कुशलगढ़ (बांसवाड़ा). नारी को आत्मनिर्भर बनाने का जिम्मा कुशलगढ़ की बेटी डॉ.निधि जैन ने उठाया है. मार्च 2016 में कुशलगढ़ की डॉ. निधी जैन सीएसडीएस, लोकनीति की राज्य की स्टेट सुपरवाइजर और पीडीएफ राजनीति विज्ञान विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर में अपनी सेवाएं दे रही हैं. जिन्होंने अपने स्वंय के पैसों से कुशलगढ़ नगर में सखी प्रतिध्वनि संस्थान की शुरुआत की गई.
31 मार्च 2016 से मार्च 2017 तक संस्थान ने 931 महिलाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया गया. जिसमें उन्हें सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, मेहंदी, कम्प्यूटर इत्यादि प्रशिक्षण उपलब्ध करवाए गए. 31 मार्च 2017 के पश्चात सखी ने कुछ रचनात्मक कदम उठाते हुएआज के फैशन के वस्त्रों का निर्माण और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर तक प्रतियोगिता में पहने जाने वाले वस्त्रों का निर्माण करने की पहल की. इस संस्थान के माध्यम से वर्ष 2016 से अबतक प्रशिक्षण 2 हजार महिला प्राप्त कर चुकी हैं. जिसमें से कुशलगढ़ नगर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में 500 से अधिक महिलाएं स्वयं रोजगार कर महीने के 40 से 50 हजार रुपए तक की कमाई कर रही हैं.
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राजस्थान में अव्वल पांच संस्थानों में रही सखी
पिछले माह भारत सरकार की एक मुहिम के तहत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की एक टीम मूल्यांकन के लिए सखी योजना को देखने पहुंची. उनसे यह सवाल किया गया कि आपने कुशलगढ़ को क्यों चुना, तब उन्होंने इस सवाल के जबाव में कहा कि सखी गैर सरकारी संस्थानों में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं और राजस्थान में 5 संस्थान पर साड़ी बनाने का बेहतरीन काम कर रही हैं. इस प्रकार से साड़ी की कढ़ाई के कार्य से कुशलगढ़ नगर की आस- पड़ोस के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने लगभग 2 लाख से अधिक का रोजगार प्राप्त किया. पोर्ट लुइस, मॉरीशस मेयर को सखी की जानकारी प्राप्त कर रियुनियन ऑरलैंड में सखी योजना पत्र वाचन किया गया.
कुशलगढ़ का इतिहास
कुशलगढ़ दक्षिण राजस्थान का एक ऐसा स्थान. जिसकी स्थापना सन् 1654-55 में अखरोज जी ने कुशला नामक भील को मारकर की. जहां 1654 से लेकर 1946 तक किसी ना किसी का प्रभुत्व रहा हैं. कभी राठौड़ राज्य का तो कभी अग्रेंजों का. राजस्थान की तीन चीफशिपों में प्रमुख और सबसे बड़ी चीफशिप कुशलगढ़ रहा. जहां वर्ष 1940 के दशक में गांधी आश्रम की स्थापना गोकुल भाई भट्ट के सानिध्य में की गई, क्योंकि यह अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र जहां शिक्षा, जागरूकता, स्वास्थ्य को प्रति जानकारी और रोजगार जैसे मुद्दों पर कार्य करने की आवश्यकता को महसूस किया जाने लगा था. इसी उद्देश्यों से गांधी आश्रम की स्थापना की गई थी.
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लेकिन कुशलगढ़ का राजस्थान में विलय होने के पश्चात एवं आजादी मिलने के पश्चात राज्य ने अपनी व्यवस्थाओं को राज्य में लागू किया. लेकिन अनुसूचित जाति जनजाति समाज को मुख्य धारा से जुड़ने के लिए रचनात्मक कार्यों की आवश्यकता को समाज में लगातार महसूस किया जा रहा था. लेकिन इस दिशा में कुशलगढ़ नगर में कोई प्रयास नहीं किये गये. इसीलिए यह क्षेत्र शिक्षा,स्वास्थ्य, रोजगार जैसी गम्भीर समस्याओं से आज तक जूझता आया हैं. जिसके अब नारी को शक्ति देने के लिए कुशलगढ़ में डॉ. निधि जैन ने सखी प्रतिध्वनि संस्थान की नींव रखी.