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बांसवाड़ा : चार बार नोटिस के बाद भी कंपनी टावर हटाने को तैयार नहीं, नगर परिषद ने दी कार्रवाई की चेतावनी

बांसवाड़ा में एक मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी की ओर से नेटवर्क क्षमता बढ़ाने के मामले जिद्दीपन इस कदर देखा जा रहा है कि कंपनी पिछले 10 माह से नगर परिषद बिल्डिंग से अपना टावर नहीं हटा रही है. नगर परिषद के मुताबिक कंपनी को चार बार नोटिस दिया जा चुका है.

जिओ की मनमानी
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Published : May 16, 2019, 12:54 PM IST

बांसवाड़ा. नगर परिषद की ओर से मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी जिओ को ट्रायल की अनुमति देना मंहगा पड़ गया. कंपनी अब नगर परिषद के लिए जी का जंजाल बन चुकी है. पिछले 10 माह से नगर परिषद कंपनी की जबरदस्ती का शिकार बना हुआ है.

दरअसल, एक महीने के लिए ट्रायल के तौर पर अस्थाई अनुमति के जरिए नगर परिषद बिल्डिंग परिसर में कंपनी कि ओर से अपना टावर लगाया गया था. नगर परिषद बोर्ड की आपत्ति के बाद परिषद प्रशासन द्वारा अस्थाई स्वीकृति निरस्त कर दी गई और कंपनी को टावर हटाने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया. लेकिन 10 माह बाद भी टावर नगर परिषद को मुंह चिढ़ा रहा है. नगर परिषद के नोटिस भी रद्दी की टोकरी में जाते दिख रहे हैं.

जिओ की मनमानी

चौंकाने वाली बात यह है कि जिओ कंपनी द्वारा पिछले 10 माह से निर्धारित शुल्क तक जमा नहीं करवा रही है और ना ही टावर हटाने को तैयार है. नगर परिषद अब अंतिम हथियार के तौर पर टावर सीज करने की तैयारी में है. इस संबंध में कंपनी को एक बार फिर नोटिस जारी किया गया है. गत वर्ष तत्कालीन आयुक्त द्वारा कंपनी को अस्थाई तौर पर एक माह के लिए परिषद परिसर में टावर लगाने की परमिशन दी गई थी. हालांकि इस परमिशन के दौरान कंपनी द्वारा निर्धारित 10 हजार रुपये का शुल्क जमा कराया गया था. टावर हटाने के नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर फिर से नोटिस जारी किया गया, लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात. कंपनी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया.

नगर परिषद कि ओर से जयपुर स्थित रिलायंस जिओ इन्फोकॉम लिमिटेड के नाम अब तक चार नोटिस जारी किए जा चुके हैं. नगर परिषद की बेबसी यह है कि पत्र व्यवहार के अलावा उसके पास अन्य कोई विकल्प नहीं है. सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि कंपनी कि ओर पिछले 10 माह का 10 हजार की दर से निर्धारित परमिशन फीस तक जमा नहीं कराई जा रही है, जिसकी राशि अब एक लाख तक पहुंच गई है.

बांसवाड़ा. नगर परिषद की ओर से मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी जिओ को ट्रायल की अनुमति देना मंहगा पड़ गया. कंपनी अब नगर परिषद के लिए जी का जंजाल बन चुकी है. पिछले 10 माह से नगर परिषद कंपनी की जबरदस्ती का शिकार बना हुआ है.

दरअसल, एक महीने के लिए ट्रायल के तौर पर अस्थाई अनुमति के जरिए नगर परिषद बिल्डिंग परिसर में कंपनी कि ओर से अपना टावर लगाया गया था. नगर परिषद बोर्ड की आपत्ति के बाद परिषद प्रशासन द्वारा अस्थाई स्वीकृति निरस्त कर दी गई और कंपनी को टावर हटाने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया. लेकिन 10 माह बाद भी टावर नगर परिषद को मुंह चिढ़ा रहा है. नगर परिषद के नोटिस भी रद्दी की टोकरी में जाते दिख रहे हैं.

जिओ की मनमानी

चौंकाने वाली बात यह है कि जिओ कंपनी द्वारा पिछले 10 माह से निर्धारित शुल्क तक जमा नहीं करवा रही है और ना ही टावर हटाने को तैयार है. नगर परिषद अब अंतिम हथियार के तौर पर टावर सीज करने की तैयारी में है. इस संबंध में कंपनी को एक बार फिर नोटिस जारी किया गया है. गत वर्ष तत्कालीन आयुक्त द्वारा कंपनी को अस्थाई तौर पर एक माह के लिए परिषद परिसर में टावर लगाने की परमिशन दी गई थी. हालांकि इस परमिशन के दौरान कंपनी द्वारा निर्धारित 10 हजार रुपये का शुल्क जमा कराया गया था. टावर हटाने के नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर फिर से नोटिस जारी किया गया, लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात. कंपनी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया.

नगर परिषद कि ओर से जयपुर स्थित रिलायंस जिओ इन्फोकॉम लिमिटेड के नाम अब तक चार नोटिस जारी किए जा चुके हैं. नगर परिषद की बेबसी यह है कि पत्र व्यवहार के अलावा उसके पास अन्य कोई विकल्प नहीं है. सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि कंपनी कि ओर पिछले 10 माह का 10 हजार की दर से निर्धारित परमिशन फीस तक जमा नहीं कराई जा रही है, जिसकी राशि अब एक लाख तक पहुंच गई है.

Intro:हैडर.... देश की मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों में अपनी मनमानी से खलबली बचाने वाली जिओ की जबरदस्ती बांसवाड़ा में भी देखी जा रही हैl कंपनी पिछले 10 माह से नगर परिषद बिल्डिंग से अपना टावर नहीं हटा रही है जबकि उसे चार चार बार नोटिस दिए जा चुके हैंl
बांसवाड़ाl बांसवाड़ा नगर परिषद पिछले 10 माह से देश की प्रमुख मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी जिओ की जबरदस्ती का शिकार हैl एक महीने के लिए ट्रायल के तौर पर अस्थाई अनुमति के जरिए नगर परिषद बिल्डिंग परिसर में कंपनी द्वारा अपना टावर लगाया गया थाl नगर परिषद बोर्ड की आपत्ति के बाद


Body:परिषद प्रशासन द्वारा अस्थाई परमिशन निरस्त कर दी गई और कंपनी को टावर हटाने के लिए नोटिस जारी कर दिया गयाl कंपनी की जबरदस्ती देखिए की 10 माह बाद भी टावर नगर परिषद का मुंह चिढ़ा रहा हैl नगर परिषद के नोटिस भी रद्दी की टोकरी में जाते दिख रहे हैंl मजेदार बात यह है कि जिओ कंपनी द्वारा पिछले 10 माह से निर्धारित शुल्क तक जमा नहीं करा रही है और ना ही टावर हटाने को तैयार हैl नगर परिषद अब अंतिम हथियार के तौर पर टावर सीज करने की तैयारी में हैl इस संबंध में कंपनी को एक बार फिर नोटिस जारी किया गया हैl गत वर्ष तत्कालीन आयुक्त द्वारा कंपनी को अस्थाई तौर पर 1 माह के लिए परिषद परिसर में टावर लगाने की परमिशन दी गई थीl


Conclusion:नगर परिषद सभापति मंजू बाला पुरोहित सहित बोर्ड की आपत्ति के बाद टावर लगाने की अनुमति निरस्त कर दी गई और कंपनी को टावर हटाने के संबंध में नोटिस जारी किया गयाl हालांकि ऐसे परमिशन के दौरान कंपनी द्वारा निर्धारित ₹10000 का शुल्क जमा कराया गया थाl टावर हटाने के नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर फिर से नोटिस जारी किया गया लेकिन फिर वही ढाक के तीन पातl कंपनी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गयाl नगर परिषद द्वारा जयपुर स्थित रिलायंस जिओ इन्फोकॉम लिमिटेड के नाम अब तक चार नोटिस जारी किए जा चुके हैंl नगर परिषद की बेबसी यह है कि पत्र व्यवहार के अलावा उसके पास अन्य कोई विकल्प नहीं हैl सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि कंपनी द्वारा पिछले 10 माह का ₹10000 की दर से निर्धारित परमिशन फीस तक जमा नहीं कराई जा रही है जो ₹100000 तक पहुंच गई हैl नगर परिषद अब अंतिम विकल्प के तौर पर कंपनी को डावर सीज करने की कार्रवाई के संबंध में नोटिस की तैयारी कर रही हैl नगर परिषद के कनिष्ठ अभियंता मुकेश मधु के अनुसार कंपनी को अब तक चार नोटिस दिए जा चुके हैं लेकिन कंपनी का कोई जवाब नहीं आ रहा हैl उसकी निर्धारित फीस भी बकाया चल रही हैl अब हम नोटिस जारी कर टावर सीज करने की कार्यवाही करने की तैयारी कर रहे हैंl
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