बांसवाड़ा. जिले में नगर परिषद बोर्ड बनने पर कांग्रेस की ओर से सभापति के रूप में जैनेंद्र त्रिवेदी शपथ लेंगे यह चुनाव से पहले ही तय हो गया था. लेकिन पार्टी की बंपर जीत के बाद अब उपसभापति पद को लेकर प्रमुख नेता असमंजस में घिरे हैं. बता दें कि करीब 6 पार्षद इस दौड़ में नजर आ रहे हैं. वैसे माना जा रहा है कि इस पद पर किसी गैर ब्राह्मण की ही ताजपोशी होगी. लेकिन सबसे बड़ा संकट पार्टी नेताओं के समक्ष प्रभावशाली नेताओं को लेकर है जो विपरीत परिस्थितियों में भी 2 से 3 बार चुनाव जीतकर नगर परिषद पहुंचे हैं.
मुस्लिम वार्डों में खासा समर्थन
ब्राह्मण कोटे से जैनेंद्र त्रिवेदी सभापति बन रहे हैं. ऐसे में उपसभापति पद पर मुस्लिम वर्ग की ओर से भी मजबूती से अपनी पैरवी की जा सकती है. बता दें कि करीब 15 सीटों में से 12 वार्डों में कांग्रेस का परचम लहराया है. कुल मिलाकर इन वार्डों में पार्टी को एक तरफा मत मिले हैं, ऐसे में मुस्लिम वर्ग से दावा ठोका जा सकता है. वार्ड 31 से जाहिद अहमद सिंधी गत चुनाव में भी जीत कर आए थे और इस बार भी वह चुनावी दंगल जीतकर नगर परिषद पहुंचे हैं.
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देव बाला का दमखम
कांग्रेस नेत्री देव बाला राठौड़ पार्टी का शहर में एक प्रमुख चेहरा है और पार्टी के गत शासनकाल में सफाई आयोग में बतौर राज्य मंत्री भी रह चुकी है. बता दें कि देव बाला का लगातार छठी बार चुनाव जीतकर नगर परिषद पहुंचना उनकी दावेदारी को और मजबूत करता है. वहीं, एससी-एसटी के वार्डों में भी कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रही है. ऐसे में देव बाला राठौड़ पर भी प्रमुखता से विचार किया जा सकता है.
और भी कई अन्य दावेदार
जैन समाज को भाजपा का आधार स्तंभ माना जाता है. लेकिन, ऐसे में कांग्रेस पार्टी के कई नेता जीत कर नगर परिषद आए हैं. समाज का अधिकाधिक समर्थन हासिल करने के लिए पार्टी की ओर से वार्ड 53 से चुनावी जंग जीतकर आने वाले राकेश सेठिया को भी आगे कर सकती है. बता दें कि सेठिया तीसरी बार पार्षद बनने में कामयाब रहे और उन्हें पार्टी का मजबूत आधार स्तंभ माना जाता है.
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वहीं, इसके अलावा वार्ड 12 से तीसरी बार चुनाव जीत कर आने वाले मुकेश जोशी भी दावेदारों की सूची में अपना नाम दर्ज करा रहे हैं. उधर, पूर्व कैबिनेट मंत्री महेंद्र जीत सिंह मालवीय के करीबी माने जाने वाले वार्ड 55 से मैदान मार कराने वाले नटवर तेली भी एक दावेदार माने जा सकते हैं.
कोई भी मुंह खोलने को नहीं तैयार
फिलहाल, मंत्री से लेकर जिलाध्यक्ष तक उपसभापति पद को लेकर फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं और कोई भी इस बारे में अपना मुंह नहीं खोल रहा है. विजयी प्रत्याशी देव बाला का कहना था कि उपसभापति का मसला पार्टी तय करेगी. वहीं, जिलाध्यक्ष चांदमल जैन का कहना था कि सारे नेताओं से चर्चा के बाद पार्टी आलाकमान इसका निर्णय करेगी तो जनजाति मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया का कहना था कि फिलहाल इस बारे में कुछ नहीं कह सकते. कुल मिलाकर पार्टी नेता गंभीरता से जातिगत समीकरण सहित हर पहलू पर विचार के बाद उपसभापति पद का फैसला करने के मूड में दिखाई दे रहे हैं.