बांसवाड़ा. शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर हाइवे पर सेनावासा गांव बसा हुआ है. आज यह गांव चर्चा में इसलिए है क्योंकि यहां के लोगों ने सेल्फ लॉकडाउन लगाया, अब इस गांव में किराना तो क्या दूध की दुकान तक पूरी तरह बंद है. मेडिकल स्टोर भी बारी-बारी से खुलते हैं. जबकि इस गांव की आबादी 6000 है. जबकि आसपास के गांव की आबादी करीब 12000 है और वह लोग भी यहीं पर सामान लेने के लिए आते थे. यहां 4000 लोग वैक्सीन लगवा चुके हैं.
सेनावासा गांव के बारे में कहा जाता था कि यहां के लोग कभी बाजार नहीं बंद करेंगे कारण इस गांव के बीच से होकर हाइवे गुजरता है. चौबीसों घंटे कारोबार की संभावनाएं बनती रहती है. दूसरा इस गांव की आबादी 6000 है और इसके आसपास बसे हुए गांव की आबादी करीब 12 हजार हैं. यानी कि सेनावासा गांव खरीदारी के लिए करीब 18000 लोग जुड़े हुए हैं. जहां तक व्यापारियों की बात की जाए तो यहां की व्यापारिक संस्था में 135 व्यापारी कुल पंजीकृत है. ऐसे में यहां मुश्किल से ही लोगों का दुकान बंद करने के बारे में सोचा जा सकता था लेकिन गांव वालों ने समझदारी दिखाई.
मीटिंग लेकर लगाया गांव में पूर्ण लॉकडाउन
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जैसे ही 10 मई से लॉकडाउन की घोषणा की, वैसे ही इस गांव में भी लॉकडाउन आपसी समझाइश के बाद लगा दिया गया. सेनावासा व्यापार मंडल के अध्यक्ष भरत कुमार जैन ने बताया कि वह और उनकी पूरी टीम ने व्यापारियों की अलग-अलग जगह पर और अलग-अलग गुट में मीटिंग ली. उन्हें समझाया कि यदि हम बंद कर देंगे तो निश्चित मान के चलिए लॉकडाउन सफल हो जाएगा. इसके बाद से ही यह बाजार और गांव पूरी तरह लॉकडाउन में है. मुख्य बाजार तो क्या गांव की गलियों तक में सन्नाटा है. लोग घरों में कैद हैं गर्मी में बाहर तक नहीं निकलते.
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डर के आगे जीत है
सेनावासा क्षेत्र में अब तक 4000 लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है, जो कि एक बहुत बड़ी संख्या है. सेनावासा अस्पताल के प्रभारी डॉ. शहनवाज ने बताया कि उन्होंने लोगों को यह समझाया कि यदि वैक्सीन लग जाएगी और कोरोना हो भी गया तो आपके जिंदा बचने की गारंटी है. वे कहते हैं कि मैंने स्पष्ट रूप से लोगों से कहा सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाना, हाथ धोना यह तभी तक कारगर है, जब तक आप को कोरोना नहीं होता. यदि आपको कोरोना होने के बाद भी खुद को बचाना चाहते हो तो वैक्सीन लगाइए. इसके साथ ही उन्होंने युवाओं को भी इस बात के लिए मनाया कि अपने आसपास और अन्य लोगों को इस बात के लिए जागरूक करें कि वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी है. अभी इस क्षेत्र में कुल 37 व्यक्ति कोविड-19 पॉजिटिव आए थे इसमें से एक अभी सेनावासा अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि 17 लोग रिकवर हो चुके हैं.
इन गांव के लोग भी सेनावासा पर ही निर्भर
सेनावासा 1 ग्राम पंचायत है और उसकी खुद की आबादी करीब 6000 है. इसके अलावा आसपास की बात करें तो कुंवारिया जिसकी आबादी करीब 3 हजार, विजोर आबादी 3000, पड़ौली गोवर्धन आबादी करीब 4000 और जैतला गांव जिसकी आबादी करीब 2500 है.
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मेडिकल स्टोर भी बारी-बारी से खुलते हैं
गांव के युवक हितेश जैन ने बताया कि उनके यहां लोग या तो किसान हैं या फिर बाजार में नौकरी करने के लिए जाते हैं. कष्ट सभी को है, रोजगार छीन रहा है फिर भी सभी लोग गांव को कोविड-19 से बचाने के लिए खुद को घरों में कैद किए हैं. ज्यादातर लोग अपने बच्चों को भी गलियों में घूमने नहीं देते हैं. यहां तक कि यहां के मेडिकल स्टोर भी बारी-बारी से खुलते हैं.
हर दूसरे घर में कोई न कोई खड़ा हो गया जासूस
गांव की स्थिति यह है कि कोई अपने घर के बाहर टहलने निकले या मेडिकल स्टोर पर भीड़ हो. कुछ ही समय में पुलिस चौकी को चुपके से सूचना दे दी जाती है. मौके पर पुलिस आ जाती है फिर आप जानते ही हो कि क्या होता है. पुलिस भी इसलिए सक्रिय सहयोग कर रही है क्योंकि लोगों ने खुद से लॉकडाउन लगाकर पुलिस को इमरजेंसी में सहयोग की अपील की है.
छोटी-मोटी दुकानें खुलती है पर बिल्कुल निचले इलाकों में
सेनावासा गांव में लगे लॉकडाउन का असर आसपास की कुबानिया, विजोर, पड़ौली गोवर्धन और जेतला जैसे गांव पर भी पड़ा है. अब गांव के बिल्कुल निचले इलाकों में छोटी-मोटी चूरन चटनी बेचने वाली दुकानें ही खुल रही हैं. जहां से कोई छोटा-मोटा सामान और बच्चे अपने चीजें खरीद सकते हैं.
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गांव का अस्पताल जहां ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन भी
सेनावासा गांव में जो अस्पताल है, उसका कार्य क्षेत्र 18 हजार से ज्यादा की आबादी का है. अस्पताल भले ही गांव का हो पर यहां पर सभी मूलभूत सुविधाएं हैं. कोविड-19 के इमरजेंसी हालात से निपटने के लिए यहां पर दो ऑक्सीजन सिलेंडर है. एक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन है. डॉ. शहनवाज कहते हैं कि इमरजेंसी के लिए सुविधाएं हैं. व्यक्ति जब थोड़ा सा स्थिर होता है तो तत्काल उसे बड़े अस्पताल रेफर कर देते हैं
आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले में कोविड-19 का टीका नहीं लगवाने के लिए कई ऐसी अवधारणा इन लोगों के बीच बन चुकी है, जिसके कारण लोग आगे नहीं आ रहे हैं. जबकि सेनावासा और आसपास के क्षेत्र में अब तक 4000 लोगों का टीकाकरण हो चुका है.
अस्पताल प्रभारी डॉ. शहनवाज ने बताया कि ग्रामीणों के बीच की गई समझाइश चाहे वह महिला एवं बाल विकास की हो या लोगों की आपसी समझाइश से यहां वैक्सीनेशन को लेकर जबरदस्त उत्साह है. जितनी भी वैक्सीन यहां आएं,गी 2 दिन में शत-प्रतिशत टीकाकरण कर दिया जाएगा. हमें तो वैक्सीन का इंतजार है. यदि सभी लोग इसी तरह सेल्फ लॉकडाउन में रहे तो शायद देश में बिगड़ते हालात बहुत जल्द सुधर जाएंगे.