बांसवाड़ा. एमजी अस्पताल में ऐसा गिरोह सक्रिय है, जो 5 हजार लेकर कोविड-19 पॉजिटिव या संदिग्ध मृतकों का दाह संस्कार करता है. इसका खुलासा उस समय हुआ जब एक परिवार से 5 हजार की डिमांड की गई. जबकि बांसवाड़ा शहर में नगर परिषद की ओर से निशुल्क दाह संस्कार करने की सुविधा है. जानिए आखिर क्या है पूरा मामला...
देश में कोविड-19 का दौर है. एक तरफ कोरोना संक्रमित दम तोड़ रहे हैं. दूसरी तरफ ऐसी गंभीर परिस्थिति में भी मौत का सौदा करने वाले गिरोह सक्रिय हो गए. ऐसा ही मामला एमजी अस्पताल का आया है, जहां कोविड-19 के मृतकों के परिजनों को दाह संस्कार की जल्दी होती है, उसी समय यह गिरोह सक्रिय हो जाता है. इस ग्रुप के सदस्य अस्पताल पहुंचते हैं, वहां आसपास का माहौल देखकर सौदेबाजी कर लेते हैं. प्रत्येक डेड बॉडी के दाह संस्कार के लिए ये 5 हजार रुपए लेते हैं. वाहन में डेड बॉडी ले जाने के लिए अलग से किराया देना होता है और लकड़ियों का पैसा भी अलग से देना होता है.
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इसका भंडाफोड़ करने के लिए ईटीवी भारत के रिपोर्टर ने एक दलाल से बात की. जिसमें फोन पर बातचीत में कहा कि डेड बॉडी का डिस्पोजल करना है. ऐसे में संतोष नाम के इस व्यक्ति ने स्पष्ट रूप से 5 हजार रुपए की डिमांड की और कहा कि दाह संस्कार में 4 लोग लगते हैं, ऐसे में ₹5000 खर्चा होता ही है. हालांकि, वह कुछ रुपए कम करने के लिए भी राजी हो गया.
वायरल ऑडियो
बोगस- संतोष जी
दलाल- हां बोलिए
बोगस- MG जाओगे तो वहां मेरी दादी है
दलाल-मेरा एक्सीडेंट हो गया है तो मैं आ नहीं सकता
बोगस-पैसे ठीक से लगा देना
दलाल-देखों 1 हजार गाड़ी किराया, जलाने वाले के 4 हजार
बोगस-लकड़ी के कितने पैसे लगेंगे
दलाल-2700 लकड़ी के लगेंगे
बोगस-थोड़ा कम कर दो....
दलाल-जलाने वाले के 4 हजार लगेंगे
बोगस-4 हजार ज्यादा हैं
दलाल-लकड़ी के अलग से देने होंगे....
नगर परिषद कर्मचारी नहीं लेते कोई राशि
इसके उलट नगर परिषद के अधिकारियों से इस बारे में पूछा गया तो पता चला कि उनकी गाड़ी और उनके नंबर और उनके कार्मिक अलग है. जब हमने और पड़ताल आगे की तो पता चला कि नगर परिषद का कोई भी कर्मचारी पैसा नहीं लेता है और निशुल्क दाह संस्कार किया जाता है.
ऐसे संचालित होता है पूरा गिरोह
सूरज उगने के साथ ही लोगों को दाह संस्कार की जल्दी होती है. दूसरी तरफ अस्पताल प्रशासन का भी दबाव होता है कि डेड बॉडी का दाह संस्कार जितना जल्दी हो जाए उतना बेहतर है. इधर नगर परिषद की टीम सुबह 8 बजे अस्पताल पहुंचती है. उससे पहले फर्जी गिरोह के सदस्य सक्रिय रहते हैं. 8 बजे तक कई डेड बॉडी का वे दाह संस्कार कर चुके होते हैं. आफत और बीमारी से परेशान लोग बिना किसी दिक्कत के चुपचाप 5 हजार रुपए तक दे देते हैं. एसे में लोगों को यह पता ही नहीं चलता कि जिन लोगों ने उनसे 5 हजार रुपए के लिए वे फर्जी हैं.
नगर परिषद अधिकारी बोले हमें बदनाम करने की कोशिश
इस मामले को लेकर हमने नगर परिषद सैनेटरी इंस्पेक्टर सुरेश कुमार से कागदी स्थित मोक्षधाम पर बातचीत की. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी तरफ से कोई राशि नहीं ली जाती है. उनको सिर्फ बदनाम करने की कोशिश है.
देर शाम तक भी नहीं हुई कोई कार्रवाई
जैसे ही पूरा मामला हमारी जानकारी में आया तो हम ने तत्काल इसकी जानकारी कलेक्टर को देनी चाहिए. बांसवाड़ा जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह ने हमारा फोन रिसीव नहीं किया पर उनकी ओर से एसपी कावेन्द्र सिंह सागर ने आगे चलकर फोन किया और जानकारी ली. हम ने एसपी को को संबंधित गिरोह संचालक का फोन नंबर नाम और एक रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध कराई. हमें अभी भी इंतजार है कि इस मामले में कोई बड़ी कार्रवाई की.