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पाक आर्मी कैंप से छीने गए विस्फोटक से भारतीय सेना ने किया ऐसा प्रयोग...10 गावों को 55 वर्षों से मिल रहा लाभ - भारतीय सेना

पिछले 54 वर्षों से राजस्ठान के एक तालाब के मीठे पानी का लाभ 10 गांव के लोगों को मिलता है. साथ ही इससे यहां के मवेशियों की प्यास बुझती है. साथ ही बीएसफ के जवान भी इसका प्रयोग करते हैं.

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Published : Mar 2, 2019, 7:27 PM IST

बाड़मेर. दुश्मनों को धूल चटाने में माहिर भारतीय जांबाज सिपाहियों की देश में कमी नहीं है. मां भारती के ये लाल दूध का कर्ज भी अदा करने का साहस रखते हैं.मां भारती के ये लाल दूध का कर्ज भी अदा करने का साहस रखते हैं. हम बात कर रहे हैं भारतीय सेना की. जिसने राजस्थान को एक ऐसा तोहफा दिया कि वह एक मिशाल बन गया.

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दरअसल ये बात वर्ष 1965 की है. जब भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध हुआ था. इस दौरान रेगिस्तान में सेना फंस गई थी. उसे वहां से निकलने का रास्ता तक पता नहीं था. सैनिक अपने साथ खाने पीने का जो समान ले गए थे वह भी खत्म हो चुका था. ऐसे में दुश्मन देश की सेना ने मोर्चा लेना जवानों के लिए कड़ी चुनौती थी.


इस मौके पर राजस्थान के तामलोर गांव के ग्रामीण सेना के काम आए. गांव वालों ने जवानों को खाने पीने के सामान मुहैया कराए. सरपंच इंदु सिंह कहते हैं कि ग्रामीणों में देशभक्ति का गजब का जज्बा था. जिसे देख सेना का हौसला सातवें आसमान पर था. ग्रामीणों की सहायता पर सेना के अधिकारियों ने कहा कि वे उनके लिए कुछ करना चाहते हैं. तब ग्रामीणों ने वहां पेयजल की समस्या का जिक्र किया. जिसके बाद सेना के अधिकारियों ने इलाके में एक तालाब बनाने की योजना बनाई. लेकिन जमीन पथरीली थी. जिसके चलते खुदाई करना संभव नहीं हो सका. इस पर सेना ने वहां पर सुरंग करके ब्लास्ट कर और तालाब बनाया.

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यह काम भारतीय सेना ने अपने खर्चे पर नहीं किया था. बल्कि इसमें उन विस्फोटकों का प्रयोग किया गया था, जो युद्ध के दौरान पाकिस्तान से आर्मी कैंप से छीनकर लाया गया था. इस तालाब से पिछले 54 वर्षों से मीठा पानी निकल रहा है. जिसका लाभ 10 गांव के लोगों को मिलता है. साथ ही इससे यहां के मवेशियों की प्यास बुझती है. पिछले दो साल से क्षेत्र में सामान्य से कम बारिश हुई है. जिसके चलते यह तालाब सूख गया है. बारिश के बाद तालाब में पानी भर जाता है. एक बार पानी भरने के बाद साल भर तालाब नहीं सूखता. तालाब के मीठे पानी का उपयोग इलाके के 10 गांव के साथ ही सीमा सुरक्षा बल जवान भी करते हैं.


बता दें कि पुलवामा में बीएसएफ के काफिले पर आतंकी हमले के बाद सीमा पर तनाव की स्थिति है. भारत पाक सीमा से सटे तामलोर गांव के लोगों के लोगों का जज्बा कायम है. वे कहते हैं कि देश के खिलाफ हर एक गतिविधि का जवाब देने के लिए भारतीय सेना के साथ हैं.

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बाड़मेर. दुश्मनों को धूल चटाने में माहिर भारतीय जांबाज सिपाहियों की देश में कमी नहीं है. मां भारती के ये लाल दूध का कर्ज भी अदा करने का साहस रखते हैं.मां भारती के ये लाल दूध का कर्ज भी अदा करने का साहस रखते हैं. हम बात कर रहे हैं भारतीय सेना की. जिसने राजस्थान को एक ऐसा तोहफा दिया कि वह एक मिशाल बन गया.

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दरअसल ये बात वर्ष 1965 की है. जब भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध हुआ था. इस दौरान रेगिस्तान में सेना फंस गई थी. उसे वहां से निकलने का रास्ता तक पता नहीं था. सैनिक अपने साथ खाने पीने का जो समान ले गए थे वह भी खत्म हो चुका था. ऐसे में दुश्मन देश की सेना ने मोर्चा लेना जवानों के लिए कड़ी चुनौती थी.


इस मौके पर राजस्थान के तामलोर गांव के ग्रामीण सेना के काम आए. गांव वालों ने जवानों को खाने पीने के सामान मुहैया कराए. सरपंच इंदु सिंह कहते हैं कि ग्रामीणों में देशभक्ति का गजब का जज्बा था. जिसे देख सेना का हौसला सातवें आसमान पर था. ग्रामीणों की सहायता पर सेना के अधिकारियों ने कहा कि वे उनके लिए कुछ करना चाहते हैं. तब ग्रामीणों ने वहां पेयजल की समस्या का जिक्र किया. जिसके बाद सेना के अधिकारियों ने इलाके में एक तालाब बनाने की योजना बनाई. लेकिन जमीन पथरीली थी. जिसके चलते खुदाई करना संभव नहीं हो सका. इस पर सेना ने वहां पर सुरंग करके ब्लास्ट कर और तालाब बनाया.

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यह काम भारतीय सेना ने अपने खर्चे पर नहीं किया था. बल्कि इसमें उन विस्फोटकों का प्रयोग किया गया था, जो युद्ध के दौरान पाकिस्तान से आर्मी कैंप से छीनकर लाया गया था. इस तालाब से पिछले 54 वर्षों से मीठा पानी निकल रहा है. जिसका लाभ 10 गांव के लोगों को मिलता है. साथ ही इससे यहां के मवेशियों की प्यास बुझती है. पिछले दो साल से क्षेत्र में सामान्य से कम बारिश हुई है. जिसके चलते यह तालाब सूख गया है. बारिश के बाद तालाब में पानी भर जाता है. एक बार पानी भरने के बाद साल भर तालाब नहीं सूखता. तालाब के मीठे पानी का उपयोग इलाके के 10 गांव के साथ ही सीमा सुरक्षा बल जवान भी करते हैं.


बता दें कि पुलवामा में बीएसएफ के काफिले पर आतंकी हमले के बाद सीमा पर तनाव की स्थिति है. भारत पाक सीमा से सटे तामलोर गांव के लोगों के लोगों का जज्बा कायम है. वे कहते हैं कि देश के खिलाफ हर एक गतिविधि का जवाब देने के लिए भारतीय सेना के साथ हैं.

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Intro:
भारतीय सेना के पराक्रम कौशल के बारे में आपने खूब सुन रखा होगा आज हम आपको ऐसा एक और सेना की कहानी बताते हैं जिसमें भारतीय सेना को ग्रामीणों ने 1965 में पाकिस्तान को धूल चटाने में मदद की तो सेना ने इनाम के रूप में ग्रामीणों को पानी का तालाब सुरंग से ब्लास्ट कर गिफ्ट किया सेना ने गांव वालों को ऐसा तोहफा दिया जिसने हजारों लोगों और लाखों मवेशियों के साथ ही 10 गांव की प्यास पिछले 55 साल से बुझा रहा है सुनने में आपको यह भले अटपटा लगे लेकिन यह हकीकत है




Body:भारत और पाकिस्तान सीमा पर तामलोर गांव के लोगों ने 1965 में भारत-पाक जंग के दौरान ग्रामीणों ने सेना के कंधे से कंधा मिलाकर सेना के साथ खड़े रहे थे रेगिस्तान होने के कारण सेना को रास्तों की जानकारी नहीं थी तो ग्रामीणों ने सेना के साथ मिलकर पाकिस्तान को धूल चटाई थी ग्रामीणों ने इस दौरान खाने पीने का सामान भी सेना के लिए मुहैया कराया था डाउनलोड के सरपंच इंदु सिंह बताते हैं कि ग्रामीणों की देशभक्ति के जज्बे और जुनून को देख कर चना खुश हो गई थी सेना के अधिकारियों ने ग्रामीणों से बोला कि वह उनके लिए भी कुछ करना चाहती है तो ग्रामीणों ने कहा कि हमारी आप पीने के पानी की बहुत समस्या है तो इस पर सेना ने एक इलाके में तालाब बनाने की योजना बनाई लेकिन पथरीली जमीन होने के कारण खुदाई करना संभव नहीं था तो सेना ने वहां पर सुरंग करके ब्लास्ट कर और तालाब बनाया चोपन वर्षों से 10 गांव के लोग उसी तालाब से मीठा पानी पी रहे हैं



Conclusion:पिछले 2 साल से लगातार अकाल पड़ रहा है जिसके चलते यह तालाब सूखा पड़ा है अन्यथा इस तालाब में एक बार पानी भरने से साल भर तक 10 गांव के लोगों के साथ ही सीमा सुरक्षा बल के लोग इसी तालाब का उपयोग कर टैंकर से अपनी प्यास बुझाते हैं वर्तमान में भारत पाक सीमा पर तनाव के हालात है लेकिन आज भी ग्रामीण किसी भी परिस्थिति में अपना गांव खाली करने को तैयार नहीं है उनका साफ तौर पर कहना है कि वह एक बार फिर से सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है शायद इसीलिए भारतीय सेना का गुणगान देश ही नहीं पूरे विश्व में होता है
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