बांसवाड़ा. महज कुछ वर्षों में बांसवाड़ा के गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय को देश के मानचित्र पर उभारने वाले कुलपति प्रोफेसर कैलाश सोडाणी इसी महीने सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने शिक्षा के साथ-साथ कोरोना महामारी को लेकर उनसे बातचीत की.
कैलाश सोडाणी ने अगले शैक्षणिक सत्र के लिए अपना सुझाव देते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण जो 3 महीने का शैक्षणिक गैप आया है, उसे आसानी से पूरा किया जा सकता है. बशर्ते सरकार सत्र के दौरान आने वाली छुट्टियों को निरस्त कर दे. इससे हम बखूबी सेशन के बीच जो अंतराल आया है, उससे पार कर सकते हैं.
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विश्वविद्यालय परीक्षाओं के सवाल पर देश के जाने माने शिक्षाविद ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 10 लाख विद्यार्थियों की परीक्षा करा चुका है. इतनी बड़ी परीक्षा आसानी से करवाने के लिए बोर्ड बधाई का पात्र है. इसे देखते हुए विश्वविद्यालय की परीक्षाओं का मामला कुलपतियों पर छोड़ देना चाहिए.
वे अत्यधिक अनुभवी है और आसानी से परीक्षा करवा सकते हैं क्योंकि बोर्ड के मुकाबले विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की संख्या बहुत कम है. सरकार को कुलपतियों पर विश्वास करना होगा. अत्यधिक सलाह मशवरा के कारण ही परीक्षाओं पर कोई फैसला नहीं हो पा रहा है.
कोरोना के मसले पर सोनी ने कहा कि हमें यह मान लेना चाहिए कि कोरोना है और आगे भी रहेगा. घरों में रहकर हम कब तक इस से मुकाबला कर पाएंगे. केंद्र सरकार द्वारा लगाए लॉकडाउन ने हमें अनुशासन सिखा दिया है और अब इसके जरिए ही हम कोरोना को पराजित कर पाएंगे.
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इस महामारी को देश के लिए एक अवसर बताते हुए प्रोफेसर सोडाणी ने कहा कि निश्चित ही इसका समाधान नए अवसर के रूप में सामने आएगा. अगर चाइनीस सामान का आयात बंद कर दे, तो हमारे देश में ही लोगों को रोजगार का अवसर मिल सकता है.