बाड़मेर. साल 1965 में भारत-पाक युद्ध में रेलवे के कर्मचारियों ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. इन शहीदों को याद करते हुए हर साल की तरह इस बार भी शहीद स्मारक गडरा रोड में शहीद मेले का आयोजन किया गया. इस दौरान शहीदों के परिजनों और रेलवे यूनियन के पदाधिकारियों ने श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद किया.
बता दें कि साल 1965 की लड़ाई में रेलवे लाइन को ठीक कर रहे रेलकर्मियों पर पाक सैनिकों ने हमला बोल दिया था. इस दौरान रेलवे के 17 कर्मी शहीद हो गए थे. इन शहीदों की याद में गडरा रोड शहीद स्मारक पर हर साल बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले में लोगों के आने-जाने के लिए रेलवे की तरफ से विशेष ट्रेन भी चलाई जाती है, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से शहीद मेला सीमित लोगों की मौजूदगी में ही संपन्न हुआ.
बाड़मेर नगर परिषद के सभापति दिलीप माली ने बताया कि 1965 में भारत-पाक युद्ध के उनके दादा चुन्नीलाल सहित 17 रेलवे के कर्मचारी शहीद हो गए थे, उनकी याद में हर साल गडरा रोड पर स्थित शहीद स्मारक पर शहीद मेले का आयोजन किया जाता है. उन्होंने कहा कि कोरोना के मद्देनजर इस बार भव्य मेले का आयोजन नहीं किया गया. सिर्फ सीमित लोगों की मौजूदगी में शहीद मेले का आयोजन किया गया.
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साथ ही बताया कि जो जवान शहीद हुए थे, उस दौरान ये जवान रेल से शस्त्र और खाद्य सामग्री को बोर्ड पर पहुंचा रहे थे. लड़ाकू विमानों की ओर से की जा रही बमबारी, चारों ओर गोलियों की बौछार, सैनिकों की रेलमपेल का दृश्य रोंगटे खड़े करने वाला था. इसी दौरान भारत से घबराए पाक ने युद्ध की सामग्री और खाद्य सामग्री पहुंचाने में मदद कर रही रेलवे लाइन को गडरा रोड के पास क्षतिग्रस्त कर दिया.
इसके बाद चिंता इस बात की थी कि अब गोला, बारूद, हथियार सहित अन्य सामग्री को जवानों तक कैसे पहुंचाया जाए. इस दौरान भारत के वीर जवानों (रेलकर्मी) ने क्षतिग्रस्त लाइन को दुरुस्त करने की मन में ठानी और अपने मिशन पर निकल गए. यह कर्मचारी रेलवे लाइन को दुरुस्त कर रहे थे कि इस दरम्यान पाक विमानों ने इन पर बमबारी शुरू कर दी. इसमें 17 रेल कर्मी शहीद हो गए थे.