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बारां: छबड़ा के बीजासन माता मंदिर में मेले का आयोजन, हजारों की संख्या में पहुंचे हैं श्रद्धालु

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Published : Feb 2, 2020, 1:22 PM IST

बारां के छबड़ा के गुगौर पार्वती नदी पर सैकड़ों साल पुराना बीजासन माता का मंदिर है. इस मंदिर में इन दिनों मेला परवान पर है. इस मेले में राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों से प्रतिदिन हजारों भक्त आ रहे हैं. बीजासन माता मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की कुलदेवी भी हैं. दिग्विजय सिंह अक्सर यहां परिवार के साथ पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं.

Fair organized at Bijasan Mata, बिजासन माता मंदिर में मेले का आयोजन
छबड़ा के बिजासन माता मंदिर में मेले का आयोजन

छबड़ा (बारां). छबड़ा के गुगोर पार्वती नदी पर सैकड़ों साल पुराना बीजासन माता का मंदिर है. इस मंदिर में इन दिनों मेला परवान पर है. इस मेले में राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों से प्रतिदिन हजारों भक्त आ रहे हैं. माता के दर्शन और पूजा करने के लिए रोजाना सुबह से ही भक्तों की लम्बी-लम्बी कतार लगना शुरू हो जाती है.

छबड़ा के बिजासन माता मंदिर में मेले का आयोजन

टोंक में रियासत काल ही इस गुगौर माता के मंदिर की मान्यता है. भक्त यहां सच्ची श्रद्धा से जो भी मन्नत मांगते हैं, वो माँ के आशीर्वाद से पूरी हो जाती है. पंचायत के तत्वाधान में प्रत्येक साल यहां 15 दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है. मेले में चकरी, झूला, सर्कस, मौत का कुआँ और नृत्य के अलावा कई तमाम तरह के मनोरंजन के साधन उपलब्ध रहते हैं.

दिग्विजय सिंह की कुलदेवी हैं बीजासन माता

बीजासन माता मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के परिवार की कुलदेवी हैं. दिग्विजय सिंह हर साल यहां अपने परिवार के साथ आते हैं. इस दौरान वे माता के दर्शनों के अलावा पूजा-अर्चना भी करते हैं.

काफी सालों पहले भक्तों की ओर से माता को खुश करने के लिए बकरे की बलि दी जाती थी. धीरे-धीरे यह परंपरा समाप्त हो गई है. बताया जाता है कि माता बीजासन पहले गुगोर गांव के समीप बने किले में विराजमान थीं. लेकिन किले में मांस, मदिरा के सेवन और अन्य गलत गतिविधियों के चलते माता क्रोधित होकर वहां से चली गईं. इसके बाद माता गुगौर पार्वती नदी के पास पहाड़ी पर चली गई. पूर्व में यहां माता जी का चबूतरा था, लेकिन आज यहां एक विशालकाय मंदिर बन चुका है.

गुगौर किला वर्षों पूर्व छबड़ा टोंक रियासत में आता था. छबड़ा में टोंक के नवाब रहा करते थे. आज भी उनके परिवार के लोगों की कुछ भूमि छबड़ा में है. वहीं गुगौर स्थित किले में वर्षों खींची राजाओं का राज रहा है. देख-रेख के अभाव में किला खंडहर में तब्दील हो गया है.

यह भी पढ़ें- बारां: देवनारायण जयंती के मौके पर देवसेना ओर गुर्जर समाज की ओर से निकाली गई भव्य शोभायात्रा

बता दें कि राजस्थान और मध्य प्रदेश की बॉर्डर पर स्थित गुगौर पार्वती नदी दो राज्यों को जोड़ती है. पिछली सरकार की ओर से इस नदी पर 16 करोड़ रुपए की लागत से ओवरब्रिज बनने की स्वीकृति हो चुकी है. इस ओवरब्रिज बनने से जहां दोनों राज्यों के बीच आवागमन आसान होगा. गौरतलब है कि बारिश के समय 2-3 माह तक रास्ता बंद हो जाता है.

छबड़ा (बारां). छबड़ा के गुगोर पार्वती नदी पर सैकड़ों साल पुराना बीजासन माता का मंदिर है. इस मंदिर में इन दिनों मेला परवान पर है. इस मेले में राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों से प्रतिदिन हजारों भक्त आ रहे हैं. माता के दर्शन और पूजा करने के लिए रोजाना सुबह से ही भक्तों की लम्बी-लम्बी कतार लगना शुरू हो जाती है.

छबड़ा के बिजासन माता मंदिर में मेले का आयोजन

टोंक में रियासत काल ही इस गुगौर माता के मंदिर की मान्यता है. भक्त यहां सच्ची श्रद्धा से जो भी मन्नत मांगते हैं, वो माँ के आशीर्वाद से पूरी हो जाती है. पंचायत के तत्वाधान में प्रत्येक साल यहां 15 दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है. मेले में चकरी, झूला, सर्कस, मौत का कुआँ और नृत्य के अलावा कई तमाम तरह के मनोरंजन के साधन उपलब्ध रहते हैं.

दिग्विजय सिंह की कुलदेवी हैं बीजासन माता

बीजासन माता मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के परिवार की कुलदेवी हैं. दिग्विजय सिंह हर साल यहां अपने परिवार के साथ आते हैं. इस दौरान वे माता के दर्शनों के अलावा पूजा-अर्चना भी करते हैं.

काफी सालों पहले भक्तों की ओर से माता को खुश करने के लिए बकरे की बलि दी जाती थी. धीरे-धीरे यह परंपरा समाप्त हो गई है. बताया जाता है कि माता बीजासन पहले गुगोर गांव के समीप बने किले में विराजमान थीं. लेकिन किले में मांस, मदिरा के सेवन और अन्य गलत गतिविधियों के चलते माता क्रोधित होकर वहां से चली गईं. इसके बाद माता गुगौर पार्वती नदी के पास पहाड़ी पर चली गई. पूर्व में यहां माता जी का चबूतरा था, लेकिन आज यहां एक विशालकाय मंदिर बन चुका है.

गुगौर किला वर्षों पूर्व छबड़ा टोंक रियासत में आता था. छबड़ा में टोंक के नवाब रहा करते थे. आज भी उनके परिवार के लोगों की कुछ भूमि छबड़ा में है. वहीं गुगौर स्थित किले में वर्षों खींची राजाओं का राज रहा है. देख-रेख के अभाव में किला खंडहर में तब्दील हो गया है.

यह भी पढ़ें- बारां: देवनारायण जयंती के मौके पर देवसेना ओर गुर्जर समाज की ओर से निकाली गई भव्य शोभायात्रा

बता दें कि राजस्थान और मध्य प्रदेश की बॉर्डर पर स्थित गुगौर पार्वती नदी दो राज्यों को जोड़ती है. पिछली सरकार की ओर से इस नदी पर 16 करोड़ रुपए की लागत से ओवरब्रिज बनने की स्वीकृति हो चुकी है. इस ओवरब्रिज बनने से जहां दोनों राज्यों के बीच आवागमन आसान होगा. गौरतलब है कि बारिश के समय 2-3 माह तक रास्ता बंद हो जाता है.

Intro:छबड़ा(बारां) बारां के छबड़ा गुगोर पार्वती नदी पर स्तिथ सैकड़ो वर्ष पुराना माता बिजासन का मेला इन दिनों परवान चढ़ने लगा है ,राज0 म0 प्र0 सहित अन्य राज्यो से प्रतिदिन हजारों श्रदालुओ का इन दिनों माता के मेले में पहुचने का सिलसिला जारी है,Body:छबड़ा (बारां) बारां के छबड़ा में राजस्थान व म0 प्र0 की बार्डर के समीप स्तिथ गुगोर पार्वती नदी के तट पर बीजासन माता का मेला परवान चढ़ा हुवा है , उक्त मेले में जहा राजस्थान म0 प्र0 सहित अन्य राज्यो से प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रदालुओ का आने जाने का क्रम जारी है ,तो वही मंदिर पर माता के दर्शन व पूजा को लेकर प्रतिदिन अल सुबह से ही लम्बी लम्बी कतारे लगना शुरू हो जाती है ,,
टोक रियासत काल के जमाने से ही सैकड़ो वर्ष पुराने इस गुगोर माता के मेले व मंदिर की मान्यता है की जो भी भक्त यहां सच्ची श्रद्धा से माता से जो भी मनोती मांगता है वो माँ के आशीर्वाद से श्रदालुओ की मनोकामना पूरी होती है , सैकड़ो वर्षो से पंचायत के तत्वाधान में प्रतिवर्ष यहाँ 15 दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है ,मेले में दूर दराज बड़े शहरों से चकरी झूला,सर्कस,मौत का कुवा, ब्रेक डांस,डोलर व अन्य तमाम मनोरंजन के साधनों समेत बच्चों के खेल खिलोने चाट पतासी व अन्य वस्तुओं की दुकाने यहाँ लगती है ,,
""""पूर्व सी एम की कुल देवी माता,,,,,,
मेले में नदी किनारे स्तिथ मंदिर जो कि मा बीजासन माता का है जो कि माता को म0 प्र0 के पूर्व सीएम दिग्गविजय सिंह के परिवार की कुल देवी बताई जाती है ,पूर्व सी एम दिग्गविजय सिंह प्रतिवर्ष यहाँ अपने परिवार के साथ आकर उनके कुलदेवी माता की पूजा अर्चना करते है ,,
-बलि का चलन,,--
वर्षो पूर्व मान्यता के मुताबिक जो भी भक्त यहाँ माता से मनोती मांगता है ,मनोती पूर्ण होने पर यहाँ पूर्व में भक्तों द्वारा बकरे की बलि दी जाती थी लेकिन धीरे धीरे अब यह परंपरा यहाँ खत्म हो गई है ,,
"'किले में माता,,,
वर्षो पूर्व माता बिजासन जो कि गुगोर गांव के समीप बने किले पर विराजमान थी जो कि किले में मास मदिरा व अन्य गलत चीजो का प्रयोग होने से मा बिजासन स्वत ही किले को छोड़ कर गुगोर पार्वती नदी के ऊपर पहाड़ी पर चली आई जहा पूर्व में पहाड़ी पर माता जी का चबूतरा था लेकिन आज एक विशालकाय मंदिर बन चुका है ,,
पंचायत द्वारा अब मेले में प्रतिदिन सांस्कृतिक व अन्य रंगारंग कार्यक्रम आयोजित करवाये जाते है ,,
"""गुगोर किला,,,
गुगोर किला जो कि वर्षो पूर्व छबड़ा टोक रियासत में आता था छबड़ा में टोक नवाब रहा करते थे आज भी उनके परिवार के लोगो की कुछ भूमि छबड़ा में स्तिथ है जहाँ नई कालोनियां आबाद हो चुकी है ,,तो वही गुगोर स्तिथ किले में वर्षो पूर्व खींची राजा महाराजा राज किये करते थे मगर आज देखरेख के अभाव मे किला जीर्ण शीर्ण खण्डरों में तब्दील हो गया है ,
"""राज0 व म0प्र0 की बार्डर,,,,
राजस्थान व म0 प्र0 की बार्डर पर स्तिथ गुगोर पार्वती नदी जो कि दो राज्यो की सीमा को तो जोड़ती ही है साथ ही गत राज्य सरकार द्वारा इस नदी पर 16 करोड रुपये की लागत से ओवरब्रिज बनने की स्वीकृति जारी हो चुकी है ,उक्त ओवर्बिरज बनने से जहा दोनो सीमाओं में आवागमन तो होगा ही साथ ही व्यापार में भी लाभ होगा ,तथा बारिश के समय लगातार 3 महीने तक लोगों को एक दूसरी सीमा से कटे रहने से भी मुक्ति मिलेगीConclusion:राज0 व म0प्र0 की बार्डर,,,,
राजस्थान व म0 प्र0 की बार्डर पर स्तिथ गुगोर पार्वती नदी जो कि दो राज्यो की सीमा को तो जोड़ती ही है साथ ही गत राज्य सरकार द्वारा इस नदी पर 16 करोड रुपये की लागत से ओवरब्रिज बनने की स्वीकृति जारी हो चुकी है ,उक्त ओवर्बिरज बनने से जहा दोनो सीमाओं में आवागमन तो होगा ही साथ ही व्यापार में भी लाभ होगा ,तथा बारिश के समय लगातार 3 महीने तक लोगों को एक दूसरी सीमा से कटे रहने से भी मुक्ति मिलेगी,

पीटीसी वन टू वन महेश गोड़,
बारां के छबड़ा से ईटीवी भारत के लिए महेश गोड़ की रिपोर्ट,
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