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Special: रोजगार न मिलने से पलायन को मजबूर सहरिया परिवार, रोजी-रोटी के जुगाड़ में दूसरे शहर और पड़ोस के राज्यों का कर रहे रूख

शाहबाद किशनगंज विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों में रोजगार नहीं मिलने से सहरिया जनजाति के लोग पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं. ग्रामीणों के पलायन की वजह से सहरिया बस्तियों में सन्नाटा पसरा हुआ है और घरों पर ताले लटके हैं. बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है.

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रोजगार के अभाव में बढ़ी संख्या में पलायन कर रहे सहरिया परिवार
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Published : Nov 30, 2019, 1:57 PM IST

शाहबाद (बारां). जिले के शाहबाद किशनगंज विधानसभा क्षेत्र में ज्यादातर सहरिया जनजाति के लोग निवास करते हैं, लेकिन रोजगार के अभाव में ये लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं. ग्रामीण अपने परिवार के साथ जयपुर, कोटा में मजदूरी कर रहे हैं. कई लोग दूसरे राज्यों का भी रूख कर रहे हैं. वे गुजरात, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा के कारखानों में मेहनत मजदूरी कर रहे हैं.

रोजगार के अभाव में बढ़ी संख्या में पलायन कर रहे सहरिया परिवार

3 साल से मनरेगा के तहत काम बंद

ग्रामीणों का कहना है, कि रोजगार नहीं होने से भूखे मरने की स्थिति बनती जा रही है. सरकार से मिलने वाली राशन सामग्री से गुजर बसर नहीं होता है. कई बार तो दो-दो महीने तक राशन सामग्री का वितरण नहीं हो पाता है. मनरेगा के तहत भी लोगों को काम नहीं मिल रहा है. पिछले 3 साल से काम बंद पड़े हैं. ऐसे में रोजी-रोटी का संकट है.

यह भी पढ़ेंः दुष्कर्म मामले : जनता ने कहा, दोषियों को मिले मौत की सजा

बच्चों को नहीं मिल रही अच्छी शिक्षा

ग्रामीणों का कहना है, कि बच्चों को लेकर भी परिवार के लोग काम धंधे के जुगाड़ में पलायन कर जाते हैं. जिससे बच्चों की शिक्षा का स्तर भी बिगड़ा हुआ है. परिवार के लोग घर में एक बुजुर्ग को छोड़ देते हैं, जो घर की रखवाली करता है. कई परिवार तो ऐसे हैं, जो कई सालों तक अपने गांव वापस नहीं आ पाते हैं.

यह भी पढ़ेंः तेलंगाना के शमशाबाद में एक और महिला का जला हुआ शव मिला

कर्ज से परेशान हैं ग्रामीण

खेती-बाड़ी ठीक नहीं होने से भी लोगों पर कर्ज बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते वे पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं. मझारी गांव की सहरिया बस्ती में जब​ ईटीवी भारत पहुंचा तो बस्ती सुनसान दिखाई दी. गांव में ज्यादातर घरों में ताले लटके हुए दिखाई दिए. कुछ लोग बस्ती में मिले तो उन्होंने अपनी समस्या बताई.

जनप्रतिनिधि का भी नहीं मिल रहा साथ!

शाहबाद किशनगंज विधानसभा क्षेत्र में ज्यादातर सहरिया समुदाय के लोग निवास करते हैं और विधायक भी सहरिया समुदाय से ही हैं, लेकिन लोगों का आरोप है, कि सहरिया परिवार के लोगों को सरकार की योजनाओं का ठीक तरीके से लाभ नहीं मिल रहा है, जिसके चलते लोगों में आक्रोश है.

चुनाव के समय ही आते हैं विधायक-सांसद

ग्रामीणों के मुताबिक गांव में कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी हमारी सुध लेने नहीं आते हैं. जब चुनाव का समय आता है, तो विधायक,सांसद, पंच-सरपंच गांव में आते हैं, लेकिन चुनाव के बाद कोई भी गांव में आकर उनकी समस्या नहीं सुनता है.

शाहबाद (बारां). जिले के शाहबाद किशनगंज विधानसभा क्षेत्र में ज्यादातर सहरिया जनजाति के लोग निवास करते हैं, लेकिन रोजगार के अभाव में ये लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं. ग्रामीण अपने परिवार के साथ जयपुर, कोटा में मजदूरी कर रहे हैं. कई लोग दूसरे राज्यों का भी रूख कर रहे हैं. वे गुजरात, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा के कारखानों में मेहनत मजदूरी कर रहे हैं.

रोजगार के अभाव में बढ़ी संख्या में पलायन कर रहे सहरिया परिवार

3 साल से मनरेगा के तहत काम बंद

ग्रामीणों का कहना है, कि रोजगार नहीं होने से भूखे मरने की स्थिति बनती जा रही है. सरकार से मिलने वाली राशन सामग्री से गुजर बसर नहीं होता है. कई बार तो दो-दो महीने तक राशन सामग्री का वितरण नहीं हो पाता है. मनरेगा के तहत भी लोगों को काम नहीं मिल रहा है. पिछले 3 साल से काम बंद पड़े हैं. ऐसे में रोजी-रोटी का संकट है.

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बच्चों को नहीं मिल रही अच्छी शिक्षा

ग्रामीणों का कहना है, कि बच्चों को लेकर भी परिवार के लोग काम धंधे के जुगाड़ में पलायन कर जाते हैं. जिससे बच्चों की शिक्षा का स्तर भी बिगड़ा हुआ है. परिवार के लोग घर में एक बुजुर्ग को छोड़ देते हैं, जो घर की रखवाली करता है. कई परिवार तो ऐसे हैं, जो कई सालों तक अपने गांव वापस नहीं आ पाते हैं.

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कर्ज से परेशान हैं ग्रामीण

खेती-बाड़ी ठीक नहीं होने से भी लोगों पर कर्ज बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते वे पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं. मझारी गांव की सहरिया बस्ती में जब​ ईटीवी भारत पहुंचा तो बस्ती सुनसान दिखाई दी. गांव में ज्यादातर घरों में ताले लटके हुए दिखाई दिए. कुछ लोग बस्ती में मिले तो उन्होंने अपनी समस्या बताई.

जनप्रतिनिधि का भी नहीं मिल रहा साथ!

शाहबाद किशनगंज विधानसभा क्षेत्र में ज्यादातर सहरिया समुदाय के लोग निवास करते हैं और विधायक भी सहरिया समुदाय से ही हैं, लेकिन लोगों का आरोप है, कि सहरिया परिवार के लोगों को सरकार की योजनाओं का ठीक तरीके से लाभ नहीं मिल रहा है, जिसके चलते लोगों में आक्रोश है.

चुनाव के समय ही आते हैं विधायक-सांसद

ग्रामीणों के मुताबिक गांव में कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी हमारी सुध लेने नहीं आते हैं. जब चुनाव का समय आता है, तो विधायक,सांसद, पंच-सरपंच गांव में आते हैं, लेकिन चुनाव के बाद कोई भी गांव में आकर उनकी समस्या नहीं सुनता है.

Intro:शाहबाद पुलिस थाना क्षेत्र में​ कई गांवों में सहरिया परिवारों को रोजगार नहीं मिलने से पलायन करने को मजबूर हो रहे लोग, सहरिया बस्तियों में पसरा सन्नाटा, घरों पर लटके ताले। मनरेगा रोजगार गारंटी योजना 3 वर्षों से बंद। विभागीय अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान। सहरिया मजदूर हो रहे परेशान।Body:बारां जिले के शाहबाद किशनगंज विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश सहरिया जनजाति के लोग निवास करते हैं,लेकिन सहरिया समुदाय के लोगों को रोजगार के अभाव में अपने घर द्वार छोड़ना मजबूरी बनता जा रहा है। गांव छोड़ने की सबसे मुख्य वजह है,रोजगार का अभाव क्षेत्र में रोजगार नहीं होने के कारण यहां के लोग अपने परिवार के साथ गुजरात,मध्य प्रदेश, जयपुर कोटा, पंजाब,हरियाणा में लगे कारखानों में मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं।इस संबंध में​ ईटीवी भारत रिपोर्टर ने कुछ गांव में रुके गिने-चुने लोगों से पलायन की वजह जानी तो लोगों ने बताया कि क्षेत्र में रोजगार नहीं होने के कारण लोगों को भूखे मरने की स्थिति बनती जा रही है। सरकार से मिलने वाली राशन सामग्री से गुजर बसर नहीं हो पाता है।कई बार तो दो-दो महीनों तक राशन सामग्री का वितरण तक नहीं हो पाता है।और मनरेगा रोजगार गारंटी योजना के तहत क्षेत्र में कोई काम नहीं होता है। 3 वर्षों से मनरेगा योजना बंद पड़ी हुई है। लोगों को नरेगा का काम नहीं मिल रहा है, ऐसे में क्षेत्र के सहरिया परिवारों को और संकट के साथ अपना जीवन यापन करना पड़ रहा है, ऐसे में गांव के लोग अपने बच्चों को लेकर मेहनत मजदूरी करने के लिए पलायन कर जाते हैं, लोगों का आरोप है कि सहरिया परिवार के लोगों को सरकार की योजनाओं का ठीक तरीके से लाभ नहीं मिल रहा है, इसके चलते लोगों में रोष बना हुआ है। उल्लेखनीय बात यह है, कि शाहबाद किशनगंज विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश सहरिया समुदाय के लोग निवास करते हैं,और विधायक भी सहरिया समुदाय की जीतकर विधानसभा में पहुंच चुकी है, उसके बावजूद भी सहरिया समाज के लोगों का जीवन स्तर बिखरता जा रहा है। गांव के लोगों ने बताया कि बच्चों को लेकर भी परिवार के लोग काम धंधे के जुगाड़ में पलायन कर जाते हैं, ऐसे में बच्चों का शिक्षा का स्तर भी बिगड़ा हुआ है। परिवार के लोग घर में एक वृद्ध व्यक्ति को छोड़कर चले जाते हैं, जो व्यक्ति घर की रखवाली करता है, कई परिवार तो ऐसे हैं,कि 3 वर्षों तक अपने गांव वापस नहीं आ पाते हैं। सरकार की सहरिया समुदाय के लोगों के लिए चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी लोगों को ठीक तरीके से​ नहीं मिल रहा है, इसके कारण लोगों को मजबूरी में पलायन करना पड़ रहा है । बारिश ने खेती-बाड़ी बिगाड़ दी​ थी । खेती-बाड़ी ठीक तरीके से नहीं होने से लोगो पर कर्ज भी बढ़ता जा रहा है, इसके चलते लोग पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। मझारी गांव की सहरिया बस्ती में जब​ ईटीवी भारत रिपोर्टर पहुंचा तो बस्ती सुनसान दिखाई दी, कुछ लोग बस्ती में मिले तो उन्होंने अपनी समस्या बताई लोगों ने बताया कि हमारे गांव में कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी हमारी सुध लेने नहीं आते हैं। जब चुनाव का समय आता है, तो विधायक,सांसद, पंच सरपंच गांव में आते हैं, चुनाव के बाद कोई भी गांव में आकर के हमारी समस्या को नहीं सुनता है। लोगों के पलायन करने से उनके बच्चों का भी जीवन अंधकारमय बनता जा रहा है। लोग लंबे समय से मनरेगा योजना का कार्य शुरू कराने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक नरेगा योजना शुरू नहीं हुई है, ऐसे में गांव के लोगों को पलायन करना मजबूरी का कारण बना हुआ है। Conclusion:गांव में अधिकांश घरों में ताले लटके हुए दिखाई देते हैं अगर गांव में सहरिया समुदाय के लोगों को रोजगार मुहैया हो जाए तो लोगों को पलायन नहीं करना पड़ेगा, साथ ही उनके बच्चों को भी शिक्षा से दूर नहीं रहना पड़ेगा। अब यह खबर दिखाए जाने के बाद क्या सरकार के जनप्रतिनिधि और अधिकारी क्षेत्र में मनरेगा योजना शुरू कर लोगों को जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिला पाते हैं या नहीं।

बाईट 3 कल्लू ग्रामीण
बाईट2 पुनिया ग्रामीण
बाइट 1 रज्जो ग्रामीण
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