घाटोल (बांसवाड़ा). आजादी के सात दशक बाद आज भी एक गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. डिजिटल युग में विकास के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति दिखाई देती है. आज हम डिजिटल दुनिया में जी रहे हैं. सरकार मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे सपने देख रही है. लेकिन घाटोल पंचायत समिति की रूपजी का खेड़ा ग्राम पंचायत के नाड़ा गांव सरकार की सभी योजनाओं को आईना दिखा रहा है. नाड़ा गांव आज के डिजिटल युग में भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. यहां लोग आज भी नाले का पानी पीने को मजबूर हैं.
etv bharat की टीम नाड़ा गांव की जमीनी हकीकत जानने पहुंची तो हालात बद से बदतर दिखाई दिए. लोगों से बात की तो गुस्सा और दर्द, दोनों भावनाएं ऊभर कर सामने आईं. नाड़ा में 25 घरों की आबादी में आज भी न तो सड़क पहुंची है और न ही बिजली. पण्डित दीनदयाल उपाध्याय विद्युतीकरण योजना के तहत यंहा बिजली पहुंचनी थी. लेकिन ठेकेदार एक साल पहले विद्युत पोल छोड़कर भाग गए, जिसके बाद अब तक वापस नाड़ा गांव की ओर मुंह नहीं फेरा. पीछे छोड़े विद्युत पोल अब ग्रामीणों की भेड़ बकरिया बांधने के काम में आ रहे हैं.
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पहाड़ी क्षेत्र में ग्रामीणों ने चन्दा एकत्रित कर ग्रेवल सड़क बनवाई है, लेकिन फिर भी पक्की सड़क नसीब नहीं हुई. ग्राम पंचायत के माध्यम से नाले में रिंगवाल बनाने का काम शुरू किया गया था, जिससे लोगों की उम्मीदें जगी थी. लेकिन वे भी ज्यादा समय नहीं टिक पाई. रिंगवाल भ्रष्टाचार के चलते निर्माण के एक साल के भीतर ही श्रतिग्रस्त हो गई. नाड़ा गांव दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में होने के कारण पंचायत द्वारा गिने चुने विकास कार्य किए गए, लेकिन उसमें भी भ्रष्टाचार के चलते मात्र खानापूर्ति ही की गई.
विकास कार्यों में ढिलाई देखते हुए गांव के लोगों ने इसे उजागर करने की पहल भी की. ग्राम पंचायत रूपजी का खेड़ा में विकास के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार की पोल खोलने के लिए ग्रामीणों ने विकास कार्यों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया, जिस पर ग्राम पंचायत विकास अधिकारी और सरपंच की ओर से वीडियो वायरल करने वालों के खिलाफ खमेरा थाने में परिवाद पेश कर प्रताड़ित किया गया.
ग्राम पंचायत रूपजी का खेड़ा के राजस्व गांव नाड़ा में चल रहे सीसी सड़क निर्माण में ग्रामीणों द्वारा सरपंच एवं ग्राम विकास अधिकारी पर वोट बैंक की राजनीति करते हुए विकास कार्यों में पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाते हुए नाड़ा गांव को विकास कार्यों से महरूम रखने की बात कही गई. साथ ही जो काम हुआ उसकी गुणवत्ता भी शून्य के बराबर बताई गई .
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नाड़ा गांव में ग्राम पंचायत द्वारा निर्मित रिंगवाल जो फरवरी माह में बना था, वो टूट गया. जबकि रिंगवाल पर कार्यरत मजदूर और कारीगर का कहना है कि अभी तक तो उन्हें इस कार्य का मेहनताना भी नहीं मिला है.
शौचालयें का हाल यूं है बेहाल...
ग्राम पंचायत के कार्यों की बात करें तो आंगनवाड़ी केंद्र में शौचालय बनवाया गया. लेकिन लापरवाही देखिए, ग्राम पंचायत उसका टैंक और दरवाजा बनवाना ही भूल गए. स्वच्छ भारत के तहत प्रधानमंत्री योजनाओं के तहत शौचालयों का निर्माण भी अटका ही नजर आया. स्कूल भवन में दो लाख की लागत से बना शौचालय भी अपनी दशा बयां कर रहा था. न पक्की फर्श, न ही मजबूत दरवाजे और न ही पानी की उचित व्यवस्था.
नहीं मिल पाया एक भी हैंडपंप...
वहीं इस गांव में रह रहे काफी लोग उनके घरों के बीच गुजर रहे नाले का पानी पीने को मजबूर हैं. जबकि घाटोल विधानसभा का ज्यादातर बजट हैंडपंप के लिए ही घोषित होता है. स्थानीय पंचायत द्वारा हैंडपंप के लिए गाड़ी नहीं पहुंच पाने की बात पर क्षेत्र में विकास का सोचकर स्थानीय ग्रामीणों ने निजी चंदा एकत्र कर सड़क भी बना दी, परंतु फिर भी एक भी हैंडपंप मुहैया नहीं हो पाया.
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वहीं इस पूरे मामले को लेकर ग्रामीणों ने बताया कि उनके साथ हुए इस पक्षपात पूर्ण विकास कार्यों की शिकायत उन्होंने उच्चाधिकारियों से भी की, परंतु किसी ने भी सुनवाई नहीं की. साथ ही अब, जब अपनी आवाज के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया तो सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी द्वारा ग्रामीणों पर मुकदमा दर्ज करवाकर मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है.
इन सबके बीच सांसद आदर्श ग्राम योजना, प्रधानमंत्री योजना और न जाने कितनी योजनाओं के अभाव में जी रहा ये गांव अब भी प्रशासन के चेतने के इंतजार में है. लोग बस यही पूछते नजर आते हैं कि प्रशासन आखिर कब तक देगा सड़क, पानी और बिजली.