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बाड़मेर: नवमी पर कन्या पूजन के बाद भक्तजनों ने खोले व्रत

नवरात्रा के दिनों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन के लिए श्रेष्ठ दिन माने जाते हैं. जिसके चलते सोमवार को बाड़मेर में कन्या पूजन किया गया. भक्तों ने कन्याओं की पूजा कर व्रत खोला.

नवमी पर कन्या पूजन, kanya poojan on Navami
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Published : Oct 7, 2019, 8:50 PM IST

बाड़मेर. नवरात्रि के नवमी तिथि को कन्याओं को भोज कराने की परंपरा है. जिसके चलते सोमवार को शहर भर के घरों में कन्या पूजन किया गया. कन्या पूजन के लिए नवमी तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है. नवरात्रि व्रत और उपवास का पर्व नहीं, बल्कि यह नारी शक्ति के सम्मान का भी पर्व है. इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं का पूजन और भोजन कराने की परंपरा है.

नवमी पर कन्या पूजन के बाद भक्तजनों ने खोले व्रत

हालांकि, नवरात्रि में हर दिन कन्याओं के पूजन की परंपरा है, लेकिन अष्टमी और नवमी को अवश्य ही पूजा की जाती है. 2 वर्ष से 11 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा का विधान है. शहर में सुबह से ही भक्त कन्याओं को पूजने के लिए तलाशते रहे. जिस घर में कन्या पूजन हो रहा था, उसके बाहर कन्याओं को अपने घर पूजन के लिए ले जाने वालों की होड़ दिखाई दी. 9 दिन से नवरात्र का व्रत कर रही भक्तों ने अपने घर में नौ कन्याओं को नौ देवियों का प्रतिबिंब मान कर उनकी पूजा की.

पढ़ें: SMS अस्पताल में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत होने वाले कामों का होगा रिव्यू, उसके बाद ही मिलेगा पैसा

वहीं कन्याओं के माथे पर अक्षत और कुमकुम से तिलक लगाकर, कन्याओं के हाथों में मौली बांधकर उनकी आरती उतारी गई. जिसके बाद मां भगवती का ध्यान करके इन नौ देवी रूपी कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन करवाया गया. भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा और उपहार देकर उनके पैर छुए गए. जिसके बाद मां गौरी की आराधना कर भक्तजनों ने अपना उपवास समाप्त किया.

बाड़मेर. नवरात्रि के नवमी तिथि को कन्याओं को भोज कराने की परंपरा है. जिसके चलते सोमवार को शहर भर के घरों में कन्या पूजन किया गया. कन्या पूजन के लिए नवमी तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है. नवरात्रि व्रत और उपवास का पर्व नहीं, बल्कि यह नारी शक्ति के सम्मान का भी पर्व है. इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं का पूजन और भोजन कराने की परंपरा है.

नवमी पर कन्या पूजन के बाद भक्तजनों ने खोले व्रत

हालांकि, नवरात्रि में हर दिन कन्याओं के पूजन की परंपरा है, लेकिन अष्टमी और नवमी को अवश्य ही पूजा की जाती है. 2 वर्ष से 11 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा का विधान है. शहर में सुबह से ही भक्त कन्याओं को पूजने के लिए तलाशते रहे. जिस घर में कन्या पूजन हो रहा था, उसके बाहर कन्याओं को अपने घर पूजन के लिए ले जाने वालों की होड़ दिखाई दी. 9 दिन से नवरात्र का व्रत कर रही भक्तों ने अपने घर में नौ कन्याओं को नौ देवियों का प्रतिबिंब मान कर उनकी पूजा की.

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वहीं कन्याओं के माथे पर अक्षत और कुमकुम से तिलक लगाकर, कन्याओं के हाथों में मौली बांधकर उनकी आरती उतारी गई. जिसके बाद मां भगवती का ध्यान करके इन नौ देवी रूपी कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन करवाया गया. भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा और उपहार देकर उनके पैर छुए गए. जिसके बाद मां गौरी की आराधना कर भक्तजनों ने अपना उपवास समाप्त किया.

Intro:बाड़मेर

नवरात्रि के आखिरी दिन नवमी पर कन्या पूजन के बाद खोले व्रत

नवरात्रा के दिनों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है कन्याओं की पूजा कर व्रत का उद्यापान करते हैं, नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिविंब के रूप में पूजन किया जाता है


Body:नवरात्रि के नवमी तिथि को कन्याओं को भोज कराने की परंपरा है कन्या पूजन के लिए नवमी तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है नवरात्रि के व्रत और उपवास का पर्व नहीं यह नारी शक्ति के कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं को पूजन ने और भोजन कराने की परंपरा भी है हालांकि नवरात्रि में हर दिन कन्याओं के पूजन की परंपरा है लेकिन नवमी और नवमी को अवश्य ही पूजा की जाती है 2 वर्ष से 11 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा का करने का विधान किया गया है सुबह से ही भक्तों कन्याओं को पूजने के लिए तलाशते रहे जिस घर में कन्या पूजन हो रहा था उसके बाहर कन्याओं को अपने घर पूजन के लिए ले जाने वालों की होड़ दिखाई दी आज बाड़मेर में नवरात्रा की आखिर दिन नवमी को घरों में कन्या पूजन किया गया 9 दिन से नवरात्र का व्रत कर रही भक्तों ने अपने घर में नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिविंब के रूप में पूजन किया कन्याओं के माथे पर अक्षत कुमकुम से तिलक लगाकर इसके बाद कन्याओं के हाथों में मौली बांधकर उनकी आरती उतारी गई जिसके बाद मां भगवती का ध्यान करके इन नौ देवी रूपी कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन करवाया भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा उपहार देकर पैर छू कर आशीष ली और जिसके बाद भक्तजनों ने विधि विधान से कन्या पूजन के बाद मां गौरी की आराधना कर अपना उपवास समाप्त किया


Conclusion: कन्या पूजन का क्यों है महत्व

नवरात्रा के दौरान कन्या पूजन का बड़ा महत्व है नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिविंब के रूप में पूजन के बाद ही भक्तों का नवरात्र व्रत पूरा होता है अपने सामर्थ्य के अनुसार लोग भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती है और भक्तों को उनका मनचाहा वरदान देती है

कन्याओं की उम्र

कन्याओं की उम्र 2 साल से ऊपर तथा 11 साल तक होनी चाहिए इनकी संख्या कम से कम नहीं होनी चाहिए अगर 9 से ज्यादा कन्या भोज पर आ रही है तो कोई समस्या नहीं इसके साथ ही 9 कन्याओं के साथ एक बालक जरूर बिठाया जाता है

बाईट- मीना चोधरी, उपासक , श्रद्धालु
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