पहले 'दिल' दिया फिर किडनी, एक डॉक्टर के प्यार के आगे हारी बीमारी. ये मोहब्बत की दास्तां है, महाराष्ट्र की रहने वाली एक महिला डॉक्टर की. जिन्होंने पहले राजस्थान के एक डॉक्टर को दिल दिया और बाद में किडनी. कुछ ऐसी ही है इनके प्यार और एहसास की कहानी. फिल्मी पर्दों में भले ही प्यार के लिए समर्पण की कहानियां गढ़ी जाती रही हों, लेकिन हकीकत में कोई इस तरह प्यार निभाए आपने बहुत कम ही सुना होगा. घर वालों के हजारों सवालों का मुकाबला कर लव मैरिज की, बाद में ट्रांसपोर्ट की गई एक किडनी के सहारे जीवन बिता रहे पति की यह किडनी भी खराब हो गई तो पत्नी ने अपनी किडनी दे दी. 17 साल की जिंदगी में बहुत उतार-चढ़ाव आए. लेकिन दोनों ने एक दूसरे का साथ दिया और शायद इसी का नतीजा है कि आज दोनों साथ-साथ हैं.

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प्यार के आगे हारी बीमारी...
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Published : Feb 14, 2020, 8:19 PM IST

बाड़मेर. यह कहानी है साल 2003 की, जब बाड़मेर का युवक ओमप्रकाश महाराष्ट्र में एमबीबीएस के लिए जाता है. उस दौरान महाराष्ट्र की युवती स्नेहा से उसकी मुलाकात होती है और धीरे-धीरे वह मुलाकात दोस्ती में बदल जाती है. फिर दोस्ती परवान पर चढ़कर साल 2005 में प्यार का रूप ले लेती है और दोनों शादी करने की ठान लेते हैं. कसमें खा लेते हैं कि मरना भी साथ है और जीना भी साथ है.

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बेइंतहा मोहब्बत के कुछ पल...

दोनों ने अपने परिवार को बताया कि उनको भी कोई एतराज नहीं था. तब कुछ समय बाद साल 2006 में ओमप्रकाश की तबीयत खराब हो गई और ब्लड प्रेशर बढ़ने लगा. डॉक्टरों ने जब चेकअप किया तो पता चला कि ओमप्रकाश की दोनों किडनी खराब है. इस बात को सुनकर स्नेहा के परिवार वालों ने शादी करने से मना कर दिया. लेकिन स्नेहा ने अपने परिवार वालों से कहा कि अगर मेरी तबीयत खराब होती और वो ऐसा करते तो आप लोग क्या करते.?

पहली बार मां ने दी किडनी...

साल 2007 में ओमप्रकाश की मां ने किडनी दी और ट्रांसप्लांट हुआ. स्नेहा ने अपने प्रेमी को किए वादे के अनुसार साल 2009 में डॉक्टर ओमप्रकाश से लव मैरिज की और शादी के बाद दोनों की जिंदगी शानदार चलती गई. ओमप्रकाश राजकीय अस्पताल बाड़मेर में और स्नेहा बाड़मेर से 10 किलोमीटर दूर शिवकर में डॉक्टर के पद पर कार्यरत हैं.

प्यार के आगे हारी बीमारी...

दूसरी बार पत्नी ने दिया किडनी...

शादी होने के बाद सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन साल 2016-17 में डॉक्टर ओमप्रकाश की तबीयत फिर से खराब हुई. जो किडनी पहली बार लगी थी, वह भी जवाब देने लग गई. फिर दोबारा किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ी, उस समय उनकी पत्नी डॉ. स्नेहा ने कहा कि मेरी किडनी आपको दूंगी. तब फरवरी 2017 में उनकी पत्नी डॉ. स्नेहा ने उन्हें किडनी दी और दोबारा किडनी ट्रांसप्लांट किया गया. तब से सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है. इस दरमियान 6 साल की बेटी और सवा साल का बेटा भी है और डॉक्टर स्नेहा के व्यवहार से ओमप्रकाश के परिवार वाले भी प्रभावित हैं.

यह भी पढ़ेंः वैलेंटाइन डे स्पेशल: एक 'रानी' से 'गुलाम' की मोहब्बत की दास्तां...

डॉ. स्नेहा ने बताया कि एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान उनकी ओमप्रकाश से मुलाकात हुई थी और उन लोगों का ग्रुप भी बन गया था. दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई और स्नेहा ने ओमप्रकाश में एक अच्छा इंसान देखा. दोनों ने सोच लिया कि शादी कर लेते हैं, तब कुछ समय बाद इनका किडनी का ट्रांसप्लांट भी हुआ. उन्होंने कहा कि तब मेरे परिवार वालों ने डॉक्टर ओमप्रकाश से शादी करने से मना कर दिया. ओमप्रकाश ने कहा कि मेरी तबीयत सही नहीं है, इसलिए आप किसी और से शादी कर दो.

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डॉक्टर स्नेहा और ओमप्रकाश की दर्द-ए-दास्तां...

स्नेहा ने कहा कि उनके दिमाग में एक ही चीज थी कि जितनी भी लाइफ मिले वह अच्छे से गुजर जाए. उसके बाद सब मान गए और शादी कर ली. मुझे कभी नहीं लगा कि मैंने ऐसे इंसान से शादी की, जिसकी किडनी खराब होती है. हमेशा एक बात सोची जैसी भी जिंदगी है, साथ रहकर गुजारेंगे. मुश्किल की घड़ी में मैंने उनको हिम्मत दी और इन्होंने मुझे हिम्मत दी.

यह भी पढ़ेंः स्पेशल: धोरों की धरती में आज भी गूंज रही है बेइंतहा प्यार के प्रतीक मूमल-महेन्द्रा की प्रेम गाथा

डॉक्टर ने कहा कि साल 2015 में मेरी डेढ़ साल की बच्ची थी, उस समय इनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी. डॉक्टर ने मुझे डरा दिया और वह पल बहुत डरावना था, जब अजमेर से जयपुर एंबुलेंस में लेकर गए थे. उस एंबुलेंस से निकलने वाली सायरन की आवाज बहुत ही भयानक थी. वह आज भी याद आती है तो रूम पर खड़ी हो जाती हूं.

शादी के बाद जब भी टेंशन के दौरान मैं मजाक में बोलती थी कि आप टेंशन मत लो अगर भविष्य में कभी जरूरत पड़ेगी तो मैं किडनी दे दूंगी. गुजरात हॉस्पिटल में जब भर्ती थे, तब डॉक्टर ओमप्रकाश बहुत रोए भी थे कि मुझे घर जाना है और मेरी बच्ची से मिलना है. मेरे पड़ोसी और दोस्तों ने बहुत मदद की.

डॉक्टर ओमप्रकाश मेरे लिए प्रेरणादायक हैं, इनका जो इंटरेस्ट है चाहे वह पर्यावरण को लेकर लोगों की मदद करना हो या आत्महत्या रोकने के लिए प्रयास करना. इसके लिए वे मेरे लिए प्रेरणादायक हैं. मुझे आज दिन तक कभी नहीं लगा कि मैंने लाइफ में कोई गलत निर्णय लिया हो. मुझे गर्व है कि मैंने राइट इंसान से शादी की है.

बाड़मेर. यह कहानी है साल 2003 की, जब बाड़मेर का युवक ओमप्रकाश महाराष्ट्र में एमबीबीएस के लिए जाता है. उस दौरान महाराष्ट्र की युवती स्नेहा से उसकी मुलाकात होती है और धीरे-धीरे वह मुलाकात दोस्ती में बदल जाती है. फिर दोस्ती परवान पर चढ़कर साल 2005 में प्यार का रूप ले लेती है और दोनों शादी करने की ठान लेते हैं. कसमें खा लेते हैं कि मरना भी साथ है और जीना भी साथ है.

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बेइंतहा मोहब्बत के कुछ पल...

दोनों ने अपने परिवार को बताया कि उनको भी कोई एतराज नहीं था. तब कुछ समय बाद साल 2006 में ओमप्रकाश की तबीयत खराब हो गई और ब्लड प्रेशर बढ़ने लगा. डॉक्टरों ने जब चेकअप किया तो पता चला कि ओमप्रकाश की दोनों किडनी खराब है. इस बात को सुनकर स्नेहा के परिवार वालों ने शादी करने से मना कर दिया. लेकिन स्नेहा ने अपने परिवार वालों से कहा कि अगर मेरी तबीयत खराब होती और वो ऐसा करते तो आप लोग क्या करते.?

पहली बार मां ने दी किडनी...

साल 2007 में ओमप्रकाश की मां ने किडनी दी और ट्रांसप्लांट हुआ. स्नेहा ने अपने प्रेमी को किए वादे के अनुसार साल 2009 में डॉक्टर ओमप्रकाश से लव मैरिज की और शादी के बाद दोनों की जिंदगी शानदार चलती गई. ओमप्रकाश राजकीय अस्पताल बाड़मेर में और स्नेहा बाड़मेर से 10 किलोमीटर दूर शिवकर में डॉक्टर के पद पर कार्यरत हैं.

प्यार के आगे हारी बीमारी...

दूसरी बार पत्नी ने दिया किडनी...

शादी होने के बाद सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन साल 2016-17 में डॉक्टर ओमप्रकाश की तबीयत फिर से खराब हुई. जो किडनी पहली बार लगी थी, वह भी जवाब देने लग गई. फिर दोबारा किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ी, उस समय उनकी पत्नी डॉ. स्नेहा ने कहा कि मेरी किडनी आपको दूंगी. तब फरवरी 2017 में उनकी पत्नी डॉ. स्नेहा ने उन्हें किडनी दी और दोबारा किडनी ट्रांसप्लांट किया गया. तब से सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है. इस दरमियान 6 साल की बेटी और सवा साल का बेटा भी है और डॉक्टर स्नेहा के व्यवहार से ओमप्रकाश के परिवार वाले भी प्रभावित हैं.

यह भी पढ़ेंः वैलेंटाइन डे स्पेशल: एक 'रानी' से 'गुलाम' की मोहब्बत की दास्तां...

डॉ. स्नेहा ने बताया कि एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान उनकी ओमप्रकाश से मुलाकात हुई थी और उन लोगों का ग्रुप भी बन गया था. दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई और स्नेहा ने ओमप्रकाश में एक अच्छा इंसान देखा. दोनों ने सोच लिया कि शादी कर लेते हैं, तब कुछ समय बाद इनका किडनी का ट्रांसप्लांट भी हुआ. उन्होंने कहा कि तब मेरे परिवार वालों ने डॉक्टर ओमप्रकाश से शादी करने से मना कर दिया. ओमप्रकाश ने कहा कि मेरी तबीयत सही नहीं है, इसलिए आप किसी और से शादी कर दो.

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डॉक्टर स्नेहा और ओमप्रकाश की दर्द-ए-दास्तां...

स्नेहा ने कहा कि उनके दिमाग में एक ही चीज थी कि जितनी भी लाइफ मिले वह अच्छे से गुजर जाए. उसके बाद सब मान गए और शादी कर ली. मुझे कभी नहीं लगा कि मैंने ऐसे इंसान से शादी की, जिसकी किडनी खराब होती है. हमेशा एक बात सोची जैसी भी जिंदगी है, साथ रहकर गुजारेंगे. मुश्किल की घड़ी में मैंने उनको हिम्मत दी और इन्होंने मुझे हिम्मत दी.

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डॉक्टर ने कहा कि साल 2015 में मेरी डेढ़ साल की बच्ची थी, उस समय इनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी. डॉक्टर ने मुझे डरा दिया और वह पल बहुत डरावना था, जब अजमेर से जयपुर एंबुलेंस में लेकर गए थे. उस एंबुलेंस से निकलने वाली सायरन की आवाज बहुत ही भयानक थी. वह आज भी याद आती है तो रूम पर खड़ी हो जाती हूं.

शादी के बाद जब भी टेंशन के दौरान मैं मजाक में बोलती थी कि आप टेंशन मत लो अगर भविष्य में कभी जरूरत पड़ेगी तो मैं किडनी दे दूंगी. गुजरात हॉस्पिटल में जब भर्ती थे, तब डॉक्टर ओमप्रकाश बहुत रोए भी थे कि मुझे घर जाना है और मेरी बच्ची से मिलना है. मेरे पड़ोसी और दोस्तों ने बहुत मदद की.

डॉक्टर ओमप्रकाश मेरे लिए प्रेरणादायक हैं, इनका जो इंटरेस्ट है चाहे वह पर्यावरण को लेकर लोगों की मदद करना हो या आत्महत्या रोकने के लिए प्रयास करना. इसके लिए वे मेरे लिए प्रेरणादायक हैं. मुझे आज दिन तक कभी नहीं लगा कि मैंने लाइफ में कोई गलत निर्णय लिया हो. मुझे गर्व है कि मैंने राइट इंसान से शादी की है.

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