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बारां: सोरसन का वर्षों पुराना अनूठा गदर्भ मेला खो रहा अस्तित्व, गधों की जगह अब घोड़ों ने ली - Donkey fair in Baran

बारां जिले के अंता के समीप सोरसन में एक सप्ताह तक लगने वाला 70 वर्षों पुराना हाड़ौती क्षेत्र का प्रसिद्ध गधों का मेला मशीनरी युग के चलते अपने अस्तित्व को खोता नजर आ रहा है. अब यहां पर गधों के स्थान पर घोड़ों की खरीद फरोख्त होने लगी है.

Donkey fair in Baran, गधों का मेला बारां
गदर्भ मेला खोता जा रहा है अस्तित्व
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Published : Feb 24, 2020, 2:08 PM IST

अंता (बारां). सोरसन में लगने वाले मेले में जहां पूर्व में बड़े पैमाने पर गधों की खरीद-फरोख्त होती थी. वहीं सोमवार को इस मेले में गधों का स्थान धीरे-धीरे घोड़ों ने ले लिया है. अब यहां पर कम मात्रा में गधे बिक्री के लिये आने लगे है. जबकि पूर्व में यहां गधों की खरीद फरोख्त के लिए राजस्थान सहित मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में व्यापारी खरीदारी के लिए यहां आते थे और मेले में ही ठहरते थे. ऐसे में मेले में अलग अलग दिन रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किये जाते थे, जिससे मेले में अलग ही रौनक दिखाई देती थी.

गदर्भ मेला खोता जा रहा है अस्तित्व

मेले में आसपास के क्षेत्र से भी महिलाएं और पुरुष मेले में खरीदारी के लिए बड़ी संख्या में यहां आते थे. एक सप्ताह तक लगने वाले इस प्रसिद्ध मेले की रौनक अब धीरे-धीरे लुप्त होती दिखाई दे रही है. सोरसन सरपंच पति हनुमंत सिंह ने बताया कि इस मेले में 2.5 वर्ष का वीर सावरकर घोड़ा बिक्री के लिए यहां आया है. जिसे खरीदने के लिए पंजाब के एक व्यापारी की ओर से 41 लाख रुपये लगाए जा चुके. मेले की शुरुआत महाशिवरात्रि से हुई है अब धीरे धीरे मेले की रौनक बढ़ने लगी है.

पढ़ें- 24 फरवरी: इन 10 बड़ी खबरों पर रहेंगी सभी की निगाहें

बता दें कि पूरे भारत में सोरसन ही एक ऐसा स्थान है जहां पर ब्रह्माणी माता की पीठ की पूजा होती है. माता की पीठ का श्रृंगार होता है और माता की पीठ को ही भोग लगाया जाता है. यहां पर लगभग 45 वर्षो से लगातार अखण्ड ज्योत जल रही है. ऐसे में दूर दराज क्षेत्रों से यहां पर बड़ी संख्या में श्रदालु यहां आते है और अपनी मनोती पूरी होने के बाद यहां रसोई करके माता को भोग लगाते है. बड़ी संख्या में यहां श्रद्धालु आने के कारण सुरक्षा की दृष्टि कोण से यहां पुलिस चौकी खोल रखी है.

अंता (बारां). सोरसन में लगने वाले मेले में जहां पूर्व में बड़े पैमाने पर गधों की खरीद-फरोख्त होती थी. वहीं सोमवार को इस मेले में गधों का स्थान धीरे-धीरे घोड़ों ने ले लिया है. अब यहां पर कम मात्रा में गधे बिक्री के लिये आने लगे है. जबकि पूर्व में यहां गधों की खरीद फरोख्त के लिए राजस्थान सहित मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में व्यापारी खरीदारी के लिए यहां आते थे और मेले में ही ठहरते थे. ऐसे में मेले में अलग अलग दिन रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किये जाते थे, जिससे मेले में अलग ही रौनक दिखाई देती थी.

गदर्भ मेला खोता जा रहा है अस्तित्व

मेले में आसपास के क्षेत्र से भी महिलाएं और पुरुष मेले में खरीदारी के लिए बड़ी संख्या में यहां आते थे. एक सप्ताह तक लगने वाले इस प्रसिद्ध मेले की रौनक अब धीरे-धीरे लुप्त होती दिखाई दे रही है. सोरसन सरपंच पति हनुमंत सिंह ने बताया कि इस मेले में 2.5 वर्ष का वीर सावरकर घोड़ा बिक्री के लिए यहां आया है. जिसे खरीदने के लिए पंजाब के एक व्यापारी की ओर से 41 लाख रुपये लगाए जा चुके. मेले की शुरुआत महाशिवरात्रि से हुई है अब धीरे धीरे मेले की रौनक बढ़ने लगी है.

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बता दें कि पूरे भारत में सोरसन ही एक ऐसा स्थान है जहां पर ब्रह्माणी माता की पीठ की पूजा होती है. माता की पीठ का श्रृंगार होता है और माता की पीठ को ही भोग लगाया जाता है. यहां पर लगभग 45 वर्षो से लगातार अखण्ड ज्योत जल रही है. ऐसे में दूर दराज क्षेत्रों से यहां पर बड़ी संख्या में श्रदालु यहां आते है और अपनी मनोती पूरी होने के बाद यहां रसोई करके माता को भोग लगाते है. बड़ी संख्या में यहां श्रद्धालु आने के कारण सुरक्षा की दृष्टि कोण से यहां पुलिस चौकी खोल रखी है.

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