बांसवाड़ा. सरकार ने कोरोना संदिग्ध मरीजों की तलाश में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई है. लेकिन इस काम के लिए उन्हें कोई भी चिकित्सीय सामग्री उपलब्ध नहीं करवाई गई है. वहीं, इस कार्य के लिए उन्हें कोई पास भी उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं. जिसके बाद अब अपनी इस समस्या को लेकर शिक्षक प्रशासन के पास पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिल रहा है.
प्रशासन की इस बेरुखी को लेकर शिक्षक संगठनों में नाराजगी बढ़ती जा रही है. जिला प्रशासन की ओर से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है. अपने-अपने वार्ड में विदेश के साथ प्रदेश के अन्य हिस्सों से आने वाले लोगों की सूचना प्रशासन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी शिक्षकों को दी गई है.
इसके अलावा वार्ड में किसी भी प्रकार के सामाजिक धार्मिक आयोजन के साथ होम आइसोलेशन वाले लोगों पर नजर रखने का महत्वपूर्ण कार्य भी इन्हें सौंपा गया है. इसके लिए शिक्षकों को घर-घर जाकर लोगों से सूचना एकत्रित करनी होती है. ऐसे में संक्रमण होने का खतरा हो सकता है.
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लेकिन संक्रमण से बचाव के लिए प्रशासन की ओर से अभी तक कोई सामग्री उपलब्ध नहीं कराई गई है. जबकि नियम के अनुसार ड्यूटी पर लगाए जाने के बाद मास्क, सैनिटाइजर और हैंड ग्लव्स सहित अन्य सामाग्री उपलब्ध करानी होती है. शिक्षक संगठनों के अनुसार अपने कामकाज के दौरान लोगों के सामने वे प्रशासन के प्रतिनिधि होते हैं. लेकिन इस कार्य के लिए उनका कोई पास भी नहीं जारी किया गया है. ऐसे में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
शिक्षकों के मुताबिक उन्हें ड्यूटी संबंधी आदेश व्हाट्सएप पर दिए गए हैं. अकेले बांसवाड़ा शहर में ही करीब 180 शिक्षकों को इस काम के लिए लगाया गया है, जो पास के लिए प्रतिदिन प्रशासन के चक्कर लगा रहे हैं. शिक्षक संघ राष्ट्रीय के नगर अध्यक्ष दिलीप पाठक के अनुसार इस संबंध में जब अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्हें कोई भी संतोषप्रद जवाब नहीं मिला. वहीं, अब उन्हें व्हाट्सएप पर आए आदेश का सहारा लिए जाने की बात कही जा रही है. इसे लेकर शिक्षक संगठनों में नाराजगी बढ़ती जा रही है.