बांसवाड़ा. सोयाबीन के समर्थन मूल्य की शर्तें किसानों को रास नहीं आ रही है. स्थिति यह है कि सोयाबीन का बाजार भाव समर्थन मूल्य को भी पार कर गया है. ऐसे में पंजीयन करा चुके किसान भी समर्थन मूल्य पर अपना माल बेचने के लिए खरीद केंद्र पर नहीं आ रहे हैं. यहां तक कि बांसवाड़ा में किसानों ने माल लाने से इंकार कर दिया. हालात यह है कि खरीद केंद्र पर पिछले 5 दिन से सन्नाटा पसरा है.
नेफेड के लिए राज्य सरकार क्रय-विक्रय सहकारी समिति के माध्यम से समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदारी कर रही है. सरकार द्वारा समर्थन मूल्य 3 हजार 710 प्रति क्विंटल रखा गया. लेकिन साथ ही किसानों को ऐसी शर्तों में उलझा दिया गया कि किसान खरीद केंद्र पर आने से ही झिझकने लगा.
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ई मित्र से पंजीयन, पटवारी से गिरदावरी रिपोर्ट, ग्रेडिंग खर्चा के अलावा ट्रांसपोर्टेशन की झंझट, कुल मिलाकर घाटे का सौदा होता देख कर किसानों द्वारा समर्थन मूल्य पर सोयाबीन बेचने के प्रति रुचि नहीं देखी जा रही है. वहीं मार्केट में सोयाबीन की खरीदारी 3 हजार 800 रुपए प्रति क्विंटल पार हो गई है. वहीं व्यापारी सीधा किसानों के घर से माल उठा रहा है और हाथों-हाथ भुगतान भी कर रहा है.
ऐसे में खरीद केंद्रों पर पसरा सन्नाटा टूटने का नाम नहीं ले रहा है. 15 अक्टूबर से समर्थन मूल्य के लिए पंजीयन शुरू हो गया और 1 नवंबर से बांसवाड़ा कृषि उपज मंडी और बागीदौरा में खरीद केंद्र प्रारंभ कर दिए गए. समर्थन मूल्य शर्तों की विसंगति के चलते 5 दिन बाद भी यहां एक भी किसान अपना माल लेकर नहीं पहुंचा.
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बांसवाड़ा और बागीदौरा केंद्र पर क्रमशः 2 और 27 किसानों द्वारा पंजीयन कराया गया था लेकिन माल लेकर कोई भी नहीं पहुंचा. बांसवाड़ा केंद्र द्वारा पंजीकृत किसानों से संपर्क कर माल लाने का आग्रह किया गया लेकिन दोनों ही काश्तकारों ने शर्तों की उलझन और बाजार भाव को देखते हुए माल लाने से इंकार कर दिया.
जानकारों का कहना है कि खरीद शर्तों की विसंगतियों को दूर नहीं किए जाने तक किसानों का माल लेकर खरीद करने पर पहुंचना मुश्किल नजर आ रहा है. बांसवाड़ा क्रय विक्रय सहकारी समिति के प्रबंधक परेश पांड्या के अनुसार दोनों ही केंद्रों पर कुछ काश्तकारों ने पंजीयन कराया था, लेकिन वे माल लेकर नहीं पहुंच रहे हैं.