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बांसवाड़ा : अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन APGRES 2020 की हुई शुरूआत - International conference APGRES 2020

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन APGRES 2020 की शुरूआत बांसवाड़ा में शुक्रवार से हुई. इस सम्मेलन में अक्षय ऊर्जा के उत्पादन पर जोर देने की बात कही गई. पहले दिन 3 सेशन में कुल 18 शोध पत्रों पर चर्चा के साथ ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों पर गहन मंथन किया गया.

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APGRES 2020 की हुई शुरूआत
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Published : Mar 6, 2020, 9:03 PM IST

बांसवाड़ा. राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में शुक्रवार को 'एडवांसेज इन पावर जेनरेशन फ्रॉम रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेस' विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन APGRES 2020 शुरू हुआ. पहले दिन 3 सेशन में कुल 18 शोध पत्रों पर चर्चा के साथ ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों पर गहन मंथन किया गया. विशेषज्ञों ने कोयला और पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता कम करते हुए अक्षय ऊर्जा के उत्पादन पर जोर दिया और इसके लिए दुनिया के हर देश को आगे आने की जरूरत बताई गई.

APGRES 2020 की हुई शुरूआत

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति प्रोफेसर आरके गुप्ता ने ऑनलाइन अपने उद्बोधन में अक्षय ऊर्जा की प्रगति और इसके विभिन्न उपयोगों से अवगत कराया. उन्होंने अक्षय ऊर्जा को ज्यादा से ज्यादा काम में लेने की सलाह दी. प्रोफेसर गुप्ता ने बांसवाड़ा में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन के लिए कॉलेज प्रबंधन के प्रयासों की सराहना की. बीवीएम विद्यानगर डॉ एसडी धीमान ने अक्षय ऊर्जा पर शोध की आवश्यकता और इस क्षेत्र में तकनीकी शिक्षा की संभावनाओं पर अपनी बात रखी.

यह भी पढे़ं- दौसा: ओलावृष्टि में फसलों के बर्बाद होने के बाद किसानों ने की मुआवजे की मांग, सौंपा ज्ञापन

अहमदाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नितिन बैंकर ने अक्षय ऊर्जा को वर्तमान की आवश्यकता बताते हुए कहा कि कोयला और सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन का अनुपात फिलहाल 60 के मुकाबले 3 है. जिसे पाटने की आवश्यकता है, नहीं तो कोयला खत्म होने पर हमारे पास अंधेरे के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा. डॉ. वीरेश फुशकुले ने 9 अप्रैल 2020 सम्मेलन की आवश्यकता अवधारणा और उद्देश्य के बारे में बताया.

ऊर्जा उत्पादन और मांग के बीच बड़ा अंतर, वैकल्पिक ऊर्जा ही एकमात्र विकल्प

आयोजक कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. शिवलाल ने कहा, कि ऊर्जा के उत्पादन और मांग में हमेशा से अंतर रहा है. जिसे अक्षय ऊर्जा के जरिए ही कम किया जा सकता है. केंद्र सरकार ने इसकी महत्ता समझते हुए 2023 और 2030 के लिए नई ऊर्जा योजना लागू की है. उन्होंने खुशी जताई, कि अक्षय ऊर्जा से बिजली उत्पादन पिछले 5 सालों में काफी हद तक बढ़ा है और आज अक्षय ऊर्जा के माध्यम से उत्पादित बिजली की मात्रा 873508 मेगावाट पहुंच गई है. यह गति कायम रहने पर हमारा देश आने वाले वर्षों में अक्षय ऊर्जा से बिजली उत्पादन में टॉप पर आ सकता है.

बांसवाड़ा. राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में शुक्रवार को 'एडवांसेज इन पावर जेनरेशन फ्रॉम रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेस' विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन APGRES 2020 शुरू हुआ. पहले दिन 3 सेशन में कुल 18 शोध पत्रों पर चर्चा के साथ ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों पर गहन मंथन किया गया. विशेषज्ञों ने कोयला और पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता कम करते हुए अक्षय ऊर्जा के उत्पादन पर जोर दिया और इसके लिए दुनिया के हर देश को आगे आने की जरूरत बताई गई.

APGRES 2020 की हुई शुरूआत

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति प्रोफेसर आरके गुप्ता ने ऑनलाइन अपने उद्बोधन में अक्षय ऊर्जा की प्रगति और इसके विभिन्न उपयोगों से अवगत कराया. उन्होंने अक्षय ऊर्जा को ज्यादा से ज्यादा काम में लेने की सलाह दी. प्रोफेसर गुप्ता ने बांसवाड़ा में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन के लिए कॉलेज प्रबंधन के प्रयासों की सराहना की. बीवीएम विद्यानगर डॉ एसडी धीमान ने अक्षय ऊर्जा पर शोध की आवश्यकता और इस क्षेत्र में तकनीकी शिक्षा की संभावनाओं पर अपनी बात रखी.

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अहमदाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नितिन बैंकर ने अक्षय ऊर्जा को वर्तमान की आवश्यकता बताते हुए कहा कि कोयला और सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन का अनुपात फिलहाल 60 के मुकाबले 3 है. जिसे पाटने की आवश्यकता है, नहीं तो कोयला खत्म होने पर हमारे पास अंधेरे के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा. डॉ. वीरेश फुशकुले ने 9 अप्रैल 2020 सम्मेलन की आवश्यकता अवधारणा और उद्देश्य के बारे में बताया.

ऊर्जा उत्पादन और मांग के बीच बड़ा अंतर, वैकल्पिक ऊर्जा ही एकमात्र विकल्प

आयोजक कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. शिवलाल ने कहा, कि ऊर्जा के उत्पादन और मांग में हमेशा से अंतर रहा है. जिसे अक्षय ऊर्जा के जरिए ही कम किया जा सकता है. केंद्र सरकार ने इसकी महत्ता समझते हुए 2023 और 2030 के लिए नई ऊर्जा योजना लागू की है. उन्होंने खुशी जताई, कि अक्षय ऊर्जा से बिजली उत्पादन पिछले 5 सालों में काफी हद तक बढ़ा है और आज अक्षय ऊर्जा के माध्यम से उत्पादित बिजली की मात्रा 873508 मेगावाट पहुंच गई है. यह गति कायम रहने पर हमारा देश आने वाले वर्षों में अक्षय ऊर्जा से बिजली उत्पादन में टॉप पर आ सकता है.

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