ETV Bharat / state

स्कूलों के 'सरकारी' हाल: चहुंमुखी विकास तो छोड़ो, यहां पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं

राजस्थान में सरकारी स्कूलों की हालात क्या है. इसको जानने के लिए हमारी टीम प्रदेश की सरकारी स्कूलों का जायजा ले रही है. जिसके तहत बाड़मेर के चौहटन कस्बे की स्कूलों में सामने आया कि शिक्षा की गुणवत्ता तो दूर की बात है, यहां बच्चों को पढ़ाने वाले ही नहीं है, देखिए स्कूलों के 'सरकारी' हाल पर बाड़मेर से स्पेशल रिपोर्ट...

chohtan Government school,  school reality check
स्पेशल रिपोर्ट चौहटन की सरकारी स्कूलों के हाल
author img

By

Published : Dec 22, 2019, 5:07 PM IST

चौहटन (बाड़मेर) . कस्बे में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार व क्वालिटी एज्युकेशन के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास जिले के सरहदी इलाके में आज भी नाकाफी नजर आ रहे है, हजारों शिक्षकों की भर्ती होने के बावजूद जिले के सरहदी चौहटन कस्बे के स्कूलों में भी शिक्षकों के कई पद रिक्त पड़े होने से यहां बच्चों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है.

स्पेशल रिपोर्ट चौहटन की सरकारी स्कूलों के हाल

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट : नाले के पानी के बीच अलवर में पढ़ाई करने को मजबूर हैं बच्चे

दो शिक्षकों के सहारे 145 विद्यार्थी
ईटीवी भारत ने कस्बे के राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय बांकलसरा बस्ती की स्थिति को जानने का प्रयास किया गया तो स्थिति बेहद विकट नजर आई है. यह ब्लॉक मुख्यालय का माध्यमिक विद्यालय होने के बावजूद यहां 9 कक्षाओं के 145 छात्र छात्राओं को पढ़ाने के लिए महज दो शिक्षक ही नियुक्त है, जबकि यहां स्वीकृत प्रधानाध्यापक के पद सहित शिक्षकों के 13 पदों में से 11 पद रिक्त पड़े हैं.

पढ़ें- स्कूलों के 'सरकारी' हाल: जयपुर नगर निगम की ओर संचालित पिंक सिटी स्कूल के हालात बद से बदतर, देखिए रिपोर्ट

कम्प्यूटर पढ़ाने वाला भी कोई नहीं
इस विद्यालय में पहली कक्षा से नवमीं कक्षा तक कुल 145 छात्र छात्राएं अध्यनरत है, जबकि दसवीं कक्षा की पढ़ाई के लिए विगत कई वर्षों से एक भी छात्र ठहर नहीं पाया है, उसने कहीं अन्यत्र ही अपना भाग्य संवारने के प्रयास किये हैं, माध्यमिक स्तर के इस विद्यालय में प्रधानाध्यापक का पद शुरू से रिक्त है. वरिष्ठ अध्यापक के 6 में से 5 पद रिक्त है.

वहीं तृतीय श्रेणी के भी 6 में से 5 पद रिक्त पड़े है. यहां दस कम्प्यूटर के साथ कम्प्यूटर लैब बनी हुई है, लेकिन कम्प्यूटर शिक्षा तो महज कमरों में ही कैद पड़ी हुई है, यहां कम्प्यूटर पढ़ाने वाले भी कोई नहीं है. यहां नब्बे फीसदी पद रिक्तता के चलते बच्चों की पढ़ाई पर ग्रहण लगा हुआ है, जबकि यह पिछड़ी व गरीब बस्ती होने के कारण निजी विद्यालयों में पढ़ाना दूर का सपना बना हुआ है और सरकारी स्कूल के हाल आपके सामने है.

चौहटन (बाड़मेर) . कस्बे में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार व क्वालिटी एज्युकेशन के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास जिले के सरहदी इलाके में आज भी नाकाफी नजर आ रहे है, हजारों शिक्षकों की भर्ती होने के बावजूद जिले के सरहदी चौहटन कस्बे के स्कूलों में भी शिक्षकों के कई पद रिक्त पड़े होने से यहां बच्चों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है.

स्पेशल रिपोर्ट चौहटन की सरकारी स्कूलों के हाल

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट : नाले के पानी के बीच अलवर में पढ़ाई करने को मजबूर हैं बच्चे

दो शिक्षकों के सहारे 145 विद्यार्थी
ईटीवी भारत ने कस्बे के राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय बांकलसरा बस्ती की स्थिति को जानने का प्रयास किया गया तो स्थिति बेहद विकट नजर आई है. यह ब्लॉक मुख्यालय का माध्यमिक विद्यालय होने के बावजूद यहां 9 कक्षाओं के 145 छात्र छात्राओं को पढ़ाने के लिए महज दो शिक्षक ही नियुक्त है, जबकि यहां स्वीकृत प्रधानाध्यापक के पद सहित शिक्षकों के 13 पदों में से 11 पद रिक्त पड़े हैं.

पढ़ें- स्कूलों के 'सरकारी' हाल: जयपुर नगर निगम की ओर संचालित पिंक सिटी स्कूल के हालात बद से बदतर, देखिए रिपोर्ट

कम्प्यूटर पढ़ाने वाला भी कोई नहीं
इस विद्यालय में पहली कक्षा से नवमीं कक्षा तक कुल 145 छात्र छात्राएं अध्यनरत है, जबकि दसवीं कक्षा की पढ़ाई के लिए विगत कई वर्षों से एक भी छात्र ठहर नहीं पाया है, उसने कहीं अन्यत्र ही अपना भाग्य संवारने के प्रयास किये हैं, माध्यमिक स्तर के इस विद्यालय में प्रधानाध्यापक का पद शुरू से रिक्त है. वरिष्ठ अध्यापक के 6 में से 5 पद रिक्त है.

वहीं तृतीय श्रेणी के भी 6 में से 5 पद रिक्त पड़े है. यहां दस कम्प्यूटर के साथ कम्प्यूटर लैब बनी हुई है, लेकिन कम्प्यूटर शिक्षा तो महज कमरों में ही कैद पड़ी हुई है, यहां कम्प्यूटर पढ़ाने वाले भी कोई नहीं है. यहां नब्बे फीसदी पद रिक्तता के चलते बच्चों की पढ़ाई पर ग्रहण लगा हुआ है, जबकि यह पिछड़ी व गरीब बस्ती होने के कारण निजी विद्यालयों में पढ़ाना दूर का सपना बना हुआ है और सरकारी स्कूल के हाल आपके सामने है.

Intro:rj_bmr_School_visit_avb_rjc10079
गुणात्मक शिक्षा बनी दूर की कौड़ी यहां बच्चों को पढ़ाने वाले भी नही
चौहटन कस्बे में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार व क्वालिटी एज्युकेशन के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास जिले के सरहदी इलाके में आज भी नाकाफी नजर आ रहे है, हजारों शिक्षकों की भर्ती होने के बावजूद जिले के सरहदी चौहटन कस्बे के स्कूलों में भी शिक्षकों के कई पद रिक्त पड़े होने से यहां बच्चों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है। मंगलवार को कस्बे के राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय बाँकलसरा बस्ती की स्थिति को जानने का प्रयास किया गया तो स्थिति बेहद विकट नजर आई है। यह ब्लॉक मुख्यालय का माध्यमिक विद्यालय होने के बावजूद यहां नौ कक्षाओं के 145 छात्र छात्राओं को पढ़ाने के लिए महज दो शिक्षक ही नियुक्त है जबकि यहां स्वीकृत प्रधानाध्यापक के पद सहित शिक्षकों के तेरह पदों मेंसे 11 पद रिक्त पड़े हैं। Body:चौहटन. शिक्षा के क्षेत्र में सुधार व क्वालिटी एज्युकेशन के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास जिले के सरहदी इलाके में आज भी नाकाफी नजर आ रहे है, हजारों शिक्षकों की भर्ती होने के बावजूद जिले के सरहदी चौहटन कस्बे के स्कूलों में भी शिक्षकों के कई पद रिक्त पड़े होने से यहां बच्चों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है। मंगलवार को कस्बे के राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय बाँकलसरा बस्ती की स्थिति को जानने का प्रयास किया गया तो स्थिति बेहद विकट नजर आई है। यह ब्लॉक मुख्यालय का माध्यमिक विद्यालय होने के बावजूद यहां नौ कक्षाओं के 145 छात्र छात्राओं को पढ़ाने के लिए महज दो शिक्षक ही नियुक्त है जबकि यहां स्वीकृत प्रधानाध्यापक के पद सहित शिक्षकों के तेरह पदों मेंसे 11 पद रिक्त पड़े हैं। इस विद्यालय में पहली कक्षा से नवमीं कक्षा तक कुल 145 छात्र छात्राएं अध्यनरत है जबकि दसवीं कक्षा की पढ़ाई के लिए विगत कई वर्षों से एक भी छात्र ठहर नहीं पाया है, उसने कहीं अन्यत्र ही अपना भाग्य संवारने के प्रयास किये हैं। माध्यमिक स्तर के इस विद्यालय में प्रधानाध्यापक का पद शुरू से रिक्त है वहीं वरिष्ठ अध्यापक के छः मेंसे पांच पद रिक्त है वहीं तृतीय श्रेणी के भी छः मेंसे पांच पद रिक्त पड़े है। यहां दस कम्प्यूटर के साथ कम्प्यूटर लैब बनी हुई है लेकिन कम्प्यूटर शिक्षा तो महज कमरों में ही कैद पड़ी हुई है, यहां कम्प्यूटर पढ़ाने वाले भी कोई नहीं है। यहां नब्बे फीसदी पद रिक्तता के चलते बच्चों की पढ़ाई पर ग्रहण लगा हुआ है जबकि यह पिछड़ी व गरीब बस्ती होने के कारण निजी विद्यालयों में पढ़ाना दूर का सपना बना हुआ है वहीं यहां पैरोकारी करने वाला भी कोई नजर नहीं आ रहा।
बाईट-देशराज वर्मा प्रधानाध्यापक कार्यवाहक चौहटनConclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.