बाड़मेर. व्यवसायी गणेश मेघवाल आत्महत्या के मामले में 5 दिनों से चल रहा गतिरोध शुक्रवार को टूट गया. प्रशासन से वार्ता के बाद परिजन और समाज के लोग शव उठाने को राजी हो गये हैं. मृतक के परिजन और समाज के लोग 6 सूत्री मांगों को लेकर 5 दिनों से धरने पर बैठे थे. तीन मांगों पर शुक्रवार को सहमति बन गई.
गणेश मेघवाल आत्महत्या प्रकरण को लेकर मृतक के परिजन और समाज के लोग 5 दिनों से जिला अस्पताल की मोर्चरी के बाहर 6 सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए थे और इस दौरान समाज के प्रतिनिधिमंडल और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ कई दौर की वार्ता हुई. लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया. ऐसे में शुक्रवार को बाड़मेर जिला कलेक्टर विश्राम मीणा, पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा ने मृतक के परिजनों को बुलाकर उनसे वार्ता की और उसके बाद तीन मांगों पर सहमति बनने के बाद जिला कलेक्टर विश्राम मीणा पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा धरना स्थल पर पहुंचे और मृतक के परिजनों और समाज के लोगों को प्रशासन की ओर से मांगी गई मांगों का सहमति पत्र सौंपकर धरने को समाप्त करवाया.
एससी-एसटी एकता मंच के अध्यक्ष उदाराम मेघवाल ने बताया कि गणेश मेघवाल के मामले को लेकर 5 दिनों से चल रहा धरना प्रदर्शन आज जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के साथ हुई वार्ता में सहमति बनने के बाद गतिरोध टूट गया है. तीन मांगों पर सहमति बनने के बाद अब मृतक के शव का पोस्टमार्टम करवा आगे की कार्रवाई की जाएगी. कलेक्टर विश्राम मीणा ने बताया कि 5 दिनों से मृतक के परिजनों और समाज के लोगों के प्रतिनिधिमंडल के साथ कई दौर की वार्ता हुई यह अच्छे माहौल में हुई.
उन्होंने बताया कि आज मृतक के परिजनों के साथ वार्ता कर समझाया गया. जिसके बाद कुछ मांगों पर सहमति बनने के बाद अब परिजन और समाज के लोग से शव उठाने को राजी हो गये. एसपी आनंद शर्मा ने बताया कि मृतक के परिजन और समाज के लोगों की मांग के अनुसार दो मामलों को रिओपन करवाने और सुसाइड मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी. जो भी दोषी पाया जाएगा उसके अनुसार कार्रवाई की जायेगी. अब मृतक के शव का पोस्टमार्टम करवा शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया जाएगा.
इन मांगो पर बनी सहमति
- भूखंड मामले को लेकर अतिरिक्त सेशन न्यायालय बाड़मेर के निर्णय की विधिसम्मत पालना अति शीघ्र करवाने
- एफआर लग चुके मुकदमों को पुनः रिओपन करवा कर निष्पक्ष जांच करने और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने
- सुसाइड नोट मामले में निष्पक्ष जांच