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टीले पर बैठकर देख रही है भाजपा बाड़मेर-जैसलमेर का नजारा

लोकसभा के सियासी मैदान में उतरते हुए भाजपा ने राजस्थान में 25 में से 16 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. लेकिन, पार्टी ने बाड़मेर-जैसलमेर सीट को लेकर चुप्पी साध रखी है....

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Published : Mar 22, 2019, 4:30 PM IST

बाड़मेर . लोकसभा के सियासी जमीन पर चढ़ते चुनावी पारे के बीच भाजपा ने राजस्थान की 25 में से 16 सीटो पर प्रत्याशियों की घोषणा करते हुए चुनावी बिसात बिछा दी है. पार्टी ने पहली सूची में राज्य के 14 सीटों पर मौजूदा सांसदों पर फिर से भरोसा जताया है. लेकिन, इस सूची में बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर पत्ता नहीं खोलते हुए पार्टी ने पैर पीछे खींच रखे हैं. माना जा रहा है कि इस सीट पर भाजपा ने कांग्रेस के भीतर जारी मानवेंद्र सिंह और मंत्री हरीश चौधरी के बीच जारी सियासी लड़ाई को देख चुप्पी साधते हुए नजारे को देख रही है.

भाजपा ने पहली सूची में 9 सीटों को छोड़कर सभी सीटों पर अपने पत्ते खोल दिए हैं. लेकिन, राज्य की हॉट सीटों में से एक बाड़मेर-जैसलमेर पर पार्टी की चुप्पी के चलते जहां सियासी पारा चढ़ गया है. वहीं, कई तरह के राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं. सियासतदारों के बीच इस सीट का खासा महत्व है, इस सीट पर पहले चरण में मतदान होना है. लेकिन, बावजूद इसके भाजपा ने यहां पर चुप्पी साधते हुए पहली सूची में प्रत्याशी का एलान नहीं किया है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि भाजपा इस हॉट सीट पर कांग्रेस के एक्शन को देखकर ही कोई रिएक्शन देने वाली नीति अपनाई है. उनका कहना है कि बाड़मेर-जैसलमेर सीट को लेकर कांग्रेस के भीतर भी कशमकश जारी है. विधानसभा चुनाव में भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस के घर में शामिल होने वाले मानवेंद्र सिंह जहां कांग्रेस के भीतर टिकट के लिए प्रबल दावेदार बने हुए हैं. वहीं, कांग्रेस की गहलोत सरकार में मंत्री हरीश चौधरी ने भी चुनावी ताल ठोकते हुए मानवेंद्र की मुश्किलों को बढ़ा दिया है. ऐसे में पार्टी के सामने असमंजस की स्थिति खड़ी हो गई है.

मानवेंद्र और हरीश चौधरी के बीच बाड़मेर की सीट पर दावेदारी को लेकर चल रहे सियासी खेल के बीच कांग्रेस इसका हल निकालने में जुटी है. जानकारों का कहना है कि इस स्थिति को देखते हुए भाजपा ने भी इस सीट पर पत्ते को उजागर नहीं कर रही है. माना जा रहा है कि भाजपा चाहती है कि कांग्रेस की तरफ से इस सीट पर प्रत्याशी घोषित होने के बाद उसे देखते हुए आगे कदम बढ़ाया जाए. जिससे बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर वापस जीत का परचम लहराया जा सके. आपको बता दें कि बाड़मेर सीट पर जाट और राजपूत दोनों ही बड़े फैक्टर हैं. दोनों ही वर्ग इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कयास लगाया जा रहा है कि यदि कांग्रेस ने यहां से मानवेंद्र को मैदान में उतारा तो उसकी काट के लिए भाजपा किसी जाट नेता को आगे कर सकती है. जबकि, हरीश चौधरी के मैदान में उतरने पर भाजपा किसी दूसरी रणनीति को अपनाते हुए आगे बढ़ेगी.

बाड़मेर . लोकसभा के सियासी जमीन पर चढ़ते चुनावी पारे के बीच भाजपा ने राजस्थान की 25 में से 16 सीटो पर प्रत्याशियों की घोषणा करते हुए चुनावी बिसात बिछा दी है. पार्टी ने पहली सूची में राज्य के 14 सीटों पर मौजूदा सांसदों पर फिर से भरोसा जताया है. लेकिन, इस सूची में बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर पत्ता नहीं खोलते हुए पार्टी ने पैर पीछे खींच रखे हैं. माना जा रहा है कि इस सीट पर भाजपा ने कांग्रेस के भीतर जारी मानवेंद्र सिंह और मंत्री हरीश चौधरी के बीच जारी सियासी लड़ाई को देख चुप्पी साधते हुए नजारे को देख रही है.

भाजपा ने पहली सूची में 9 सीटों को छोड़कर सभी सीटों पर अपने पत्ते खोल दिए हैं. लेकिन, राज्य की हॉट सीटों में से एक बाड़मेर-जैसलमेर पर पार्टी की चुप्पी के चलते जहां सियासी पारा चढ़ गया है. वहीं, कई तरह के राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं. सियासतदारों के बीच इस सीट का खासा महत्व है, इस सीट पर पहले चरण में मतदान होना है. लेकिन, बावजूद इसके भाजपा ने यहां पर चुप्पी साधते हुए पहली सूची में प्रत्याशी का एलान नहीं किया है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि भाजपा इस हॉट सीट पर कांग्रेस के एक्शन को देखकर ही कोई रिएक्शन देने वाली नीति अपनाई है. उनका कहना है कि बाड़मेर-जैसलमेर सीट को लेकर कांग्रेस के भीतर भी कशमकश जारी है. विधानसभा चुनाव में भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस के घर में शामिल होने वाले मानवेंद्र सिंह जहां कांग्रेस के भीतर टिकट के लिए प्रबल दावेदार बने हुए हैं. वहीं, कांग्रेस की गहलोत सरकार में मंत्री हरीश चौधरी ने भी चुनावी ताल ठोकते हुए मानवेंद्र की मुश्किलों को बढ़ा दिया है. ऐसे में पार्टी के सामने असमंजस की स्थिति खड़ी हो गई है.

मानवेंद्र और हरीश चौधरी के बीच बाड़मेर की सीट पर दावेदारी को लेकर चल रहे सियासी खेल के बीच कांग्रेस इसका हल निकालने में जुटी है. जानकारों का कहना है कि इस स्थिति को देखते हुए भाजपा ने भी इस सीट पर पत्ते को उजागर नहीं कर रही है. माना जा रहा है कि भाजपा चाहती है कि कांग्रेस की तरफ से इस सीट पर प्रत्याशी घोषित होने के बाद उसे देखते हुए आगे कदम बढ़ाया जाए. जिससे बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर वापस जीत का परचम लहराया जा सके. आपको बता दें कि बाड़मेर सीट पर जाट और राजपूत दोनों ही बड़े फैक्टर हैं. दोनों ही वर्ग इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कयास लगाया जा रहा है कि यदि कांग्रेस ने यहां से मानवेंद्र को मैदान में उतारा तो उसकी काट के लिए भाजपा किसी जाट नेता को आगे कर सकती है. जबकि, हरीश चौधरी के मैदान में उतरने पर भाजपा किसी दूसरी रणनीति को अपनाते हुए आगे बढ़ेगी.

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टीले पर बैठकर देख रही है भाजपा बाड़मेर-जैसलमेर का नजारा



लोकसभा के सियासी मैदान में उतरते हुए भाजपा ने राजस्थान में 25 में से 16 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. लेकिन, पार्टी ने बाड़मेर-जैसलमेर सीट को लेकर चुप्पी साध रखी है....



जयपुर . लोकसभा के सियासी जमीन पर चढ़ते चुनावी पारे के बीच भाजपा ने राजस्थान की 25 में से 16 सीटो पर प्रत्याशियों की घोषणा करते हुए चुनावी बिसात बिछा दी है. पार्टी ने पहली सूची में राज्य के 14 सीटों पर मौजूदा सांसदों पर फिर  से भरोसा जताया है. लेकिन, इस सूची में बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर पत्ता नहीं खोलते हुए पार्टी ने पैर पीछे खींच रखे हैं. माना जा रहा है कि इस सीट पर भाजपा ने कांग्रेस के भीतर जारी मानवेंद्र सिंह और मंत्री हरीश चौधरी के बीच जारी सियासी लड़ाई को देख चुप्पी साधते हुए नजारे को देख रही है.

भाजपा ने पहली सूची में 9 सीटों को छोड़कर सभी सीटों पर अपने पत्ते खोल दिए हैं. लेकिन, राज्य की हॉट सीटों में से एक बाड़मेर-जैसलमेर पर पार्टी की चुप्पी के चलते जहां सियासी पारा चढ़ गया है. वहीं, कई तरह के राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं. सियासतदारों के बीच इस सीट का खासा महत्व है, इस सीट पर पहले चरण में मतदान होना है. लेकिन, बावजूद इसके भाजपा ने यहां पर चुप्पी साधते हुए पहली सूची में प्रत्याशी का एलान नहीं किया है. राजनीति  के जानकारों का मानना है कि भाजपा इस हॉट सीट पर कांग्रेस के एक्शन को देखकर ही कोई रिएक्शन देने वाली नीति अपनाई है. उनका कहना है कि बाड़मेर-जैसलमेर सीट को लेकर कांग्रेस के भीतर भी कशमकश जारी है. विधानसभा चुनाव में भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस के घर में शामिल होने वाले मानवेंद्र सिंह जहां कांग्रेस के भीतर टिकट के लिए प्रबल दावेदार बने हुए हैं. वहीं, कांग्रेस की गहलोत सरकार में मंत्री हरीश चौधरी ने भी चुनावी ताल ठोकते हुए मानवेंद्र की मुश्किलों को बढ़ा दिया है. ऐसे में पार्टी के सामने असमंजस की स्थिति खड़ी हो गई है. मानवेंद्र और हरीश चौधरी के बीच बाड़मेर की सीट पर दावेदारी को लेकर चल रहे सियासी खेल के बीच कांग्रेस इसका हल निकालने में जुटी है.  जानकारों का कहना है कि इस स्थिति को देखते हुए भाजपा ने भी इस सीट पर पत्ते को उजागर नहीं कर रही है. माना जा रहा है कि भाजपा चाहती है कि कांग्रेस की तरफ से इस सीट पर प्रत्याशी घोषित होने के बाद उसे देखते हुए आगे कदम बढ़ाया जाए. जिससे बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर वापस जीत का परचम लहराया जा सके. आपको बता दें कि बाड़मेर सीट पर जाट और राजपूत दोनों ही बड़े फैक्टर हैं. दोनों ही वर्ग इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कयास लगाया जा रहा है कि यदि कांग्रेस ने यहां से मानवेंद्र को मैदान में उतारा तो उसकी काट के लिए भाजपा किसी जाट नेता को आगे कर सकती है. जबकि, हरीश चौधरी के मैदान में उतरने पर  भाजपा किसी दूसरी रणनीति को अपनाते हुए आगे बढ़ेगी.




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