बांसवाड़ा. पंचायत चुनाव को लेकर हर सरकार अलग-अलग नियम लेकर आती है. राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने भी चुनाव प्रक्रिया को लेकर उम्मीदवारों के लिए कुछ अलग योग्यताएं निर्धारित की हैं. हालांकि नियम-कानून में आंशिक बदलाव किए गए हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पंच-सरपंच पदों को लेकर अब भी कई भ्रांतियां फैली हुईं हैं. इसे लेकर दावेदार गांव से लेकर निर्वाचन विभाग तक दस्तक दे रहे हैं.
लोगों की इन परेशानियों को देखते हुए ईटीवी भारत ने नियमों में बदलाव, जरूरी दस्तावेज को लेकर निर्वाचन अधिकारी से बातचीत की. राज्य निर्वाचन आयोग की नई गाइडलाइन पर नजर डालें तो सरकार ने आगामी चुनाव के लिए नियम-कानून में ज्यादा बदलाव नहीं किया है. सरपंच पद के लिए आरक्षित पद हेतु दावेदार को जाति प्रमाण पत्र के साथ 1b उपबंध का शपथ पत्र पेश करना होगा. 50 रुपए के शपथ पत्र पर नोटरी से प्रमाणित करवाना होगा. इसके अलावा संबंधित दावेदार को कार्यशील स्वच्छ शौचालय संबंधी एक शपथ पत्र देना होगा, जिसमें यह बताया जाएगा, कि उसके घर पर कार्यशील अवस्था मय शौचालय है और उसके परिवार के लोग उपयोग कर रहे हैं. शिक्षा संबंधी अनिवार्यता हटा ली गई है यानि अंगूठा छाप व्यक्ति भी पंच-सरपंच के लिए नामांकन पत्र दाखिल कर सकेगा.
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अब यदि संतान संबंधी नियमों की बात करें तो 27 नवंबर 1995 के बाद तीसरी संतान नहीं होनी चाहिए. इसके बाद तीसरी संतान होने पर संबंधित व्यक्ति का नामांकन पर्चा खारिज कर दिया जाएगा. सरपंच के बाद यदि पंच पद की बात करें तो आरक्षित वार्ड पर संबंधित व्यक्ति को जाति प्रमाण पत्र पेश करना होगा. नामांकन पर्चे के साथ राशन कार्ड, वोटर आईडी की छाया प्रति संलग्न करनी होगी. पंच पद के लिए इसके अलावा और किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी. निर्वाचन विभाग के सहायक प्रशासनिक अधिकारी देवीलाल गर्ग के मुताबिक, हमारे पास हर रोज बड़ी संख्या में लोग सिर्फ नियम कायदों की जानकारी लेने के लिए पहुंच रहे हैं. जबकि नए नियमों में ऐसा कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है.