बांसवाड़ा. नगर परिषद की ओर से मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी जिओ को ट्रायल की अनुमति देना मंहगा पड़ गया. कंपनी अब नगर परिषद के लिए जी का जंजाल बन चुकी है. पिछले 10 माह से नगर परिषद कंपनी की जबरदस्ती का शिकार बना हुआ है.
दरअसल, एक महीने के लिए ट्रायल के तौर पर अस्थाई अनुमति के जरिए नगर परिषद बिल्डिंग परिसर में कंपनी कि ओर से अपना टावर लगाया गया था. नगर परिषद बोर्ड की आपत्ति के बाद परिषद प्रशासन द्वारा अस्थाई स्वीकृति निरस्त कर दी गई और कंपनी को टावर हटाने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया. लेकिन 10 माह बाद भी टावर नगर परिषद को मुंह चिढ़ा रहा है. नगर परिषद के नोटिस भी रद्दी की टोकरी में जाते दिख रहे हैं.
चौंकाने वाली बात यह है कि जिओ कंपनी द्वारा पिछले 10 माह से निर्धारित शुल्क तक जमा नहीं करवा रही है और ना ही टावर हटाने को तैयार है. नगर परिषद अब अंतिम हथियार के तौर पर टावर सीज करने की तैयारी में है. इस संबंध में कंपनी को एक बार फिर नोटिस जारी किया गया है. गत वर्ष तत्कालीन आयुक्त द्वारा कंपनी को अस्थाई तौर पर एक माह के लिए परिषद परिसर में टावर लगाने की परमिशन दी गई थी. हालांकि इस परमिशन के दौरान कंपनी द्वारा निर्धारित 10 हजार रुपये का शुल्क जमा कराया गया था. टावर हटाने के नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर फिर से नोटिस जारी किया गया, लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात. कंपनी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया.
नगर परिषद कि ओर से जयपुर स्थित रिलायंस जिओ इन्फोकॉम लिमिटेड के नाम अब तक चार नोटिस जारी किए जा चुके हैं. नगर परिषद की बेबसी यह है कि पत्र व्यवहार के अलावा उसके पास अन्य कोई विकल्प नहीं है. सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि कंपनी कि ओर पिछले 10 माह का 10 हजार की दर से निर्धारित परमिशन फीस तक जमा नहीं कराई जा रही है, जिसकी राशि अब एक लाख तक पहुंच गई है.