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बाड़मेर: एक युवा की नई पहल "नया सवेरा पाठशाला" , वंचित बच्चों में जगाई शिक्षा की ज्योति - Barmer school

बाड़मेर की लोहार बस्ती में नि:शुल्क चल रही पाठशाला में करीब 60 बच्चे शिक्षा लेकर अपना भविष्य बनाने की जद में लगे हैं. इसकी शुरुआत युवा पत्रकार तरुण मुखी ने 5 महीने पहले की थी.

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बच्चों में जगाई शिक्षा की अलख
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Published : Jan 5, 2020, 2:31 PM IST

बाड़मेर. कहते हैं, 'जहां चाह, वहां राह' कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, जिले के युवा पत्रकार तरुण मुखी ने. जिन्होंने करीब 5 महीने पहले नई पहल करते हुए "नया सवेरा पाठशाला" की शुरुआत की थी. उन्होंने गरीबी और अंधेरे में बचपन काट रहे बच्चों को एक आशा की एक किरण दिखाई है. जिसकी रोशनी में बच्चे अपनी भविष्य बनाने में जुटे हैं.

बच्चों में जगाई शिक्षा की अलख

जिला मुख्यालय से महज 1 किलोमीटर दूर स्थिति लोहार बस्ती में एक भी स्कूल नहीं है, जिस वजह से बच्चों के हाथों में किताबों की जगह कचरा बीनने वाली थैलियां दिखीं. जिसे देखकर तरुण मुखी काफी हताहत हुए. जिसके बाद उन्होंने इन बच्चों को शिक्षित करने की ठान ली. उन्होंने करीब 5 महीने पहले एक झोपड़ी में "नया सवेरा पाठशाला" के नाम से एक पाठशाला शुरू की. जिसमें वे असहाय बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं. तरुण ने बताया, कि 5 महीने के कठिन संघर्ष के बाद इस स्कूल में 60 से ज्यादा बच्चे शिक्षा ले रहे हैं.

पढ़ेंः बाड़मेरः पीएमओ बीएल मंसूरिया ने की प्रेस वार्ता, बच्चों की मृत्यु दर को लेकर पिछले 6 वर्षों के आंकड़े रखे सामने

पाठशाला में मिड डे मील की व्यवस्था
तरुण ने सरकारी स्कूल की तर्ज पर दानदाताओं के सहयोग से अपनी पाठशाला में मिड डे मील की व्यवस्था भी की है. जिसमें बच्चों को नियमित पौष्टिकआहार दिया जाता है. इसके अलावा स्कूल में पढ़ाने के लिए 2 अध्यापक और एक प्रेरक कार्यरत हैं. जिनकी सैलरी तरुण दानदाताओं की मदद से देते हैं. तरुण ने जो शिक्षा की अलख बाड़मेर की लोहार बस्ती में जगाई है. वह अगर सरकार करती तो आज बस्ती में एक भी अनपढ़ नहीं रहता, लेकिन सरकार की बेरुखी के कारण आज पूरी दो पीढ़ियां अनपढ़ हैं, लेकिन इसकी तीसरी पीढ़ी 'नया सवेरा पाठशाला' में शिक्षा ले रही है.

बाड़मेर. कहते हैं, 'जहां चाह, वहां राह' कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, जिले के युवा पत्रकार तरुण मुखी ने. जिन्होंने करीब 5 महीने पहले नई पहल करते हुए "नया सवेरा पाठशाला" की शुरुआत की थी. उन्होंने गरीबी और अंधेरे में बचपन काट रहे बच्चों को एक आशा की एक किरण दिखाई है. जिसकी रोशनी में बच्चे अपनी भविष्य बनाने में जुटे हैं.

बच्चों में जगाई शिक्षा की अलख

जिला मुख्यालय से महज 1 किलोमीटर दूर स्थिति लोहार बस्ती में एक भी स्कूल नहीं है, जिस वजह से बच्चों के हाथों में किताबों की जगह कचरा बीनने वाली थैलियां दिखीं. जिसे देखकर तरुण मुखी काफी हताहत हुए. जिसके बाद उन्होंने इन बच्चों को शिक्षित करने की ठान ली. उन्होंने करीब 5 महीने पहले एक झोपड़ी में "नया सवेरा पाठशाला" के नाम से एक पाठशाला शुरू की. जिसमें वे असहाय बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं. तरुण ने बताया, कि 5 महीने के कठिन संघर्ष के बाद इस स्कूल में 60 से ज्यादा बच्चे शिक्षा ले रहे हैं.

पढ़ेंः बाड़मेरः पीएमओ बीएल मंसूरिया ने की प्रेस वार्ता, बच्चों की मृत्यु दर को लेकर पिछले 6 वर्षों के आंकड़े रखे सामने

पाठशाला में मिड डे मील की व्यवस्था
तरुण ने सरकारी स्कूल की तर्ज पर दानदाताओं के सहयोग से अपनी पाठशाला में मिड डे मील की व्यवस्था भी की है. जिसमें बच्चों को नियमित पौष्टिकआहार दिया जाता है. इसके अलावा स्कूल में पढ़ाने के लिए 2 अध्यापक और एक प्रेरक कार्यरत हैं. जिनकी सैलरी तरुण दानदाताओं की मदद से देते हैं. तरुण ने जो शिक्षा की अलख बाड़मेर की लोहार बस्ती में जगाई है. वह अगर सरकार करती तो आज बस्ती में एक भी अनपढ़ नहीं रहता, लेकिन सरकार की बेरुखी के कारण आज पूरी दो पीढ़ियां अनपढ़ हैं, लेकिन इसकी तीसरी पीढ़ी 'नया सवेरा पाठशाला' में शिक्षा ले रही है.

Intro:बाड़मेर

स्पेशल रिपोर्ट । बाड़मेर के एक युवा ने "नया सवेरा पाठशाला" से की नई पहल , वंचित बच्चों मे जगाई शिक्षा की ज्योति

सपने सब लोग देखते हैं लेकिन कुछ लोग अपना सपना पूरा करने के लिए जी जान लगा देते हैं ताकि जब उनके सपने पूरे हो तो उनकी मदद से दूसरे लोग अपने सपनों को पूरा कर सके कहते हैं कि जहां चाहे वहां राह है कुछ इसी तरह पर बाड़मेर के एक युवा ने नई पहल करते हुए गरीबी के अंधेरे में अपना बचपन खो रहे उन बच्चों के लिए नया सवेरा पाठशाला उजियारे की एक किरण दिखाई इस पाठशाला की वजह से तीसरी पीढ़ी शिक्षा से रूबरू हो रही है युवा पत्रकार तरुण मुखी की प्रेरणा से कई मासूम आज कचरे के बोरे की जगह कलम थाम कर क ख ग सीख रहे है


Body:बाड़मेर जिला मुख्यालय से महज 1 किलोमीटर दूर स्थिति लोहार बस्ती आजादी के बरसो बाद भी सरकार की बेरुखी झेल रही है एक तरफ जहां शिक्षा को लेकर सरकार बड़े-बड़े दावे करती है वहीं इस बस्ती में सारे लोग अनपढ़ है बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक स्कूल नहीं गए जिस वजह से वो अशिक्षित रह गए बाड़मेर के युवा तरुण मुखी इस लोहार बस्ती में आ पहुंचे तो देखा छोटे-छोटे बच्चे हाथों में कचरा बीनने थेला लिए हुई दिखे तो आस पास के लोगो से पुछा कि ये बच्चे स्कुल जाते हैं तब पता चला की ये बच्चे नही जाते है क्योकि इस बस्ती में आज तक कोई स्कूल नहीं था लेकिन बाड़मेर के युवा सोच की कोशिशो ने बस्ती मे एक झोंपड़ी में स्कूल खोला जँहा ये बच्चे अब शिक्षा ले रहे


Conclusion:इस लोहारों की बस्ती में बाड़मेर के युवा तरुण मुखी ने करीबन पांच महीने पहले एक झोपड़ी में नया सवेरा पाठशाला के नाम से एक मिशन की शुरुआत की ताकि ये बच्चे पढ़ सके शुरुआत में तरुण को काफी दिक्कतें आई बच्चे स्कूल ना जाने की जिद पर अड़े रहते लेकिन तरुण ने हर स्तर पर मिशन को आगे बढ़ाया फिर पीछे नहीं हटा 5 महीने के कठिन संघर्ष के बाद इस स्कूल में 60 से ज्यादा बच्चे शिक्षा ले रहे हैं तरुण ने सरकारी स्कूल की तर्ज पर दानदाताओं के सहयोग से अपनी पाठशाला में मिड डे मील की व्यवस्था भी की है जिसमें बच्चों को नियमित पोस्टिक आहार दिया जाता है इसके अलावा स्कूल में पढ़ाने के लिए 2 अध्यापक और एक प्रेरक कार्यरत है जिसकी सैलरी तरुण कुछ अपनी जेब से तो कुछ दानदाताओं की मदद से देते हैं तरुण ने जो शिक्षा की अलख बाड़मेर की लोहार बस्ती में जगाई है वह पहला अगर सरकार करती तो आज बस्ती में एक भी अनपढ़ नहीं रहता लेकिन सरकार की बेरुखी के कारण आज पूरी दो पीढ़िया अनपढ़ लेकिन इसकी तीसरी पीढ़ी नए सवेरा पाठशाला में शिक्षा ले रही है

बाईट- वर्षा, छात्रा
बाईट- देवी , छात्रा
बाईट- देवा राम ,परिजन
बाईट- तुलसी ,परिजन
बाईट- तरुण मुखी , स्कूल संचालक
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