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Special: कमजोर पायों पर नन्हें-मुन्नों की पाठशाला, मां बाड़ी भवन के निर्माण में प्रयोग हो रही घटिया सामग्री

बांसवाड़ा जिले में बच्चों की शिक्षा के लिए बनाए जा रहे मां बाड़ी केंद्र की खुद की नींव ही कमजोर है. केद्रों के खंभों का काफी कमजोर बनाया जा रहा है. प्रशासनिक मिलिभगत और लापरवाही के कारण पिलरों और भवन निर्माण में प्रयोग की जा रही सामग्री की गुणवत्ता को ताख पर रख कर कार्य किया जा रहा है. इसकी सूचना पर ईटीवी भारत ने मामले की सच्चाई जानने की कोशिश की. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

Construction of maa badi centers in Banswara, बांसवाड़ा न्यूज, banswara news
मां बाड़ी केंद्रों का घटिया निर्माण
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Published : Oct 10, 2020, 6:22 PM IST

बांसवाड़ा. घटिया निर्माण और भ्रष्टाचार की खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं. जिस कारण कई बार बड़े हादसे भी हो जाते हैं. कितने ही लोग ऐसे हादसों में अपनी जा गंवा देते हैं. लेकिन इसके बाद भी सरकार और प्रशासन इनसे कोई सबक नहीं लेता. आए दिन सरकारी निर्माणों में गड़बड़ी सामने आती है. ऐसा ही एक मामला बांसवाड़ा से भी सामने आया है जहां बच्चों की जान की चिंता किए बिना गुणवत्ता के मापदंडों को ताख पर रखकर मां बाड़ी केंद्रों के लिए भवनों का निर्माण करवाया जा रहा है.

मां बाड़ी केंद्रों का घटिया निर्माण

आंगनबाड़ी केंद्रों की तर्ज पर जनजातीय इलाके में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की ओर से मां बाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाता है. इसका पूरा कामकाज स्वच्छ परियोजना परियोजना संभालती है. परियोजना के अंतर्गत ग्रामीणों की कमेटी की ओर से भवन निर्माण से लेकर अध्यापक की व्यवस्था की जाती है. इन भवनों का निर्माण किस प्रकार गुणवत्ता के मापदंडों को दरकिनार कर अंजाम दिया जा रहा है, इसकी बानगी तीन स्थानों पर भवन निर्माण के कार्यों से बखूबी नजर आई.

कई गडबड़ियां आई सामने

बिना टेंडर निकाले इन भवनों का निर्माण किया जा रहा है. ग्रामीण कमेटी के सदस्य अपने ही आदमी को ठेका देकर काम करवाते हैं. इन भवनों के निर्माण में कम मोटी सरिया का उपयोग किया जा रहा है.वहीं भवन के खंभों तक में सरिया के टुकड़ों से काम चलाया जा रहा है. जबकि पूरे भवन का दारोमदार इन पायों पर ही टिका होता है.

Cheap bars are being installed in the building
घटिया सरिया लगाई जा रही भवन में

पिलर में पतले सरिए का उपयोग

जिले के चाचा कोटा ग्राम पंचायत में आने वाले भक्तों का फला बस्ती क्षेत्र में निर्माणाधीन भवन के पिलर में 10 एमएम के सरियों का इस्तेमाल किया जा रहा था. वहीं टुकड़े की ओवरलैपिंग तक सामने आई जबकि किसी भी नए भवन के निर्माण में 12 से 16 एमएम साइज के सरियों का इस्तेमाल आवश्यक है. सबसे बड़ी बात यह है कि पूरे भवन का दारोमदार पिलर पर निर्भर होता है, ऐसे में टुकड़ों का इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता. टुकड़ों के इस्तेमाल से पिलर कभी भी जवाब दे सकता है. लेकिन यहां पर धड़ल्ले से कम साइज के साथ-साथ सरियों के टुकड़े तक उपयोग में लिए जा रहे थे.

Maa Bari Center building under construction
मां बाड़ी केंद्र का निर्माणाधीन भवन

ये पढ़ें: SPECIAL: राजधानी में आवारा श्वानों का आतंक, नकेल कसने के लिए नगर निगम चला रहा ABC प्रोग्राम

इसी प्रकार राती तलाई ग्राम पंचायत में वाली काकरा बस्ती में निर्माणाधीन भवन के भी इसी प्रकार के हालात देखे गए यहां भी 10 से लेकर 12 एमएम के सरिए काम में लिए जा रहे थे. वहीं नाले की मोटी मिट्टी रोमा रेत चुनाई में इस्तेमाल की जा रही थी. जबकि इसके लिए बारीक किस्म की रेत काम में लिए जाने का प्रावधान है.

आरसीसी के लिए सरिया बिछाने का काम कर रहे मजदूर रामचंद्र का स्पष्ट कहना था कि यहां 10 से लेकर 12 एमएम के सरिए काम में लिए जा रहे हैं. यहां तक कि इन भवनों की नींव तक नियमानुसार नहीं रखे जाने की बात सामने आ रही है. कमजोर नींव और घटिया सामग्री के चलते इन भवनों की मजबूती की संदेह के घेरे में आ गई है.

ये पढ़ें: Special: कोरोना में कढ़ी कचौरी और दूसरे फास्ट फूड से मुंह फेर रहे हैं अजमेर के लोग

6 लाख की राशि हुई है स्वीकृत

जानकारी के अनुसार परियोजना की ओर से इन भवनों के निर्माण के लिए छह छह लाख रुपए आवंटित किए गए हैं. इसके लिए पहले गांव के लोगों की कमेटी गठित की गई. भवन कहां बनाना है और किस प्रकार बनाया जाएगा. पूरी जिम्मेदारी कमेटी की रहती है. वहीं अधिकारियों की मिलीभगत से कमेटी के प्रभावशाली लोग बतौर कमेटी सचिव शिक्षा सहयोगी पर दबाव डालकर अपने ही लोगों के जरिए भवन का निर्माण कर देते हैं. जबकि परियोजना अपने स्तर से भी इसके लिए टेंडर जारी कर सकती है. परंतु इन भवनों के निर्माण का पूरा दारोमदार कमेटियों के जिम्मे ही छोड़ दिया गया है.

लीपापोती में जुटे अधिकारी

हैरत की बात यह है कि निर्माण कार्य की देखरेख का जिम्मा संभाल रहे परियोजना के अधिकारी लीपापोती में जुटे हैं. परियोजना के प्रभारी सहायक अभियंता मुकेश पाटीदार का कहना है कि यह पूरा कामकाज कमेटी के जरिए होता है. यदि इस प्रकार की बात सामने आ रही है तो कनिष्ठ अभियंता को मौके पर भेजकर जाट करवाएंगे. अब यह बात परियोजना अधिकारियों से लेकर जिला प्रशासन तक भी पहुंच चुकी है. परंतु निर्माण कार्य की जांच के लिए कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा है. ऐसी स्थिति में इन भवनों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.

बांसवाड़ा. घटिया निर्माण और भ्रष्टाचार की खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं. जिस कारण कई बार बड़े हादसे भी हो जाते हैं. कितने ही लोग ऐसे हादसों में अपनी जा गंवा देते हैं. लेकिन इसके बाद भी सरकार और प्रशासन इनसे कोई सबक नहीं लेता. आए दिन सरकारी निर्माणों में गड़बड़ी सामने आती है. ऐसा ही एक मामला बांसवाड़ा से भी सामने आया है जहां बच्चों की जान की चिंता किए बिना गुणवत्ता के मापदंडों को ताख पर रखकर मां बाड़ी केंद्रों के लिए भवनों का निर्माण करवाया जा रहा है.

मां बाड़ी केंद्रों का घटिया निर्माण

आंगनबाड़ी केंद्रों की तर्ज पर जनजातीय इलाके में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की ओर से मां बाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाता है. इसका पूरा कामकाज स्वच्छ परियोजना परियोजना संभालती है. परियोजना के अंतर्गत ग्रामीणों की कमेटी की ओर से भवन निर्माण से लेकर अध्यापक की व्यवस्था की जाती है. इन भवनों का निर्माण किस प्रकार गुणवत्ता के मापदंडों को दरकिनार कर अंजाम दिया जा रहा है, इसकी बानगी तीन स्थानों पर भवन निर्माण के कार्यों से बखूबी नजर आई.

कई गडबड़ियां आई सामने

बिना टेंडर निकाले इन भवनों का निर्माण किया जा रहा है. ग्रामीण कमेटी के सदस्य अपने ही आदमी को ठेका देकर काम करवाते हैं. इन भवनों के निर्माण में कम मोटी सरिया का उपयोग किया जा रहा है.वहीं भवन के खंभों तक में सरिया के टुकड़ों से काम चलाया जा रहा है. जबकि पूरे भवन का दारोमदार इन पायों पर ही टिका होता है.

Cheap bars are being installed in the building
घटिया सरिया लगाई जा रही भवन में

पिलर में पतले सरिए का उपयोग

जिले के चाचा कोटा ग्राम पंचायत में आने वाले भक्तों का फला बस्ती क्षेत्र में निर्माणाधीन भवन के पिलर में 10 एमएम के सरियों का इस्तेमाल किया जा रहा था. वहीं टुकड़े की ओवरलैपिंग तक सामने आई जबकि किसी भी नए भवन के निर्माण में 12 से 16 एमएम साइज के सरियों का इस्तेमाल आवश्यक है. सबसे बड़ी बात यह है कि पूरे भवन का दारोमदार पिलर पर निर्भर होता है, ऐसे में टुकड़ों का इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता. टुकड़ों के इस्तेमाल से पिलर कभी भी जवाब दे सकता है. लेकिन यहां पर धड़ल्ले से कम साइज के साथ-साथ सरियों के टुकड़े तक उपयोग में लिए जा रहे थे.

Maa Bari Center building under construction
मां बाड़ी केंद्र का निर्माणाधीन भवन

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इसी प्रकार राती तलाई ग्राम पंचायत में वाली काकरा बस्ती में निर्माणाधीन भवन के भी इसी प्रकार के हालात देखे गए यहां भी 10 से लेकर 12 एमएम के सरिए काम में लिए जा रहे थे. वहीं नाले की मोटी मिट्टी रोमा रेत चुनाई में इस्तेमाल की जा रही थी. जबकि इसके लिए बारीक किस्म की रेत काम में लिए जाने का प्रावधान है.

आरसीसी के लिए सरिया बिछाने का काम कर रहे मजदूर रामचंद्र का स्पष्ट कहना था कि यहां 10 से लेकर 12 एमएम के सरिए काम में लिए जा रहे हैं. यहां तक कि इन भवनों की नींव तक नियमानुसार नहीं रखे जाने की बात सामने आ रही है. कमजोर नींव और घटिया सामग्री के चलते इन भवनों की मजबूती की संदेह के घेरे में आ गई है.

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6 लाख की राशि हुई है स्वीकृत

जानकारी के अनुसार परियोजना की ओर से इन भवनों के निर्माण के लिए छह छह लाख रुपए आवंटित किए गए हैं. इसके लिए पहले गांव के लोगों की कमेटी गठित की गई. भवन कहां बनाना है और किस प्रकार बनाया जाएगा. पूरी जिम्मेदारी कमेटी की रहती है. वहीं अधिकारियों की मिलीभगत से कमेटी के प्रभावशाली लोग बतौर कमेटी सचिव शिक्षा सहयोगी पर दबाव डालकर अपने ही लोगों के जरिए भवन का निर्माण कर देते हैं. जबकि परियोजना अपने स्तर से भी इसके लिए टेंडर जारी कर सकती है. परंतु इन भवनों के निर्माण का पूरा दारोमदार कमेटियों के जिम्मे ही छोड़ दिया गया है.

लीपापोती में जुटे अधिकारी

हैरत की बात यह है कि निर्माण कार्य की देखरेख का जिम्मा संभाल रहे परियोजना के अधिकारी लीपापोती में जुटे हैं. परियोजना के प्रभारी सहायक अभियंता मुकेश पाटीदार का कहना है कि यह पूरा कामकाज कमेटी के जरिए होता है. यदि इस प्रकार की बात सामने आ रही है तो कनिष्ठ अभियंता को मौके पर भेजकर जाट करवाएंगे. अब यह बात परियोजना अधिकारियों से लेकर जिला प्रशासन तक भी पहुंच चुकी है. परंतु निर्माण कार्य की जांच के लिए कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा है. ऐसी स्थिति में इन भवनों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.

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