बांसवाड़ा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पिछले हफ्ते वागड़ दौरे के दौरान बांसवाड़ा सभा से गैरमौजूदगी पर बांसवाड़ा विधायक और जनजाति मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया ने रविवार को जवाब दिया. उन्होंने कहा कि वे पूरे जनजाति क्षेत्र के मंत्री हैं और उन पर उस दिन डूंगरपुर और प्रतापगढ़ की भी जिम्मेदारी थी. हालांकि, उनका यह बयान लोगों के गले नहीं उतर रहा है.
बता दें, महात्मा गांधी जयंती वर्ष के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में रविवार को वे बतौर मुख्य अतिथि खांडू कॉलोनी स्थित विद्यालय पहुंचे. कार्यक्रम के बाद ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान जब 25 जून को बागी धरा विधानसभा क्षेत्र के मडकोला गांव में मुख्यमंत्री की सभा से दूरी बनाए रखने के सवाल पर उन्होंने कहा कि खींचतान जैसी कोई बात नहीं है. यहां तक कि बांसवाड़ा कांग्रेस में चल रही खींचतान को मीडिया के नजरिया का नतीजा बताया.
उन्होंने कहा कि उन पर पूरे जनजातीय इलाके की जिम्मेदारी है. डूंगरपुर में जनसभा के बाद वो प्रतापगढ़ पहुंचे, क्योंकि वहां की जिम्मेदारी उनको दी गई थी. कुल मिलाकर बामनिया पार्टी में चल रही गुटबाजी के सवाल को टाल गए. महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों से हिंदी मीडियम के बच्चों को निकाले जाने के सवाल पर बामनिया ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है. किसी भी बच्चे को परेशानी नहीं आने दी जाएगी.
वहीं, विधानसभा सत्र के दौरान बजरी पर चर्चा के दौरान प्रमुख मंत्री शांति धारीवाल और रघु शर्मा द्वारा विधानसभा अध्यक्ष पर पक्षपात का आरोप लगाए जाने पर कहा कि विधानसभा अध्यक्ष पर कोई ब्लेम नहीं लगाया गया है. सरकार विपक्ष के आरोप पर अपना पक्ष रखना चाह रही थी, जिस का मौका नहीं दिया गया. सरकार बजरी खनन सहित हर अवैध कारोबार पर लगाम कसने को प्रतिबद्ध है.