बाड़मेर. कहते हैं, 'जहां चाह, वहां राह' कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, जिले के युवा पत्रकार तरुण मुखी ने. जिन्होंने करीब 5 महीने पहले नई पहल करते हुए "नया सवेरा पाठशाला" की शुरुआत की थी. उन्होंने गरीबी और अंधेरे में बचपन काट रहे बच्चों को एक आशा की एक किरण दिखाई है. जिसकी रोशनी में बच्चे अपनी भविष्य बनाने में जुटे हैं.
जिला मुख्यालय से महज 1 किलोमीटर दूर स्थिति लोहार बस्ती में एक भी स्कूल नहीं है, जिस वजह से बच्चों के हाथों में किताबों की जगह कचरा बीनने वाली थैलियां दिखीं. जिसे देखकर तरुण मुखी काफी हताहत हुए. जिसके बाद उन्होंने इन बच्चों को शिक्षित करने की ठान ली. उन्होंने करीब 5 महीने पहले एक झोपड़ी में "नया सवेरा पाठशाला" के नाम से एक पाठशाला शुरू की. जिसमें वे असहाय बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं. तरुण ने बताया, कि 5 महीने के कठिन संघर्ष के बाद इस स्कूल में 60 से ज्यादा बच्चे शिक्षा ले रहे हैं.
पाठशाला में मिड डे मील की व्यवस्था
तरुण ने सरकारी स्कूल की तर्ज पर दानदाताओं के सहयोग से अपनी पाठशाला में मिड डे मील की व्यवस्था भी की है. जिसमें बच्चों को नियमित पौष्टिकआहार दिया जाता है. इसके अलावा स्कूल में पढ़ाने के लिए 2 अध्यापक और एक प्रेरक कार्यरत हैं. जिनकी सैलरी तरुण दानदाताओं की मदद से देते हैं. तरुण ने जो शिक्षा की अलख बाड़मेर की लोहार बस्ती में जगाई है. वह अगर सरकार करती तो आज बस्ती में एक भी अनपढ़ नहीं रहता, लेकिन सरकार की बेरुखी के कारण आज पूरी दो पीढ़ियां अनपढ़ हैं, लेकिन इसकी तीसरी पीढ़ी 'नया सवेरा पाठशाला' में शिक्षा ले रही है.