बाड़मेर. कोरोना मरीज की मौत के बाद उसकी बेटी चिता में जिंदा जलना चाहती थी, लेकिन आसपास के लोगों ने बचा लिया था. प्रारंभिक इलाज के बाद अब इस बेटी को जोधपुर रेफर कर दिया गया है. क्योंकि शरीर का 70 फीसदी हिस्सा आग की चपेट में आ गया है. लिहाजा, डॉक्टरों ने प्रारंभिक इलाज करने के बाद अब जोधपुर रेफर कर दिया है.
जानकारी के अनुसार, बाड़मेर के रहने वाले दामोदर का इलाज राजकीय चिकित्सालय में चल रहा था. मंगलवार दोपहर 3 बजे के करीब अचानक उनकी मौत हो गई, जिसके बाद सरकारी गाइडलाइन्स के अनुसार दाह संस्कार किया जा रहा था. लेकिन घरवालों ने जिद करके सामान्य जगह पर दाह संस्कार करवाया.
अंतिम संस्कार में दामोदर की तीन बेटियां चिता के आगे खड़ी थी. 30 साल की चंद्रा ने मुखाग्नि देते हुए अचानक की चिता में कूद गई. इस घटना को देखकर हर कोई सन्न रह गया. आनन-फानन में लोगों ने चंद्रा को बाहर निकाला और इलाज के लिए अस्पताल ले गए.
यह भी पढ़ें: बाड़मेर: पिता की मौत के बाद जलती चिता में कूदी बेटी, 70 फीसदी झुलसी...इलाज जारी
इस पूरे मामले में श्मशान समिति का कहना है, दाह संस्कार सरकारी गाइडलाइन्स के अनुरूप करवा रहे थे. लेकिन परिवार वालों ने जिद कर दी, जिसके चलते यह हादसा हुआ है. गौरतलब है, बाड़मेर में लगातार कोरोना ने परिवार के कई मुखिया उनको छीन लिया है. उन्हीं में से चंदा का परिवार ही एक है.