सिवाना (बाड़मेर). कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए बड़ी तादाद में लोगों ने शहरों से गांवों की तरफ पलायन किया. इनमें से कुछ लोगों ऐसे थे जो रोजगार की तलाश में शहर गए थे तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जो आपने कारोबार की वजह से शहर के ही होकर रह गए. लेकिन जैसे ही कोरोना वायरस ने अपने पैर पसारने शुरू किए लॉकडाउन देश में लग गया. जहां एक तरफ बेरोजगार मजदूर, श्रमिकों ने गांव की तरफ पलायन किया तो वहीं नौकरी पेशा वाले लोगों ने भी गांव का रुख किया. गांव की तरफ पलायन से कोरोना वायरस का खतरा यहां भी बढ़ गया. कई गांवों में कोरोना से संक्रमित मरीज भी मिले जिसके बाद ग्राम पंचायतों के लिए भी सरकार की तरफ से गाइडलाइंस जारी की गई.
कोरोना वायरस को लेकर ग्रामीण कितने सजग हैं इसी का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत आज बाड़मेर जिले की मोकलसर ग्राम पंचायत पहुंचा है. यहां कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने की वजह से धारा 144 के तहत जीरो मोबिलिटी कर्फ्यू लगाया गया है. यहां करीब 9 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं. मोकलसर गांव के ज्यादातर ग्रामीण खेती करते हैं. वहीं कुछ ग्रामीण कमठा मजदूरी का काम करते हैं. इसके अलावा रोजगार की तलाश में यहां से गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक सहित देश के अन्य राज्यों में भी ग्रामीण जाते हैं. लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से फिलहाल ज्यादातर लोग गांव लौट चुके हैं.
पंचायत में 6 कोरोना संक्रमित...
लॉकडाउन होने के बाद से मोकलसर गांव में दूसरे शहरों में काम करने वाले 650 से अधिक लोग यहां लौटे हैं. वहीं करीब 200 से अधिक लोग देश के बाहरी राज्यों से लौटे हैं जो वहां पर खुद का व्यवसाय करते हैं. भारी तादाद में लोगों की वापसी होने की वजह से यहां पर कोरोना जांच और स्क्रीनिंग की गई जिसके बाद यहां 6 कोरोना संक्रमित मरीज मिले. संक्रमित मरीज मिलने की वजह से यहां स्थानीय लोगों में डर का माहौल रहा. फिलहाल सभी 6 संक्रमितों में से 5 लोग घर लौट चुके हैं. वहीं एक का अभी भी उपचार चल रहा है.
सरकारी गाइडलाइंस की पालना...
गांव में कोरोना वायरस मरीज मिलने के बाद से ग्रामीण कोरोना को लेकर सभी सरकारी गाइडलाइंस की पालना कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर ग्रामीण सतर्क नजर आ रहे हैं, साथ ही ग्रामीणों ने गांव में प्रवासी कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद से गली मोहल्ले के रास्तों को बांस लगाकर बंद कर दिया है. गांव में आने और यहां से जाने वाले लोगों पर नजर रखी जा रही है. लोग मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रख रहे हैं.
मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग पर ध्यान...
पिछले कुछ दिनों तक हलांकि, यहां पर दुकानें भी खुली थी. ग्रामीण मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए दुकानों पर खरीदारी करने के लिए भी पहुंच रहे थे. ग्रामीण अपने मवेशी, गाय-भैंसों और बकरियों को चराने भी जाते हैं लेकिन सभी लोग मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए अपना काम कर रहे है थे. गांव में स्थित दुकानों के बाहर रस्सी लगी हुई है जिसकी वजह से ग्राहकों के बीच में स्पेस रहता है. साथ ही दुकानदार भी दूरी को बनाकर ही लेनदेन कर रहे हैं.
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परचून दुकानदार नेमाराम माली कहते हैं कि अगर हमारी दुकान में कोई भी ग्राहक बिना मास्क के आता है तो उसे हम सामान नहीं देते हैं उसे वापस कर देते हैं. ऐसा करने के वजह से सभी ग्रामीण मास्क पहनकर ही खरीद करने आते हैं. नेमाराम ने कहा कि किसी भी ग्राहक को सामान देने के बाद हम भी समय-समय पर अपने हाथ साबुन से धोते हैं या फिर सैनिटाइज करते रहते हैं.
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कोरोना योद्धाओं ने साझा किया अनुभव...
देश के दूसरे राज्यों से लौटकर प्रवासी जब अपने गांव मोकलसर पहुंचे तो यहां पर सभी को होम आइसोलेशन में रखा गया. उसके बाद सभी का कोराना सैंपल लेकर जांच के लिये भेजा गया. कोरोना रिपोर्ट जब मिली तो एक ही परिवार के पांच लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए. परिवार के मुखिया चतुर सिंह जो कि अपने परिवार के साथ महाराष्ट्र से लौटे थे उन्हेंने अपना अनुभव साधा किया. चतुर सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमित होने के बाद उनका क्या अनुभव रहा. इसके साथ ही उन्होंने बचाव और सावधानियां बरतने की भी सलाह दी.