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बांसवाड़ा: कृषि एवं जनजातीय स्वराज अभियान के तहत किसान सम्मेलन का आयोजन

बांसवाड़ा में आदिवासी किसानों का कृषि एवं जनजातीय स्वराज अभियान के तहत मंगलवार को किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसका समापन बुधवार को किया जाएगा. इसके लिए एक मसौदा भी तैयार कर लिया गया है.

बांसवाड़ा की खबर, banswara news
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Published : Dec 10, 2019, 11:59 PM IST

बांसवाड़ा. राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के आदिवासी किसानों का कृषि एवं जनजातीय स्वराज अभियान के अंतर्गत किसान सम्मेलन मंगलवार को निकटवर्ती कुपड़ा गांव में शुरू किया गया. इसके पहले दिन परंपरागत तरीके से नगाड़े के साथ जाने-माने गांधी विचारक कुमार प्रशांत ने इसकी प्रारम्भ होने की घोषणा की. इस दो दिवसीय सम्मेलन में काश्तकारों के साथ विषय विशेषज्ञों के सुझावों को सम्मिलित करते हुए मसौदा तैयार किया जाएगा, जिसकी बुधवार को घोषणा की जाएगी.

किसान सम्मेलन का हुआ आयोजन

स्वयंसेवी संस्था वागधरा की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में करीब 5 हजार किसान भाग ले रहे हैं. इनमें अधिकांश महिला काश्तकार है. स्थानीय कलाकारों के नाच-गान के साथ किसानों को विषय विशेषज्ञ की ओर से खेती-बाड़ी के संबंध में आवश्यक जानकारी दी गई. पहले दिन अलग-अलग विषयों पर नरेंद्र नाथ, सूत्य साची दास, कृष्णा प्रसाद, गगन सेठी, गांधीवादी विचारक सवाई सिंह, राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य डॉ. शैलेंद्र पंड्या, गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली के अध्यक्ष कुमार प्रशांत और कृषि विश्वविद्यालय परभणी महाराष्ट्र के पूर्व कुलपति डॉ. वेंकटेश्वरुलु सहित एक दर्जन से अधिक विशेषज्ञों की ओर से खेती-बाड़ी में स्थानीय फसलों की महत्ता के साथ स्थानीय बीज खेती-बाड़ी के तरीके को आधुनिक खेती से बेहतर बताया.

पढ़ें- बांसवाड़ा में जिला परिषद की अंतिम बैठक में छाए बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे

विशेषज्ञों का कहना था कि रासायनिक खाद, उर्वरक और पेस्टिसाइड्स के इस्तेमाल के कारण पंजाब की जमीन अब बंजर होती जा रही है. पैदावार कम पड़ गई है और कई प्रकार की बीमारियां घर करती जा रही है. विशेषज्ञों ने स्थानीय बीज को बेहतर बताते हुए कहा कि हाइब्रिड सीड्स के मुकाबले स्थानीय जमीन के लिए हमारा परंपरागत बीज कहीं-कहीं अधिक कारगर है. हाइब्रिड बीज के जरिए मल्टीनेशनल कंपनियां अपने अन्य उत्पाद निकालती है और किसानों को महंगे दामों पर बेचती है. अपने उत्पाद का बेहतर दाम हासिल करने के लिए सामुदायिक खेती का भी सुझाव दिया गया. इस संस्था के सचिव जयेश जोशी के अनुसार बुधवार को दो दिवसीय सम्मेलन का समापन होगा. जिसमें 2 दिन हुई चर्चा के आधार पर मसौदा तैयार किया जाएगा, जो वर्ष पर्यंत किसानों के लिए फायदेमंद रहेगा.

बांसवाड़ा. राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के आदिवासी किसानों का कृषि एवं जनजातीय स्वराज अभियान के अंतर्गत किसान सम्मेलन मंगलवार को निकटवर्ती कुपड़ा गांव में शुरू किया गया. इसके पहले दिन परंपरागत तरीके से नगाड़े के साथ जाने-माने गांधी विचारक कुमार प्रशांत ने इसकी प्रारम्भ होने की घोषणा की. इस दो दिवसीय सम्मेलन में काश्तकारों के साथ विषय विशेषज्ञों के सुझावों को सम्मिलित करते हुए मसौदा तैयार किया जाएगा, जिसकी बुधवार को घोषणा की जाएगी.

किसान सम्मेलन का हुआ आयोजन

स्वयंसेवी संस्था वागधरा की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में करीब 5 हजार किसान भाग ले रहे हैं. इनमें अधिकांश महिला काश्तकार है. स्थानीय कलाकारों के नाच-गान के साथ किसानों को विषय विशेषज्ञ की ओर से खेती-बाड़ी के संबंध में आवश्यक जानकारी दी गई. पहले दिन अलग-अलग विषयों पर नरेंद्र नाथ, सूत्य साची दास, कृष्णा प्रसाद, गगन सेठी, गांधीवादी विचारक सवाई सिंह, राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य डॉ. शैलेंद्र पंड्या, गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली के अध्यक्ष कुमार प्रशांत और कृषि विश्वविद्यालय परभणी महाराष्ट्र के पूर्व कुलपति डॉ. वेंकटेश्वरुलु सहित एक दर्जन से अधिक विशेषज्ञों की ओर से खेती-बाड़ी में स्थानीय फसलों की महत्ता के साथ स्थानीय बीज खेती-बाड़ी के तरीके को आधुनिक खेती से बेहतर बताया.

पढ़ें- बांसवाड़ा में जिला परिषद की अंतिम बैठक में छाए बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे

विशेषज्ञों का कहना था कि रासायनिक खाद, उर्वरक और पेस्टिसाइड्स के इस्तेमाल के कारण पंजाब की जमीन अब बंजर होती जा रही है. पैदावार कम पड़ गई है और कई प्रकार की बीमारियां घर करती जा रही है. विशेषज्ञों ने स्थानीय बीज को बेहतर बताते हुए कहा कि हाइब्रिड सीड्स के मुकाबले स्थानीय जमीन के लिए हमारा परंपरागत बीज कहीं-कहीं अधिक कारगर है. हाइब्रिड बीज के जरिए मल्टीनेशनल कंपनियां अपने अन्य उत्पाद निकालती है और किसानों को महंगे दामों पर बेचती है. अपने उत्पाद का बेहतर दाम हासिल करने के लिए सामुदायिक खेती का भी सुझाव दिया गया. इस संस्था के सचिव जयेश जोशी के अनुसार बुधवार को दो दिवसीय सम्मेलन का समापन होगा. जिसमें 2 दिन हुई चर्चा के आधार पर मसौदा तैयार किया जाएगा, जो वर्ष पर्यंत किसानों के लिए फायदेमंद रहेगा.

Intro:बांसवाड़ा। राजस्थान मध्यप्रदेश और गुजरात के आदिवासी किसानों का कृषि एवं जनजातीय स्वराज अभियान के अंतर्गत किसान सम्मेलन आज निकटवर्ती कुपड़ा गांव में शुरू हुआ। पहले दिन परंपरागत नगाड़ा बजाकर इसकी शुरुआत की गई। जाने-माने गांधी विचारक कुमार प्रशांत ने शुरुआत की घोषणा की। दो दिवसीय सम्मेलन में काश्तकारों के साथ विषय विशेषज्ञों के सुझावों को सम्मिलित करते हुए मसौदा तैयार किया जाएगा। जिसकी बुधवार को घोषणा की जाएगी।


Body:स्वयंसेवी संस्था वागधरा द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में करीब 5000 किसान भाग ले रहे हैं। इनमें अधिकांश महिला काश्तकार है। स्थानीय कलाकारों के नाच गान के साथ किसानों को विषय विशेषज्ञ द्वारा खेती-बाड़ी के संबंध में आवश्यक जानकारी दी। पहले दिन अलग-अलग विषयों पर नरेंद्र नाथ, सूत्य साची दास, कृष्णा प्रसाद गगन सेठी गांधीवादी विचारक सवाई सिंह, राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य डॉक्टर शैलेंद्र पंड्या गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली के अध्यक्ष कुमार प्रशांत और कृषि विश्वविद्यालय परभणी महाराष्ट्र के पूर्व कुलपति डॉक्टर वेंकटेश्वरुलु सहित एक दर्जन से अधिक विशेषज्ञों द्वारा खेती-बाड़ी में स्थानीय फसलों की महत्ता के साथ स्थानीय बीज खेती-बाड़ी के तरीके को आधुनिक खेती से बेहतर बताया। विशेषज्ञों का कहना था कि रासायनिक खाद एवं और उर्वरक तथा पेस्टिसाइड्स के इस्तेमाल के कारण पंजाब की जमीन अब बंजर होती जा रही है। पैदावार कम पड़ गई है और कई प्रकार की बीमारियां घर करती जा रही है। विशेषज्ञों ने स्थानीय बीज को बेहतर बताते हुए कहा कि हाइब्रिड सीड्स के मुकाबले स्थानीय जमीन के लिए हमारा परंपरागत बीज कहीं अधिक कारगर है।


Conclusion:हाइब्रिड बीज के जरिए मल्टीनेशनल कंपनियां अपने अन्य उत्पाद निकालती है और किसानों को महंगे दामों पर बेचती है। अपने उत्पाद का बेहतर दाम हासिल करने के लिए सामुदायिक खेती का भी सुझाव दिया गया। बुधवार को भी विभिन्न सत्रों में चर्चा के बाद एक मसौदा तैयार किया जाएगा। संस्था के सचिव जयेश जोशी के अनुसार बुधवार को दो दिवसीय सम्मेलन का समापन होगा जिसमें 2 दिन हुई चर्चा के आधार पर मसौदा तैयार किया जाएगा जो वर्ष पर्यंत किसानों के लिए फायदेमंद रहेगा। इस सम्मेलन में राजस्थान गुजरात और मध्य प्रदेश के किसान भाग ले रहे हैं।

बाइट.... जयेश जोशी सचिव वागधरा
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