अंता (बारां). जिले के सीसवाली कस्बे में अपनी मांगों को लेकर सफाई कर्मचारी पिछले 9 साल से हड़ताल पर चल रहे थे. जिससे की कस्बे में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी. अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सफाई कर्मचारियों का 8 दिसम्बर 2011 से चल रही हड़ताल आखिरकार समाप्त हो गई. इसके बाद सफाई कर्मचारी वापस अपने काम पर लौट गए हैं.
जानकारी के अनुसार कस्बे के सफाईकर्मी 8 दिसंबर, 2011 को मानदेय बढ़ाने और कर्मचारी बढ़ाने की मांग को लेकर हड़ताल पर गए थे. जिसके बाद से कस्बे में सफाई व्यवस्था पूरी तरह ठप्प हो गई थी. शहर में हर तरफ गंदगी परसी रहती थी और कुड़ों के ढेर लगे रहते थे. ऐसे में अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और राजनेताओं के अथक प्रयासों से सफाई कर्मचारियों ने 8 अक्टूबर को मांगें मान लिए जाने के बाद हड़ताल समाप्त कर दी.
वाल्मीकि समाज के हरिराम गौया ने बताया की सफाई कर्मचारी वेतन और कर्मचारी बढ़ाने की मांग को लेकर 8 दिसम्बर 2011से हड़ताल पर उतरे थे. उस समय एक कर्मचारी को राज्य सरकार की ओर से 560 रुपए प्रतिमाह मिलते थे, जिससे परिवार का लालन पालन नहीं हो पा रहा था. वहीं कस्बे में केवल 24 कर्मचारी कार्य करते थे, जिससे कस्बे की पूर्ण रूप से साफ सफाई भी नहीं होती थी. ऐसे में कर्मचारियों की संख्या सहित वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर उन्होंने हड़ताल शुरू किया था.
बता दें कि इस मामले को लेकर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बृजमोहन बैरवा, विकास अधिकारी महजर इमाम ने सफाई कर्मचारियों से बातचीत की. जिस पर सफाई कर्मचारी हड़ताल समाप्त करने पर सहमत हो गए. कर्मचारियों के बीच हुई वार्ता में 50 सफाई कर्मचारियों को 1000 रुपए प्रति माह के हिसाब से मानदेय देना तय हुआ. सफाई कर्मचारियों की मांग पूरी होने से सीसवाली कस्बे में वर्षों से लगे गन्दगी के ढेरो से कस्बेवासियों को अब निजात मिल सकेगी.