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बाड़मेर: कोर्ट ने 100 साल पुराने कुंए का ताला तुड़वाकर दिलाया कब्जा - court gave the verdict

बाड़मेर जिले में 100 साल पहले उमचन्द जैन ने शहरवासियों को पीने के पानी की भारी किल्लत से निजात दिलाने के लिए खुदवाये गये सार्वजनिक कुआ पर हुए कब्जे के को लेकर कोर्ट ने फैसला सुनाया है. मंगलवार को न्यायालय ने ने कुएं का ताला तोड़कर कब्जा असली मालिक को देने के आदेश दिए.

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कोर्ट ने 100 साल पुराने कुंए का ताला तुड़वाकर दिलाया कब्जा
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Published : Jan 5, 2021, 10:49 PM IST

बाड़मेर. एडवोकेट मुकेश जैन ने बताया की जैन समाज के दानदाता उमचन्द जैन ने 100 वर्ष पहल बाड़मेर में पानी की भारी किलत को देखते हुए बाड़मेर वासियों को मीठा पानी उपलब्ध कराने के लिए कुआ खुदवाया था. उन्होंने इसे शिव मार्ग पर जैन संघ को सुपूर्द किया था. जैन संघ शुरू से कुए का संचालन करता रहा और आमजन सहित पशुओं को पानी उपलब्ध करवाता रहा.

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लेकिन इस बीच प्रहलाद माली नाम के व्यक्ति ने उस पर अनाधिकृत कब्जा कर लिया और पानी पैसों में बेचना शुरू कर दिया. जैन समाज ने विरोध किया तो प्रहलाद ने इस मामले को अदालत मे घसीटा और जैन समाज के विरुद्ध स्टे की मांग की.

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लेकिन अदालत ने उसके विरुद्ध निर्णय दिया जिसके बाद जैन समाज ने प्रहलाद के कब्जे को हटाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की. कोर्ट में उमचन्द के पौत्र एडवोकेट सुरतानमल जैन और बाद में उनके पुत्र जेठमल जैन ने इस कुएं के मालिकाना हक की लड़ाई करीबन 30 सालों तक अदालत में लड़ी जिसके बाद कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया है.

बाड़मेर. एडवोकेट मुकेश जैन ने बताया की जैन समाज के दानदाता उमचन्द जैन ने 100 वर्ष पहल बाड़मेर में पानी की भारी किलत को देखते हुए बाड़मेर वासियों को मीठा पानी उपलब्ध कराने के लिए कुआ खुदवाया था. उन्होंने इसे शिव मार्ग पर जैन संघ को सुपूर्द किया था. जैन संघ शुरू से कुए का संचालन करता रहा और आमजन सहित पशुओं को पानी उपलब्ध करवाता रहा.

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लेकिन इस बीच प्रहलाद माली नाम के व्यक्ति ने उस पर अनाधिकृत कब्जा कर लिया और पानी पैसों में बेचना शुरू कर दिया. जैन समाज ने विरोध किया तो प्रहलाद ने इस मामले को अदालत मे घसीटा और जैन समाज के विरुद्ध स्टे की मांग की.

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लेकिन अदालत ने उसके विरुद्ध निर्णय दिया जिसके बाद जैन समाज ने प्रहलाद के कब्जे को हटाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की. कोर्ट में उमचन्द के पौत्र एडवोकेट सुरतानमल जैन और बाद में उनके पुत्र जेठमल जैन ने इस कुएं के मालिकाना हक की लड़ाई करीबन 30 सालों तक अदालत में लड़ी जिसके बाद कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया है.

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