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बारां: कई मजदूर साधन के अभाव में पैदल चलने पर मजबूर, नहीं थम रहा जिले की सीमा पर प्रवासियों के आने का सिलसिला

बारां जिले में अंता के समीप जिले की सीमा पर प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोजाना सैकड़ों मजदूर वाहनों से अपने गंतव्य स्थान के लिए जा रहे हैं, तो कई मजदूर साधन नहीं मिलने के कारण पैदल चलने को मजबूर हैं.

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मजदूर वर्ग पैदल घर जाने को मजबूर
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Published : May 12, 2020, 12:31 PM IST

अंता (बारां). कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने को लेकर लॉकडाउन लागू है, जिसके चलते जिले की सीमा पर रात-दिन प्रवासी मजदूरों की आवाजाही हो रही है. जिनमें कई मजदूर तो साधन नहीं मिलने के कारण सैकड़ों किलोमीटर पैदल यात्रा करने को मजबूर है. बात दें कि अंता के समीप जिले की सीमा पर प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोजाना सैकड़ों मजदूर अपने गंतव्य स्थान के लिए जा रहे हैं.

नहीं थम रहा जिले की सीमा पर प्रवासियों के आने का सिलसिला

लॉकडाउन के कारण मजदूरों की जिंदगी ही बदल गई है. हालत यह है कि खाने-पीने के लाले पड़ रहे है. जमा पूंजी भी खत्म हो गई है. हर दिन मजदूर, किसान और श्रमिकों के काफिले सड़कों पर चलते नजर आ रहे हैं. इसमें महिला, बच्चे और बुजुर्ग सभी शामिल है. ये लोग जहां रात हुई, वहीं आशियाना बना लेते हैं. इनमें कई ऐसी महिलाएं हैं जिनके छोटे-छोटे बच्चे हैं. बच्चों के खाने का इंतजाम नहीं हो पा रहा है.

यह भी पढ़ें- उपभोक्ता तो बिल माफी की मांग नहीं कर रहे, बीजेपी केवल सियासत कर रही है: ऊर्जा मंत्री

काम बंद होने की वजह से अब यह मजदूर अपने-अपने शहर के लिए निकल पड़े हैं. जिले की सीमा पर आने वाले मजदूरों को यहीं रोक कर प्रशासन द्वारा साधनों से भेजने की व्यवस्था की जा रही है. परन्तु कुछ वाहन चालकों द्वारा मजदूरों को बीच रास्ते में ही छोड़ देने के कारण कई मजदूरों को पैदल चलने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

अंता (बारां). कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने को लेकर लॉकडाउन लागू है, जिसके चलते जिले की सीमा पर रात-दिन प्रवासी मजदूरों की आवाजाही हो रही है. जिनमें कई मजदूर तो साधन नहीं मिलने के कारण सैकड़ों किलोमीटर पैदल यात्रा करने को मजबूर है. बात दें कि अंता के समीप जिले की सीमा पर प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोजाना सैकड़ों मजदूर अपने गंतव्य स्थान के लिए जा रहे हैं.

नहीं थम रहा जिले की सीमा पर प्रवासियों के आने का सिलसिला

लॉकडाउन के कारण मजदूरों की जिंदगी ही बदल गई है. हालत यह है कि खाने-पीने के लाले पड़ रहे है. जमा पूंजी भी खत्म हो गई है. हर दिन मजदूर, किसान और श्रमिकों के काफिले सड़कों पर चलते नजर आ रहे हैं. इसमें महिला, बच्चे और बुजुर्ग सभी शामिल है. ये लोग जहां रात हुई, वहीं आशियाना बना लेते हैं. इनमें कई ऐसी महिलाएं हैं जिनके छोटे-छोटे बच्चे हैं. बच्चों के खाने का इंतजाम नहीं हो पा रहा है.

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काम बंद होने की वजह से अब यह मजदूर अपने-अपने शहर के लिए निकल पड़े हैं. जिले की सीमा पर आने वाले मजदूरों को यहीं रोक कर प्रशासन द्वारा साधनों से भेजने की व्यवस्था की जा रही है. परन्तु कुछ वाहन चालकों द्वारा मजदूरों को बीच रास्ते में ही छोड़ देने के कारण कई मजदूरों को पैदल चलने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

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