बांसवाड़ा. गांवों में राजीव गांधी सेवा केंद्रों पर लगाए गए सुरक्षा गार्ड प्लेसमेंट कंपनी के शोषण का शिकार हो रहे हैं. कंपनी की ओर से ना उन्हें समय पर मानदेय का भुगतान किया जा रहा है और ना ही किसी प्रकार की सुविधाएं. इसे लेकर सुरक्षा गार्ड कलेक्ट्रेट पहुंचे और सीधे संविदा पर रखने की मांग को लेकर जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया. सुरक्षा गार्डों का आरोप था कि कई गार्डों को लंबे समय से मानदेय तक नहीं दिया गया है, जिससे उनके सामने परिवार को चलाना मुश्किल हो रहा है.
सुरक्षा गार्ड लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलित है. उसी क्रम में ग्राम पंचायत भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केंद्र सुरक्षा गार्ड संघ के बैनर तले बड़ी संख्या में सुरक्षा गार्ड कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी के बाद एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर से मुलाकात की और उन्हें अपनी मांगों से अवगत कराते हुए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया.
इस दौरान सुरक्षा गार्डों ने बताया कि ग्राम पंचायत और पंचायत समिति स्तर पर राजीव गांधी सेवा केंद्रों की सुरक्षा का जिम्मा साल 2013 में लिसमेर नामक सुरक्षा एजेंसी को दिया गया था. अधिकांश सुरक्षा गार्ड उस समय से कार्यरत हैं.
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संगठन नेताओं का आरोप है कि सुरक्षा एजेंसी की ओर से उनका शोषण किया जा रहा है. समय पर मानदेय का भुगतान नहीं किया जाता. मानदेय से विभिन्न प्रकार की कटौती की जाती है, लेकिन उन्हें जमा नहीं कराया जाता. किस-किस फंड में कितनी कितनी कटौती हुई इसका भी जवाब नहीं दिया जाता.
ग्राम पंचायत और पंचायत समिति स्तर पर संविदा पर रखने का प्रावधान कर उन्हें शोषण से बचाया जा सकता है. संगठन के नेता चंद्रकांत पंड्या के अनुसार अकेले बांसवाड़ा जिले में 355 गार्ड कार्यरत है. जिनकी मानदेय कटौती के बावजूद राशि संबंधित खातों में जमा नहीं की जा रही है. इस मामले में हाईकोर्ट ने भी सीधे भुगतान के आदेश दे रखे हैं. कोर्ट के आदेश की पालना करवा कर उन्हें शोषण से मुक्त करवाया जा सकता है.