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खड़ताल वादक गाजीखान का लोक कलाकारों ने किया स्वागत - खड़ताल

ख्याति प्राप्त खड़ताल वादक गाजी खान शनिवार को बाड़मेर के जसोल कस्बे में पहुंचे. जहां उनका मालाणी संस्कृतिक कला केंद्र के लोक कलाकारों ने स्वागत किया.

खड़ताल वादक गाजीखान का लोक कलाकारों ने किया स्वागत
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Published : Jul 20, 2019, 11:41 PM IST

बालोतरा (बाड़मेर). अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त व खड़ताल के जादूगर ग़ाज़ी ख़ान बरना का शनिवार को जसोल कस्बे में पहुंचने पर मालाणी संस्कृतिक कला केंद्र के लोक कलाकारों ने स्वागत किया.

इस दौरान मीडियो से बातचीत के दौरान कलाकार गाजी खान बरना ने बताया कि वे अब तक 228 से ज़्यादा विदेश दौरे करते हुए राजस्थानी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं. इस दौरान वे कई दिग्गज कलाकारों के बीच भी अपनी कला का लोहा मनवा चुके हैं. बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जब तक वे अपने क्षेत्र में वादन करते थे तो कभी यकीन नहीं था कि इस तरह से वे इस कला के साथ पहचान बनाएंगे.

खड़ताल वादक गाजीखान का लोक कलाकारों ने किया स्वागत

गाजी खान ने बताया कि चार दिन पहले उनका नाम संगीत नाटक अकादमी की ओर से खड़ताल वादक के लिए सम्मानित करने को लेकर चयन हुआ है. उन्होंने कहा कि देश विदेश में जहां भी जाने का मुझे मौका मिला राजस्थान के मान व सम्मान को ऊंचा उठाया है. इस दौरान स्थानीय लोगों ने उनका स्वागत किया. इस मौके पर गाजी खान ने कहा कि यहां आज कलाकारों ने एक कलाकार का स्वागत किया है. ये देखकर काफी अच्छा लगा.

बालोतरा (बाड़मेर). अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त व खड़ताल के जादूगर ग़ाज़ी ख़ान बरना का शनिवार को जसोल कस्बे में पहुंचने पर मालाणी संस्कृतिक कला केंद्र के लोक कलाकारों ने स्वागत किया.

इस दौरान मीडियो से बातचीत के दौरान कलाकार गाजी खान बरना ने बताया कि वे अब तक 228 से ज़्यादा विदेश दौरे करते हुए राजस्थानी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं. इस दौरान वे कई दिग्गज कलाकारों के बीच भी अपनी कला का लोहा मनवा चुके हैं. बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जब तक वे अपने क्षेत्र में वादन करते थे तो कभी यकीन नहीं था कि इस तरह से वे इस कला के साथ पहचान बनाएंगे.

खड़ताल वादक गाजीखान का लोक कलाकारों ने किया स्वागत

गाजी खान ने बताया कि चार दिन पहले उनका नाम संगीत नाटक अकादमी की ओर से खड़ताल वादक के लिए सम्मानित करने को लेकर चयन हुआ है. उन्होंने कहा कि देश विदेश में जहां भी जाने का मुझे मौका मिला राजस्थान के मान व सम्मान को ऊंचा उठाया है. इस दौरान स्थानीय लोगों ने उनका स्वागत किया. इस मौके पर गाजी खान ने कहा कि यहां आज कलाकारों ने एक कलाकार का स्वागत किया है. ये देखकर काफी अच्छा लगा.

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खड़ताल के जादूगर मांगणियार कलाकार गाजी राष्ट्रपति के हाथों होंगे सम्मानित


बालोतरा - अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त व दुनिया मे खडताल के जादूगर के नाम से अपनी पहचान बना चुके कलाकार ग़ाज़ी ख़ान बरना का
पहली बार जसोल कस्बे में पहुंचने पर स्वागत किया गया। जसोल कस्बे में मालाणी संस्कृतिक कला केंद्र के लोक कलाकारों द्वारा गाजी खान का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए अग्रिम बधाई दी। स्वागत के बाद बातचीत में बताया कि में जैसलमेर जिले के बरना गांव से निकलकर
अब तक 228 से ज़्यादा विदेश दौरे कर राजस्थानी कला का प्रदर्शन करते हुए अपनी शान को बढ़ाया हैं । मेने दुनिया के कई बड़े दिग्गज संगीतकारों के साथ संघर्ष किया हैं उसकी कहानी लम्बी है । उस्ताद अमदन अली खान, पंडित विश्व मोहनभट्ट, पंडित गज्जू महाराज, शिवा मणी, जाकिर हुसैन तथा दुनिया की बेस्ट वयलियन वादक याहूदि मेहनुदिन एवं अन्य प्रमुख लोगों से कला के क्षेत्र में मेरा संघर्ष अब तक हो चुका हैं। जब में अपने अपने क्षेत्र में वादन करता था तब मुझे भी यकीन नही था कि में इस प्रकार आगे बढ़ता जाऊँगा। देश के कई प्रमुख संगीत कलाकारों व विशेषज्ञों, राजनेताओं के सम्मुख प्रस्तुति दी उसकी बदौलत आज मुझे खुशी इस बात की भी हो रही है राष्ट्रीय संगीत अकादमी द्वारा राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। देश विदेश में जंहा भी जाने का मुझे मौका मिला राजस्थान के मान व सम्मान को ऊंचा उठाया है। मुझे खड़ताल के जादूगर के नाम से भी जाना जाता हैं। लोगो के द्वारा जब भी गायन की तारीफ करते हमसे बन ही नहीं रहा था। तब मेने हाथ में खड़ताल उठाई। रोहिड़े की लकड़ी के चार छोटे छोटे टुकड़े, जिनका संगीत काफी गीतों के साथ तो चलता है, पर कोमल दा (कोमल कोठारी जी ) की प्रेरणा से खड़ताल का एकल वादन सर्वप्रथम प्रारम्भ करने वाले गाज़ी के हाथों में आकर मानो खड़ताल जीवित हो उठी। उन्होंने कहा कि कॉन्सर्ट वाले भी फोन पर मुझसे मंच सज्जा, संगीत और रोशनी की सलाह लेते है। लोग कहते है कि इतने बड़े कलाकार हो जाने पर भी अपने गाँव में ही रहकर "पहचान " नाम से एक स्कूल चलाते हैं, और संगीत के नए सिपाही तैयार करते हैं। गर्व घमंड इन्हें छू कर भी नहीं निकल पाया। आपको शुभकामनाएं गाज़ी भाई। राजस्थानी संगीत सुरक्षित हाथों में है।
Body:बालोतरा - अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त व दुनिया मे खडताल के जादूगर के नाम से अपनी पहचान बना चुके कलाकार ग़ाज़ी ख़ान बरना का
पहली बार जसोल कस्बे में पहुंचने पर स्वागत किया गया। जसोल कस्बे में मालाणी संस्कृतिक कला केंद्र के लोक कलाकारों द्वारा गाजी खान का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए अग्रिम बधाई दी। स्वागत के बाद बातचीत में बताया कि में जैसलमेर जिले के बरना गांव से निकलकर
अब तक 228 से ज़्यादा विदेश दौरे कर राजस्थानी कला का प्रदर्शन करते हुए अपनी शान को बढ़ाया हैं । मेने दुनिया के कई बड़े दिग्गज संगीतकारों के साथ संघर्ष किया हैं उसकी कहानी लम्बी है । उस्ताद अमदन अली खान, पंडित विश्व मोहनभट्ट, पंडित गज्जू महाराज, शिवा मणी, जाकिर हुसैन तथा दुनिया की बेस्ट वयलियन वादक याहूदि मेहनुदिन एवं अन्य प्रमुख लोगों से कला के क्षेत्र में मेरा संघर्ष अब तक हो चुका हैं। जब में अपने अपने क्षेत्र में वादन करता था तब मुझे भी यकीन नही था कि में इस प्रकार आगे बढ़ता जाऊँगा। देश के कई प्रमुख संगीत कलाकारों व विशेषज्ञों, राजनेताओं के सम्मुख प्रस्तुति दी उसकी बदौलत आज मुझे खुशी इस बात की भी हो रही है राष्ट्रीय संगीत अकादमी द्वारा राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। देश विदेश में जंहा भी जाने का मुझे मौका मिला राजस्थान के मान व सम्मान को ऊंचा उठाया है। मुझे खड़ताल के जादूगर के नाम से भी जाना जाता हैं। लोगो के द्वारा जब भी गायन की तारीफ करते हमसे बन ही नहीं रहा था। तब मेने हाथ में खड़ताल उठाई। रोहिड़े की लकड़ी के चार छोटे छोटे टुकड़े, जिनका संगीत काफी गीतों के साथ तो चलता है, पर कोमल दा (कोमल कोठारी जी ) की प्रेरणा से खड़ताल का एकल वादन सर्वप्रथम प्रारम्भ करने वाले गाज़ी के हाथों में आकर मानो खड़ताल जीवित हो उठी। उन्होंने कहा कि कॉन्सर्ट वाले भी फोन पर मुझसे मंच सज्जा, संगीत और रोशनी की सलाह लेते है। लोग कहते है कि इतने बड़े कलाकार हो जाने पर भी अपने गाँव में ही रहकर "पहचान " नाम से एक स्कूल चलाते हैं, और संगीत के नए सिपाही तैयार करते हैं। गर्व घमंड इन्हें छू कर भी नहीं निकल पाया। आपको शुभकामनाएं गाज़ी भाई। राजस्थानी संगीत सुरक्षित हाथों में है।
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